विश्व में अनेक देशों की अपनी-अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां हैं । चीन के अलावा भारत का योग, यूरोप की होम्योपैथी भी मशहूर है । परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां विभिन्न देशों की जनता द्वारा दीर्घकाल तक रोगों का मुकाबला करते समय प्राप्त अनुभवों का सारांश करके संपन्न की गयी उपलब्धियां हैं , जिन्होंने मानव की रोगरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है ।
विज्ञान व तकनीक के विकास से रोग, स्वास्थ्य और चिकित्सा पद्धति के प्रति मनुष्य की जानकारियां भी बढ़ी हैं । लोगों को यह महसूस हुआ है कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लिए जो लाइलाज है , उस का परंपरागत चिकित्सा पद्धति के जरिये मुकाबला किया जा सकता है । इसलिए दुनिया के विभिन्न देशों ने परंपरागत चिकित्सा पद्धति का जोरों से अनुसंधान शुरू किया है । चीन भी हमेशा परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अनुसंधान व अनुसरण को महत्व देता आया है। चीन में परंपरागत चिकित्सा पद्धति का हमेशा से प्रसार और व्यापक प्रयोग किया जा रहा है । और चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की अपनी परिपक्व व्यवस्था है , और विदेशों में इस का व्यापक प्रसार भी है । चीनी राजकीय चिकित्सा पद्धति प्रबंध ब्यूरो के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के प्रधान श्री शेन ची श्यांग ने कहा , दुनिया में अनेक देशों की अपनी-अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धतियां हैं। पर उन की तुलना में चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति की अपनी संश्रित व्यवस्था उपलब्ध है । और विदेशों में चीनी चिकित्सा पद्धति का खूब नाम भी है ।
चीन ने अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति को विदेशों में प्रसारित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग शुरू किया है। वर्ष 1970 के दशक से ही चीन सरकार ने विदेशों में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति का प्रसार करने का प्रयास शुरू कर दिया था । अभी तक विश्व के 130 से अधिक देशों में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के क्लीनिक स्थापित हैं , जिन में एक लाख बीस हजार डॉक्टर कार्यरत हैं । चीन ने दूसरे देशों के साथ चिकित्सकों के प्रशिक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान के संदर्भ में भी घनिष्ठ आदान-प्रदान किया है । इधर के वर्षों में परंपरागत चिकित्सा पद्धति सीखने के लिए चीन आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या दूसरी उपाधियों से अधिक रहती है । चीन के परंपरागत चिकित्सा पद्धति शिक्षालयों ने भी दूसरे देशों के कालेज़ों के साथ सहयोग कर या उन के यहां चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति उपाधि खोली है , या उन के साथ चिकित्सकों का संयुक्त रूप से प्रशिक्षण किया है । साथ ही ये चीनी शिक्षालय विदेशी कालेज़ों के साथ परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अनुसंधान , दवा के उत्पादन आदि के संदर्भ में भी निरंतर सहयोग कर रहे हैं । मिसाल है कि चीन और तंजानिया के बीच चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के जरिये एड्स की रोकथाम के संदर्भ में सहयोग किया जा रहा है , चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच जूड़ी-बूटियों से खून की बीमारियों का इलाज करने के संदर्भ में अनुसंधान करने में सहयोग हो रहा है ।
विदेशों में चीन की परंपरागत चिकित्सा पद्धति को प्रसारित करने के सिवा चीन ने परंपरागत चिकित्सा पद्धति से संबंधित कानून निर्माण , प्रबंध तथा राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में परंपरागत चिकित्सा को दाखिला करवाने के संदर्भ में भी विदेशों के साथ सहयोग किया है ।
विश्व चिकित्सा संगठन का मानना है कि परंपरागत चिकित्सा पद्धति मानव की समान संपत्ति है , और महत्वपूर्ण चिकित्सा संसाधन भी है । इसलिए विश्व चिकित्सा संगठन परंपरागत चिकित्सा पद्धति के विकास को महत्व देता है । विश्व चिकित्सा संगठन के बुनियादी औषधि व परंपरागत चिकित्सा पद्धति सहयोग विभाग की प्रधान सुश्री माटसोसो ने कहा , विश्व चिकित्सा संगठन ने वर्ष 2003 में प्रस्तुत अपनी विश्व परंपरागत चिकित्सा पद्धति की विकास रणनीति में संगठन के सभी सदस्य देशों से अपनी-अपनी नीतियां बनाने की मांग की , और यह आशा भी व्यक्त की कि वे परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपनी राजकीय चिकित्सा व्यवस्थाओं में दाखिल करेंगे ।
चीन ने परंपरागत चिकित्सा पद्धति के प्रयोग व प्रबंध में ब्योरेदार व परिपक्व नियम लागू किये हैं । चीन भी विश्व में कुछेक देशों में से एक है जिसने परंपरागत चिकित्सा पद्धति को अपनी राजकीय चिकित्सा व्यवस्था में दाखिल किया है । विश्व चिकित्सा संगठन ने इसीलिए चीन की प्रशंसा करते हुए दूसरे देशों के सामने चीन का अनुभव रखा है ।
विश्व में अनेक देशों ने प्रतिनिधि मंडल भेजकर चीन में परंपरागत चिकित्सा पद्धति से संबंधित कानून निर्माण बनाने , प्रबंधन करने तथा राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में परंपरागत चिकित्सा पद्धति की भूमिका का अनुभव प्राप्त किया है। चीन ने भी विश्व चिकित्सा संगठन के साथ समझौता संपन्न कर सूचना , तकनीक के आदान-प्रदान के जरिये परंपरागत चिकित्सा पद्धति का प्रसार करने में मदद दी है । चीनी राजकीय परंपरागत चिकित्सा पद्धति प्रबंधन ब्यूरो के उप प्रधान श्री ली ता-नींग ने कहा , चीन विश्व चिकित्सा संगठन का सदस्य देश है । इसलिए चीन ने भी अपना कर्तव्य निभाते हुए संगठन के नेतृत्व में परंपरागत चिकित्सा पद्धति के प्रयोग व विकास को बढ़ाने और दूसरे देशों के साथ अनुभवों का साझा करने में पहलकदमी की है । चीन ने अपनी ठोस स्थितियों के अनुसार परंपरागत चिकित्सा पद्धति को राष्ट्रीय चिकित्सा व्यवस्था में शामिल कराया है । इसी संदर्भ में चीन दूसरे देशों के साथ अपने अनुभवों का साझा कर सकता है ।
विदेशों में चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के प्रसार के साथ-साथ भारत का योग और यूरोप की होम्योपैथी आदि भी चीन में आ चुके हैं । चीनी राजकीय चिकित्सा पद्धति प्रबंध ब्यूरो के अंतर्राष्ट्रीय सहयोग विभाग के प्रधान श्री शेन ची श्यांग ने कहा , चीन को विश्व में अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति का प्रसार करने के साथ-साथ दूसरे देशों से परंपरागत चिकित्सा पद्धति सीखनी चाहिये । मिसाल है कि चीनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति के अनुसार हृद्य रोग के इलाज में श्ये-च्ये नामक औषधि का व्यापक प्रयोग किया जाता है । लेकिन यह औषधि इंडोनेशिया के जंगलों में मिलती है । कुछ मसाले वाली औषधियां भी हैं । चीन ने थांग राजवंश से ही अफ्रीका और अरब देशों से दवा के रूप में ऐसी चीज़ों का आयात शुरू कर दिया था। इस तरह यह जाहिर है कि परंपरागत चिकित्सा पद्धति के संदर्भ में चीन प्राचीन काल से ही विदेशों के साथ आदान-प्रदान कर रहा है । और यह भी कहा जाता है कि विश्व के विभिन्न देशों के बीच चिकित्सा पद्धतियों के आदान-प्रदान से हम सब को लाभ मिलेगा ।
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