प्रिय मित्रो , आप जानते ही हैं कि चीन एक बहुजातीय देश है , सब से बड़ी जाति हान जाति को छोड़कर अन्य 55 अल्पसंख्यक जातियां भी हैं । पहले हम आप के साथ अनेक चीनी अल्पसंख्यक जातीय क्षेत्रों का दौरा कर चुके हैं और कुछ अल्पसंख्यक जातियों के बारे में कुछ न कुछ विशेषताओं से भी परिचित हो गये हैं । पर आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम जिस जातीय क्षेत्र का दौरा करने जा रहे हैं , उस जाति के बारे में हम बहुत कम जानते हैं । तो आइये , हम एक साथ चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक माओ नान नामक जाति से मिलने चलते हैं ।
दक्षिण चीन के क्वांग शी च्वांग स्वायत्त प्रदेश में रहने वाली माओ नान जाति की आबादी 80 हजार है और वह चीनी 22 सब से कम अल्पसंख्यक जातियों में से एक मानी जाती है । पहले अधिकतर माओ नान जातीय लोग पहाड़ों व जंगलों में रहते थे , उन का जीवन बाहरी दुनिया से कटा हुआ था और उत्पादन व दैनिक जीवन की स्थिति अत्यंत दुभर थी । इधर सालों में माओ नान जातीय लोग कठोर स्थिति से पिंड छुड़ाने के लिये मैदानी क्षेत्र में बसने लगे है और बाहरी दुनिया से जुड़े हुए हैं ।
पर पर्वतों व घने जंगलों से बाहर बसने के बाद माओ नान जाति के जीवन में क्या क्या परिवर्तन हुए हैं , यह जानने के लिये एक दिन हम इस जाति से मिलने क्वांगशी च्वांग स्वायत्त प्रदेश की राजधानी नाननिंग शहर से बस पकड़कर निकल गये । चार घंटे के बाद हम ह्वान च्यांग माओ नान जातीय स्वायत्त कांऊटी पहुंच गये । इस स्वायत्त कांऊटी की सरकार इसी ह्वान च्यांग शहर में अवस्थित है । यह एक बहुत सुंदर छोटा सा शहर है , एक छोटी नदी शरह को चीरकर आगे बह जाती है और चारों ओर बड़े बड़े पर्वत और घुमावदार ढलांन नजर आते हैं । इस कांऊटी शहर से दसेक किलोमीटर की दूरी पर स्थित छंग श्वांग गांव में माओ नान जाति के कुछ लोग बसने आये हैं । गांव की सड़क के पास एक नव निर्मित दुमंजिले पक्के मकान के मालिक लु च्यांग पेह का परिवार रहता है । 50 वर्षिय लु च्यांग पेह ने हमें बताया कि दस साल पहले वे अपने परिजनों के साथ बड़े पर्वत में रहते थे , उस समय उन की जीवन स्थिति बहुत खराब थी ।
उन्हों ने परिचय देते हुए कहा कि पहले हम बड़े पर्वत में रहते थे , वहां आने जाने के लिये कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है । बाजार जाने के लिये ऊंचे ऊंचे पर्वतों को पार करना पड़ता था । यदि 25 किलोग्राम की चीजें पीठ पर लादकर बाजार जाये , तो पर्वतों को पार करने में कम से कम पांच घंटे लगते हैं । उस समय हम पौ फटते ही घर से निकल जाते थे और रात को 11 बजे घर वापस लौट सकते थे । और तो और पर्वतों के पगडंडी रास्ते पर चलना भी बेहद कठिन है , खासकर बारिश के मौसम में टेढे मेढे रास्ते फिसल जाते हैं , असावधानी से लोग चलते चलते गिर जाते हैं । अतः पचास , साठ वर्षिय लोग बाहर नहीं जा पाते है ।
माओ नान जाति की इस शोचनीय स्थिति को सुधारने के लिये चीन सरकार ने गत सदी के 80 वाले दशक के अंत से योजनाबद्ध रूप से माओ नान जाति के स्थानांतरण के लिये पर्वतों के बाहर मैदानी क्षेत्रों में पक्के मकान बनवाये हैं । इस के अतिरिक्त सरकार ने नव स्थापित निवास स्थानों पर मोटर सड़कों , बिजली व पानी की सप्लाई की सुविधाएं भी उपलब्ध कराई हैं । मौजूदा जीवन स्तर की चर्चा में लु च्यांग पेह ने बड़े संतोषजनक रूप से हमें बताया
यहां की स्थिति बहुत अच्छी है , जीवन भी सुविधाजनक है , पक्की सड़क निर्मित हुई है , बिजली व पानी की सप्लाई का बंदोपस्त है , घर पर रंगीन टीवी सेट है , टेलिफोन है , मोटर साइकिल भी है , ये सब चीजें सिर्फ हमारे घर ही नहीं , दूसरे लोगों के घर पर भी हैं । अब हमें कांऊटी शहर ह्वान च्यांग जाने में केवल तीस मिनट लग जाती है ।
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