चीन के राष्ट्राध्य़क्ष हू चिन-थाओ ने 7 तारीख को दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में चीन-अफ्रीका एकता व सहयोग मजबूत करो और सामंजस्यपूर्ण विश्व को बढावा दो विषयक भाषण दिया और अफ्रीका के साथ पीढ़ी-दर-पीढ़ी मैत्री के सुढृढीकरण औऱ सामंजस्यपूर्ण विश्व के निर्माण के बारे में चीन के विचारों पर प्रकाश डाला।
प्रिटोरिया विश्वविद्यालय प्रिटोरिया शहर के मरकजी इलाके में खड़ा है,जो दक्षिण अफ्रीका में एक सब से पुराना और सब से बड़ा बहुविषयक उच्चशिक्षालय है।7 तारीख की सुबह चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन-थाओ इस विश्वविद्यालय के सभागृह में आए और वहां मौजूद अध्यापकों व विद्यार्थियों ने उन का उत्साहपूर्ण स्वागत किया।
श्री हू चिन-थाओ ने अपने भाषण में सब से पहले दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति म्बेकी का उद्धृरण करते हुए कहा कि दक्षिण अफ्रीका ने आशा के युग में कदम रखा है।उन का कहना हैः
"दक्षिण अफ्रीका की जनता द्वारा जो उपलब्धियां हासिल की गई हैं,उन से न केवल दक्षिण अफ्रीका में विकास की आशा दीखती है,बल्कि अफ्रीका यहां तक की पूरी मानव-जाति में प्रगति-कार्य की उम्मीद भी दिखाई दी है।"
श्री हू चिन-थाओ ने बीती आधी शताब्दी से भी अधिक अवधि में चीनी जनता और अफ्रीकी जनता के बीच राष्ट्रीय मुक्ति के लिए सघर्षों के दौरान एक दूसरे को समर्थन देने और राष्ट्रीय पुनरूद्धान के रास्ते में सद्भावनापूर्ण सहयोग होने तथा अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एक दूसरे को मदद देने के अनुभवों का सिहावलोकन करते हुए कहाः
"चीन औऱ अफ्रीका एक दूसरे से काफी दूर है,लेकिन चीन-अफ्रीका दोस्ती बहुत पुरानी है।चीनी जनता और अफ्रीकी जनता के बीच लम्बे इतिहास में गहन मैत्री बन गई है।चीनी जनता को अफ्रीकी जनता से कायम सद्भाव व मैत्री पर बड़ा गौरव महसूस हुआ है।अतीत मे चीनी जनता और अफ्रीकी जनता समानता,आपसी विश्वास,एक दूसरे से सदिच्छापूर्ण बर्ताव करने वाले अच्छे दोस्त,पारस्परिक लाभ व उभय जीत प्राप्त अच्छे साझेदार और समान सुख-दुख से गुजरे सगे भाई-बहन जैसे थे,वर्तमान में हैं और भविष्य में भी रहेंगे।चीनी जनता और अफ्रीकी जनता पीढी़-दर-पीढ़ी मैत्री के सूत्र में बंधेगी और ऐसा निश्चय ही हो जाएगा"
श्री हू चिन-थाओ ने गत नवम्बर में पेइचिंग में हुए चीन-अफ्रीकी सहयोग मंच में प्राप्त उपलब्धियों का उल्लेख किया और दोहराया कि चीन सरकार द्वारा घोषित अफ्रीका की सहायता वाले 8 नीतिगत कदमों का मकसद अफ्रीकी देशों की स्वतंत्रता से विकास करने की शक्ति बढाना और अफ्रीकी जनता को अधिक लाभ दिलाना ही है।लेकिन हू चिन-थाओ ने चीन-अफ्रीका सहयोग की प्रक्रिया में मौजूद समस्याओं की भी चर्चा की।उन का कहना हैः (आवाज 4) "चीन और अफ्रीका के बीच तेजी से विकास होने की प्रक्रिया में कुछ नई स्थितियां और नई समस्याएं उभरकर सामने आई हैं।यह अनिवार्य है और स्वाभाविक भी।चीन-अफ्रीका सहयोग की समग्र स्थिति को देखा जाए,तो ये समस्याएं मैत्रीपूर्ण सलाह-मशविरे और गहरे सहयोग के जरिए पूरी तरह सुलझाई जा सकती हैं।चीन कुछ अफ्रीकी मित्रों का ध्यान खींचने वाले द्विक्षीय व्यापार में मौजूद अयुक्ति और पूंजीनिवेश में मौजूद सीमितता जैसे सवालों को बहुत महत्वपूर्ण मानता है और अफ्रीकी दोस्तों के साथ मिलकर इस सवालों के समाधान के लिए सकारात्मक व प्रभावशाली कदम उठा रहा है। "
श्री हू चिन-थाओ ने वर्ष 1978 में चीन में सुधार व खुलेपन का कार्य शुरू होने के बाद के वर्षों में हासिल उपलब्धियों की जानकारी भी दी।उन्हों ने दोहरायाः
"चीन में जो विकास हो रहा है,वह शांति,खुलेपन,सहयोग और सामंजस्य के लिए है।चीन खुद अपने भूभाग में सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण में संलग्न है और साथ ही विभिन्न देशों से स्थाई शांति,समान समृद्धि और सामंजस्यपूर्ण विश्व की स्थापना को बढावा देने को भी तैयार है।चीन शांति,विकास और सहयोग के झंडे को बुलंद करते हुए और स्वतंत्रता व शांति की कूटनीति अपनाते हुए शांतिपूर्ण विकास की राह पर तथा आपसी लाभ व समान जीत की खुली रणनीति पर कयम रहेगा"
श्री हू चिन-थाओ ने भावविभोर होकर कहा कि नौजवान देशों का भविष्य और राष्टों की आशा है।उन्हों ने कहाः
"अफ्रीका में पुनरूद्धान की आशा सारे अफ्रीकी नौजवानों से बंधी है।चीन और अफ्रीका के नौजवान चीन-अफ्रीकी मैत्री-कार्य की जीवनी शक्ति हैं और सामंजस्यपूर्ण विश्व के मुख्य निर्माता भी हैं।चीन सरकार निर्णय ले चुकी है कि आने वाले 3 सालों के अन्दर उन अफ्रीकी छात्रों की संख्या को 2000 से बढाकर 4000 तक कर लिया जाएगा,जिन्हें चीन सरकार द्वारा प्रदत्त छात्रवृत्ति प्राप्त हो।इस मौके पर मैं चीन सरकार का यह भी फैसला घोषित कर रहा हूं कि भावी 3 सालों के भीतर चीन सरकार कालेज छात्रों समेत 500 अफ्रीकी युवाओं को चीन-यात्रा का निमंत्रण देगी।मेरी आशा है कि यहां उपस्थित नौजवान लोग भी चीन की इस योजना में शामिल होकर चीन की यात्रा करेंगे।"
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