• हिन्दी सेवा• चाइना रेडियो इंटरनेशनल
China Radio International Thursday   may 15th   2025  
चीन की खबरें
विश्व समाचार
  आर्थिक समाचार
  संस्कृति
  विज्ञान व तकनीक
  खेल
  समाज

कारोबार-व्यापार

खेल और खिलाडी

चीन की अल्पसंख्यक जाति

विज्ञान, शिक्षा व स्वास्थ्य

सांस्कृतिक जीवन
(GMT+08:00) 2007-01-25 15:15:48    
चंगेजस्खां का कब्रस्थान मंगोल जाति के शानदार मील पत्थर

cri

प्रिय दोस्तो , चंगेजस्खां के नाम का उल्लेख करते ही आप को मालूम हुआ होगा कि वे पुराने जमाने में मंगोल जाति का महाराजा रहे थे । 13 वीं शताब्दी के शुरू में महाराजा चंगेस्जस्खां ने उत्तर एशियाई महाद्वीप के विभिन्न मैदानी कबीलों को एकीकृत कर मंगोल खान राज्य की स्थापना की । इस के बाद के दसियों वर्षों में चंगेजस्खां और अपने उत्तराधिकारों ने क्रमशः मंगोल खां राज्य को विस्तृत कर युरोपीय व एशियाई महाद्वीपों को पार कर एक विशाल सम्राराज्य का रूप दे दिया है । पर आज वह शानदार कारनामा समय बितने के साथ साथ इतिहास के रूप में बदल गया है और चीन के भीतरी मंगोलिया के अरडोस मैदान में स्थापित चंगेजस्खां का कब्रस्थान मंगोल जाति के शानदार मील पत्थर और मंगोल जाति के टेठे मेठे इतिहास और शोभायमान संस्कृति का परिचायक है । आज के चीन के भ्रमण कार्यक्रम में हम आप के साथ चंगेजस्खां के कब्रस्थान का दौरा करने जा रहे हैं ।

श्री छी . इल्देनिबरथ महा राजा चंगेजस्खां की 34 वी पीढी की संतान हैं और वे चीन के भीतरी मंगोलियाई मैदान का अंतिम राजा भी हैं । उन्हों ने परिचय देते हुए कहा कि महा राजा चंगेजस्खां मंगोल जाति का गर्व है ।

पुराने जमाने में हरेक मंगोलियाई खां को राज्यारूढ़ होने से पहले चंगेजस्खां की समाधि की पूजा करना जरूरी था , नहीं तो उसे राजगद्दी पर बैठने का अधिकार नहीं था । जबकि आम लोगों के बीच चाय पीने और खाना खाने या शराब पीने से पहले चंगेजस्खां के सम्मान में प्रथम कप पेश करने की परम्परा भी बनी रही है ।

महाराजा चंगेजस्खां मंगोल जाति का असाधारण राजनीतिज्ञ व सेनापति थे , उन्हों ने मंगोन के विभिन्न कबीलों को एकीकृत करने में उल्लेखनीय कारनामें कर दिये थे । ईस्वी 12 वीं शताब्दी के अंतिम काल में चंगेजस्खां ने सेना का नेतृत्व कर उत्तर चीन की मंगोलियाई पठार पर कब्जा कर शक्तिशाली सम्राज्य की स्थापना की । सन 1227 में चंगेजस्खां युद्ध करने के दौरान किसी बीमारी के कारण इस दुनिया से चल बसे । ऐतिहासिक सामग्री के अनुसार चंगेजस्खां को गुप्त रूप से वर्तमान अल्थाई की दक्षिण तलहटी में दबाये गये थे ।

चंगेजस्खां के देहांत के बाद उन के वंशजों ने घोड़े की काठी , ध्वज और चाबुक जैसे उन के अवशेषों को आठ सफेद तंबूओं में रख दिया है । 15 वीं शताब्दी के मध्यकाल में उक्त अवशेष फिर आज के अरडोस घास मैदान में स्थानांतरित किये गये । नये चीन की स्थापना के बाद मंगोल जाति के जनसमुदाय के आवेदन पर केंद्र सरकार ने प्रतिनिधि मंडल भेजकर चंगेजस्खां के कब्र को उन की जन्मभूमि अरडोस में भी स्थानांतरित किया ।

वर्तमान में तीन मंगोलियाई तंबूओं वाले भवन रूपी चंगेजस्खां कब्रस्थान दो बार पुनर्निमित कर अत्यंत आलीशान नजर आता है । मुख्य भवन में चंगेजस्खांकी पांच मीटर ऊंची संगमरमर मूर्ति रखी हुई है , मूर्ति के पीछे एक विशाल नक्षा अंकित हुआ है , जबकि मूर्ति के सामने धूपदान और दिन रात जलते घी दीये भी रखे हुए हैं । पिछले भवन और पूर्वी व पश्चमी भवनों में अलग अलग तौर पर चंगेजस्खां व उन की तीन पत्नियों के ताबूत और उन की काठी तथा पूजा में प्रयुक्त दूध बालटी भी संरक्षित हैं ।

Post Your Comments

Your Name:

E-mail:

Comments:

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040