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(GMT+08:00) 2007-02-01 12:08:25    
उजबेक जाति का दिलचस्प शादी व्याह

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प्रिय दोस्तो , चीन में तुम्हारा बुर्का उठाओ नामक गीत एक बहुत लोकप्रिय सिनच्यांग लोकगीत है । यह लोकगीत अक्सर शादी ब्याह पर खुशियां मनाने के लिये गाया जाता है । लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यह लोकगीत एक उजबेक जातीय लोकगीत के आधार पर तैयार किया गया है ।

उजबेक जाति इस्लाम धर्म पर विश्वास करने वाली दस चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक मानी जाती है , वह मुख्य रूप से दक्षिण सिन च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में बसी हुई है । जब हमारे संवाददाता समाचार बटोरने के लिये दक्षिण सिन च्यांग वेवुर स्वायत्त प्रदेश के काश्कर क्षेत्र स्थित शा चेह कांऊटी के निवासी अब्दु अलाह मजीद के घर पहुंचे , तो अब्दु अलाह मजीद की छोटी बेटी मिरई की शादी हो रही थी । स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार शादी व्याह दुल्हन के घर पर किया जाता है , अतः अब्दु अलाह मजीद के सभी परिजन इसी शादी व्याह में लगे हुए थे ।

हमारे संवाददाताओं ने देखा कि दुल्हन साफ सुथरा लम्बा सफेद स्कर्ट पहनी हुई है और सिर पर चमकदार सफेद पतला रेश्मी स्कार्फ भी ओढ़ी हुई है । वह अपनी दादी के पास बैठ कर संजीदगी के साथ दादी से उपदेश सुन रही थी । घर वालों के साथ बातचीत से पता चला है कि दुल्हन एक किंडरगार्टन की टीचर है , जबकि दुल्हा एक कंप्युटर सोफ्ट वेयर डिजाईनर है , दो साल से पहले दोनों को एक दूसरे से परिचित हो कर मुहब्बत हो गया और आज दोनों प्रेम के बंधन में बंध हो गये हैं । दुल्हन का पूरा परिवार त्यौहार जैसी खुशियां में डूबा हुआ है । कमरे में हंसी मजाक उड़ाने और गीत गाने की आवाजें एक के बाद एक सुनने को मिल रही थीं , तो कमरे के बाहर लगे शादी मंडप में पुरूष मालिक व मेहमान बिछाये गये कालीन पर बैठकर प्रसन्नता से गपशप मारते और गाना गाते हुए दिखाई दे रहे थे ।

जब कि दुल्हा सिर पर उजबेकिस्तान जाति की विशेष फूलदार छोटी टोपी और कसीदा काढ़ा जातीय पोशाक पहने हुआ है । सुख और खुशी से उस के चहरे पर मुस्कान नजर आयी । उस ने हमारे संवाददाता के साथ बातचीत में कहा

अब हमारा जीवन बहुत अच्छा हो गया है , मैं दुल्हन की मुंहमागी वस्तुएं देने का बिल्कुल काबिला हो गया , उदाहरण के लिये मैं ने सोने की अंगुठी और कुंडल जैसा आभूषण अपनी पत्नी को खरीदकर दे दिया है । इतना ही नहीं , मैं ने बारात के रूप में सात कारें भी किराये पर ले ली हैं । क्योंकि हमारी उजबेक जाति में सातवां अंक शकुन माना जाता है । इस शादी व्याह में लगभग बीस हजार य्वान का खर्चा है , पर यह हमारे गांव में यह सब से ज्यादा नहीं कहा जा सकता ।

स्थानीय रीति रिवाज के अनुसार दुल्हन के घर पर आयोजित शादी व्याह समाप्त होने के बाद बारात दुल्हन को ससुराल तक ले जाता है । दुल्हन के ससुराल पहुंचने के बाद ससुराल के परिजन तैयारशुदा दहज दुल्हन के घर वालों को दिखा देते हैं । कहा जाता है कि इस शादी में दुल्हे ने टी वी सेट , वी सी डी मशीन , मोटर स्कूटर जैसी रोजमर्रे में आने वाली सभी बढिया वस्तुएं तैयार कर रखी हैं । दुल्हे ने कमरे में प्रदर्शित विविधतापूर्ण दहजों की ओर इशारा करते हुए हमें बताया है कि वह अपनी ठोस आर्थिक शक्ति दिखाना चाहते हैं , ताकि दुल्हन के घर वाले अपनी बेटी के विवाहित जीवन पर निश्चिंत हो सके । दुल्हा ने आगे कहा कि बेशक , मैं जिंदगी भर में अपनी दल्हन से प्रेम करता रहूंगा ।

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