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(GMT+08:00) 2007-01-31 14:19:50    
चंगेजस्खां की पूजाविधि मंगोल जाति की पूजा संस्कृति का उच्चतम तौर तरीका है

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प्रिय दोस्तो , चंगेजस्खां के नाम का उल्लेख करते ही आप को मालूम हुआ होगा कि वे पुराने जमाने में मंगोल जाति का महाराजा रहे थे । 13 वीं शताब्दी के शुरू में महाराजा चंगेस्जस्खां ने उत्तर एशियाई महाद्वीप के विभिन्न मैदानी कबीलों को एकीकृत कर मंगोल खान राज्य की स्थापना की ।

चंगेजस्खां कब्रस्थान में पर्यटक समाधियों व मूल्यवान ऐतिहासिक अवशेषों को देखने के अतिरिक्त मंगोल जाति की विशेषता वाली पूजाविधि में भी भाग ले सकते हैं । चंगेजस्खां की पूजाविधि मंगोल जाति की पूजा संस्कृति का उच्चतम तौर तरीका है , इस पूजाविधि की सदारत चंगेजस्खां कब्रस्थान के रक्षक करते हैं । श्री कुरंजाबू चंगेजस्खां कब्रस्तान का रक्षक है । उन्हों ने इस पूजाविधि का परिचय देते हुए कहा कि मैं मार्शल चंगेजस्खां की 38 वीं पीढ़ी की संतान हूं । हमारे खानदान के पूर्वज ने पोहांलशू काल से ही चंगेजस्खां कब्रस्थान की रक्षा करने का दायित्व निभाना शुरू कर दिया , तब से लेकर अब तक हम चंगेजस्खां कब्रस्थान की रक्षा करते और पूजाविधि की सदारत करते आये हैं । मैं तीर्थ दीये जलाने और सूत्र पढ़कर सुनाने जैसा काम भी अपने बेटे को सौंप दूंगा ।

श्री कुरंजाबू ने कहा कि चंगेजस्खां कब्रस्थान में हर वर्ष के वसंत , गर्मियों , शरद और सर्दियों में विशाल भव्यदार पूजाविधियां आयोजित की जाती हैं । मौके पर कब्रस्थान के भीतर पूजा के लिये तैयार मंच पर प्रसादी रखी जाती है , फिर संगीत के साथ साथ पूजा पाठ की जाती है और अन्य विविधतापूर्ण धार्मिक गतिविधियां भी गहरी रात तक चलायी जाती हैं । इन धार्मिक गतिविधियों में मुख्य तौर पर आकाश , पूर्वजों व वीरों की पूजा की जाती है , साथ ही प्राचीन मंगोल जाति की पशुओं , आग्नि , दूध , शराब और गीतों की पूजा करने के विशेष रीति रिवाज भी देखे जा सकते हैं ।

साल में चार बड़े आकार वाली पूजाविधियों के अतिरिक्त चंगेजस्खां में कुछ अन्य प्रकार वाली पूजाविधियां भी होती हैं । इन पूजाविधियों में 13 वीं शताब्दी के बाद मंगोल जाति की पूजा करने की परम्पराएं हू ब हू बनी रही हैं । अरडोस अनुसंधान सोसाइटी के प्रधान ची . चाउ लू ने इस का परिचय देते हुए कहा

चंगेजस्खां कब्रस्थान समूची मंगोल जाति का पूजाविधि स्थल होने के नाते मंगोल के हान राज्य के शुरू से लेकर अब तक अरडोस में बसी मंगोल जाति के बीच अपनी पूजाविधि बरकरार रही है , खास बात यह है कि पूजा करने के विषय में पिछले सात सौ सालों में कोई बदलाव नहीं आया है ।

परम्परागत संस्कृति के सम्मान व संरक्षण के आधार पर चंगेजस्खां ने कुछ नये पर्यटन स्थलों का विकास भी किया है । इन नये पर्यटन स्थलों में पर्यटक मंगोल जाति की विशेष संस्कृति और परम्पराओं से परिचित हो सकते हैं ।

चंगेजस्खां कब्रस्थान पर्यटन क्षेत्र में एक मंगोलियाई इतिहास व संस्कृति म्युजियम स्थापित हुआ है , यह विश्व में एक ऐसा मात्र म्युजियम माना जाता है , जहां बहुत से बहुमूल्य मंगोलियाई ऐतिहासिक अवशेष , विशेष दुर्लभ जातीय वाद्य यंत्र प्रदर्शित हैं , 206 मीटर लम्बा तेल चित्र इतना अधिक चर्चित है कि उस में वास्तविक कलाकौशल से मंगोल जाति के उद्गम , चंगेजस्खां के जन्म से लेकर य्वान राजवंश के पतन तक के इतिहास का चित्रण किया गया है , यह मंगोल जाति का एक ऐतिहासिक गाथा कहा जा सकता है ।

इस के अतिरिक्त कोई भी पर्यटक मेहमान के रूप में चंगेजस्खां कब्रस्थान पर्यटन क्षेत्र में बसे मंगोल जाति के परिवार में जा सकता है , बुजुर्ग चरवाहे द्वारा अपने मंगोलियाई तंबू के सामने ऊन बनाने परम्परागत तौर तरीके को देख सकता है और विशाल मंगोल तंबू में मंगोलियाई भोजन करने के साथ साथ विशेष स्थानीय नृत्य गान का आनन्द उठा सकता है ।

हर वर्ष चंगेजस्खां कब्रस्थान के दर्शन करने और पर्यटन करने वाले पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है । उत्तर पूर्व चीन में रहने वाले श्री चांग रन ने कहा

जंगेजस्खां कब्रस्थान की भवन वास्तु शैली अत्यंत शानदार है , खासकर मूतियां अपने अलग ढंग की हैं । मैं कई बार भीतरी मंगोलिया आया हूं , पर इतना बड़ा मंगोल तंबू पहली बार देखने को मिला । चंगेजस्खां कब्रस्थान सचमुच देखने लायक है ।