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(GMT+08:00) 2007-01-25 19:50:50    
भारत की राष्ट्रीय मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी चीन में

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इधर के दिनों में अवकाश के समय पेइचिंग वासी राजधानी संग्रहालय जाते हैं, वहां प्राचीन सभ्यता वाले देश भारत की राष्ट्रीय मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी चल रही है, जो चीनी दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है । इस तरह इधर के दिनों में भारत पर एक बार फिर चीनी लोगों का ध्यान केंद्रित हुआ है ।

भारत एक रहस्यमयी व सुन्दर प्राचीन देश है । आगरे का ताज महल, रहस्यमय भारतीय धर्म तथा विविध देवी-देवता, प्राकृतिक सौंदर्य और अनगिनत सांस्कृतिक धरोहर हमेशा से चीनी लोगों को लुभाते आ रहे हैं । चीन की राजधानी पेइचिंग में आयोजित भारत की राष्ट्रीय मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी से चीनी लोग देश में ही भारत की प्राचीन सांस्कृतिक व कलात्मक वस्तुओं का मज़ा ले सकते हैं ।

पश्चिम के देवी-देवता---प्राचीन भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी नामक गतिविधि चीन-भारत मैत्री-वर्ष की महत्वपूर्ण गतिविधियों में से एक है , जिस का आयोजन चीनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो और भारतीय पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय के पुरातत्व विभाग ने संयुक्त रुप से किया है । प्रदर्शनी में सौ से ज्यादा सांस्कृतिक वस्तुएं प्रथम बार चीन में प्रदर्शित की जा रही हैं, जो बौद्धिक धार्मिक मूर्तियों का इतिहास, हिंदू धर्म की मूर्तियों का इतिहास आदि चार भागों में बंटी हुई हैं । ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के मौर्य राजवंश से ले कर ईसा की आठवीं शताब्दी तक की वस्तुएं इस प्रदर्शनी में शामिल हैं । इस प्रदर्शनी में प्राचीन भारत की सभ्यता झलकती है ।

वर्ष दो हज़ार छ की 26 दिसम्बर को प्रदर्शनी का उद्घाटन पेचिंग के राजधानी संग्रहालय में किया गया । चीनी उप विदेश मंत्री श्री ताई पिन क्वो, चीनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के निदेशक श्री शान ची श्यांग, भारतीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री सुश्री अम्बिका सोनी, चीन स्थित भारतीय राजदूत सुश्री निरुपमा राय तथा भारतीय पर्यटन व संस्कृति मंत्रालय के अधीनस्थ पुरातत्व विभाग के निदेशक श्री बाबू राजीव आदि नेताओं और संबंधित विभागों के व्यक्तियों समेत दौ सो से ज्यादा लोगों ने इस में भाग लिया ।

चीनी राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष ब्यूरो के निदेशक श्री शान ची श्यांग ने कहा कि चीन और भारत पड़ोसी देश ही नहीं, मैत्रीपूर्ण साझेदार भी हैं। हजारों वर्षों की ऐतिहासिक प्रक्रिया में दोनों देशों की सभ्यताओं ने रुपाकार हासिल किया है, और इन्होंने विश्व सभ्यता के लिए भारी योगदान किया है। उन का कहना है,"सांस्कृतिक आवाजाही लोगों के दिल में विचारों के आदान-प्रदान का पुल है । चीनी सभ्यता और भारतीय सभ्यता एक दूसरे को प्रभावित करती हैं। भारत का बौद्ध धर्म, नृत्य और खगोल व पंचांग शास्त्र ने चीन में प्रवेश किया, इस के साथ ही चीन से रेशम, मिट्टी बर्तन, चाय तथा संगीत भारत गए । दोनों देशों ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान से लाभ उठाया है । इस से विश्व सभ्यता के लिए सामंजस्य पैदा हुआ है ।"

श्री शान ची श्यांग ने कहा कि मौजूदा प्रदर्शनी चीन-भारत मैत्री-वर्ष का महत्वपूर्ण भाग है । प्राचीन भारतीय सभ्यता ने चीन में आ कर हिमालय पर्वत को पार कर चीन के साथ हाथ मिलाया है और दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान शुरु हुआ है ।

भारतीय पर्यटन व संस्कृति मंत्री सुश्री अम्बिका सोनी ने अपने भाषण में कहा कि प्राचीन समय से ही चीनी और भारतीय विद्वानों, कलाकारों, व्यापारियों तथा भिक्षुओं के बीच लम्बे समय तक की आवाजाही से दोनों देशों में आपसी आदान-आदान की मजबूत बुनियाद पड़ी है । चीन भारत मैत्रीपूर्ण आवाजाही में सांस्कृतिक व कलात्मक आवाजाही का अहम स्थान है । चीन के कान सू प्रांत के तुन ह्वा शहर, शान शी प्रांत के ता थोंग शहर तथा हनान प्रांत के लो यांग शहर की गुफ़ाओं में प्राचीन भारतीय गुफ़ाओं के भित्ति चित्र बने हुए हैं । चीन की तुनह्वांग गुफ़ा तथा अजंता तथा ऐलौरा के भित्ति चित्र मानव जाति की मूल्यवान निधि हैं । सुश्री अम्बिका सोनी ने कहा,"मौजूदा प्रदर्शनी में प्रदर्शित अधिकतर मूल्यवान सांस्कृतिक अवशेष प्रथम बार भारत से बाहर आए हैं । मौजूदा प्रदर्शनी का आयोजन हम दोनों देशों की परम्परागत मैत्री का गुणगान का सब से अच्छा उपाय है । भारत-चीन मैत्री-वर्ष से हमें यह सोचना चाहिए कि दोनों देशों की हज़ारों वर्षों की मैत्री को कैसे आगे बढ़ाया जाए और कैसे द्विपक्षीय संबंधों की सर्वतौमुखी निहित शक्ति की खोज की जाए ।"

प्राचीनी भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में चीनी उप विदेश मंत्री श्री ताइ पिन क्वो ने भाषण देते हुए कहा कि उन्होंने भारत की कई बार यात्रा की है, उन्हें भारत बहुत पसंद है । भारत का न केवल इतिहास पुराना है , बल्कि यहां रंगबिरंगी संस्कृति भी है। भारतीय जनता ने मानव जाति की प्रगति के लिए भारी योगदान किया है । प्राचीन भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी में सभी मूल्यवान चीज़ें प्राचीन भारतीय जनता की बुद्धि की प्रतीक हैं । श्री ताइ पिन क्वो ने कहा,"चीन और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण आवाजाही का इतिहास बहुत पुराना है । प्राचीन रेशमी मार्ग दोनों देशों की जनता की मैत्री को जोड़ने वाला रास्ता रहा है । इस रास्ते पर आगे बढ़ते हुए चीनी और भारतीय जनता ने एक दूसरे की सभ्यताओं के बीजों का प्रसार किया है । प्राचीन भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी में सभी वस्तुएं भारत की प्राचीन संस्कृति की झलक दिखाती हैं । इस प्रदर्शनी से चीनी नागरिकों को भारतीय सांस्कृतिक मूल्यवान चीज़ों का देखने का अवसर मिला है, साथ ही इस प्रदर्शनी से हज़ारों वर्षों तक चीन और भारत की मैत्रीपूर्ण आवाजाही जाहिर हुई है ।"

चीन स्थित भारतीय राजदूत सुश्री निरूपमा राय ने चीन में अभी-अभी राजदूत का पद संभाला है । उन्होंने प्राचीनी भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी के मौके पर कहा,"मौजूदा प्रदर्शनी चीन-भारत मैत्री-वर्ष के पूर्ण होने की अंतिम कार्रवाही है । लेकिन इस का एक विशेष महत्व यह भी है कि यह चीन भारत मैत्री वर्ष की भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों में से सब से बड़ी गतिविधि होने के साथ ही वर्ष 2007 चीन-भारत पर्यटन मैत्री वर्ष से मिल जाती है। इस से दोनों देशों के बीच पारस्परिक संपर्क को मज़बूत करने, विशेष कर गैर-सरकारी संपर्क के क्षेत्र में भारत की सदिच्छा जाहिर हुई है ।"

सूत्रों के अनुसार प्राचीन भारत की मूल्यवान वस्तुओं की प्रदर्शनी पेइचिंग में दो महीना चलेगी, इस के बाद चीन के चङ चो, छुंगछिंग तथा क्वांग चो आदि तीन शहरों में प्रदर्शित की जाएगी । यह प्रदर्शनी इस वर्ष के अक्तूबर माह तक चीन में जारी रहेगी ।