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जनता तबाह हुई और सरकारी खजाना लगभग खाली हो गया ;उत्पादन लगभग ठप्प हो गया और किसानों का बोझ असहनीय हो गया। वर्ग अन्तरविरोध तीव्र से तीव्रतर होते गए तथा उन्होंने किसान-विद्रोहों को जन्म दिया। इन विद्रोहों में चाए राङ व ली मी के नेतृत्व में वाकाङ किसान सेना द्वारा किया गया विद्रोह (यह उस स्थान पर हुआ था जहां वर्तमान हनान प्रान्त है।
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