आज के इस कार्यक्रम में आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी और रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह के पत्र शामिल हैं
आज़मगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी पूछते हैं कि चीन कुल कितनी बार अपना यान चंद्रमा पर भेज चुका है?
प्रिय मित्रो,चीन ने अब तक अपना एक भी यान चंद्रमा पर नहीं भेजा है.पर चीन की चंद्रमा पर यान भेजने की योजना अवश्य है,बल्कि इस योजना को चालू वर्ष यानी 2007 में हकीकत में तब्दील किया जाएगा.हमें याद है भारत ने भी अगले वर्ष अपने यान को चंद्रमा पर भेजने की योजना बनायी है.
चीन की इस योजना का नाम है चंद्रमा की ओर उड़ने वाली अप्सरा--छांगअर.वर्ष 2005 के अंत में चीनी अंतरिक्ष ब्यूरो के उपमहानिदेशक सुन लाई-यान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चंद्रमा की ओर उड़ने वाली अप्सरा--छांगअर की योजना पर प्रथम चरण की लगभग एक साल की तैयारी और अभ्यास के बाद सभी आवश्यक तकनीकें और मानव-शक्ति सख्त मापदंडों पर खरी उतरीं है.इस तरह वर्ष 2007 या इस से पहले किसी भी समय छांगअर न0.1 चंद्रमा पर भेजा जाएगा,जो चंद्रमा की परिक्रमा करते हुए उस का पूरा सर्वेक्षण करेगा.सूत्रों के अनुसार छांगअर न0.1 यान चीन में ही स्वनिर्मित छांगजंग न0.3 वाहक राकेट द्वारा भेजा जाएगा.यह यान 8,9 दिनों के अन्दर पृथ्वी से चंद्रमा तक का 38 करोड़ मीटर का लम्बा रास्ता तय करेगा.योजना 3 चरणों में पूरी की जाएगी.पहले चरण में छांगअर न0.1 यान वाहक राकेट से अलग होकर और अपनी पटरी बदलकर पृथ्वी की कक्षा को छोड़ पृथ्वी और चंद्रमा के बीच की कक्षा में प्रविष्ट होगा.दूसरे चरण में यह यान 5.6 दिनों की उडान के बाद चंद्रमा की कक्षा में दाखिल होगा.तीसरे चरण में चंद्रमा से कोई 20 लाख मीटर की दूरी पर यह यान अपनी गति धीमी करके चंद्रमा की धुर कक्षा में प्रवेश कर अपना सर्वेक्षण-कार्य शुरू करेगा.
योजनानुसार यह यान एक साल तक चंद्रमा की परिक्रमा करेगा,जिस का उद्देश्य चंद्रमा की सतह के त्रिआयामी चित्र खींचना,उस पर मौजूद उपयोगी तत्वों की मात्रा,किस्में और आवंटन,चंद्रमा पर मिट्टी की मोटाई तथा पृथ्वी व चंद्रमा के बीच शून्य वातावरण का पता लगाना है.
रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह का सवाल है कि चीन में डाक-सेवा की व्यवस्था में सुधार कैसे होता है ? चीन में पोस्ट कार्ड, लिफाफा व अन्य डाक सामग्री आम तौर पर किस रेट में बिकती है?
भैय्या,भीरत की ही तरह चीन में भी डाक-सेवा एक सामाजिक सार्वजनिक कार्य है.इस की व्यवस्था राष्ट्रीय संचार का एक अहम मूल आधार है.लम्बे अरसे से डाक-सेवा देश के राष्ट्रीय अर्थतंत्र और सामाजिक विकास को बढावा देने और नागरिकों के संचार के मूल अधिकारों को सुनिश्चित करने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती रही है.लेकिन आर्थिक सुधार के गहराई में चलने के साथ-साथ देश में डाक-सेवा की व्यवस्था विकसित हो रहे बाजार अर्थतंत्र की जरूरतों से मेल नहीं खाती दिखाई देने लगी है.इसलिए डाक-सेवा व्यवस्था में सुधार लाना चीन के एक फौरी कार्य के रूप में सामने आया है.
वर्ष 2005 के मध्य में चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई समिति की एक बैठक में डाक-सेवा व्यवस्था में सुधार के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी. इस के तहत इस व्यवसाय में राजनीति और कारोबार को एक दूसरे से अलग किया जाए,सरकारी निगरानी मजबूत की जाए,बाजार उन्मुख प्रणाली को परिपूर्ण बनाया जाए,मामूली सेवा व विशेष सेवा तथा सुरक्षित संचार को सुनिश्चित किया जाए, डाक-सेवा के मूल कार्य और बैंकिंग कार्य के प्रबंध में सुधार लाया जाए,ताकि देश में डाक-सेवा का अंतरराष्ट्रीय आधुनिकीकरण हो सके.चीन में डाक-सेवा में सुधार के लिए यह भी प्रस्तावित है कि देश के डाक-सेवा व्यवसाय के प्रबंध व निगरानी संस्था के रूप में राष्ट्रीय डाक मंत्रालय का पुनर्गठन किया जाए,राष्ट्रीय डाक-सेवा ग्रुप-कंपनी की स्थापना की जाए,जो विभिन्न प्रकार के डाक-कार्य चलाएगी.इस के अलावा ऐसे बैंक भी बनाए जाएं,जिन में डाक व पैसे जमा करने की सेवा चलायी जा सके,ताकि वित्तीय व्यवसाय का मानकीकरण हो .चीनी विशषज्ञों का मानना है कि सुधार के जरिए सरकारी निगरानी संस्था और डाक-सेवा के स्वतंत्र संचालन की व्यवस्था की स्थापना से चीन में डाक-सेवा कार्य को स्वस्थ विकास की राह पर आगे बढ़ने में बड़ा बल मिलेगा.
चीन में पोस्ट कार्ड, लिफाफा व अन्य डाक सामग्री भिन्न-भिन्न रेट में बिकती है.इन वस्तुओं के भाव इन की गुणवत्ता पर निर्भर करते हैं.आम तौर पर एक मामूली पोस्ट कार्ड का दाम एक चीनी य्वान है और एक लिफाफा आधे या इस से थोड़े कम चीनी य्वान पर बिकता है.इस वक्त एक चीनी य्वान की कीमत लगभग 5.7 रूपए है.

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