दोस्तो,लातिन अक्षरों की तुलना में चीनी अक्षर और भाषा में विशेष आकर्षण है जिसे परंपरागत चीनी लिपिकला में देखा जा सकता है और परंपरागत चीनी हास्य संवाद कला में महसूस किया जा सकता है।अब पेश है मशहूर चीनी हास्य संवाद कलाकार मा-ची की कहानी जिन का हाल ही में स्वर्गवास हुआ है।
《 मैत्री की सराहना 》नामक हास्य-संवाद चीन में बहुत लोकप्रिय रहा है,जिसे पिछली शताब्दी के 8वें दशक में मा-ची और उन के एक सहयोगी ने देश भर के सांस्कृतिक समारोहों में प्रस्तुत किया। इस हास्य-संवाद में चीन-अफ्रीका मैत्री व सहयोग की सराहना की गई है।चीन में हास्य-संवाद कला की शुरूआत बहुत पहले हो गई थी,मगर एक स्वतंत्र कला के रूप में उस का इतिहास लगभग 80 साल से केवल कुछ अधिक का ही है। हास्य-संवाद भाषा की एक कला है,जिस का ढंग टॉक-शो से मिलता-जुलता है और जिस के विषय में हास्य और व्यंग का होना जरूरी है। हास्य-संवाद के कलाकार जीवन में मौजूद कॉमेडी तत्वों और जीवन के अंतरविरोधों का गहन अन्वेषण करने के बाद ही सफल हास्य-संवाद लिख पाते हैं और उन्हें प्रस्तुत करते हैं।
हास्य-संवाद《मैत्री की सराहना》की चर्चा करते हुए स्वर्गवास होने से पहले 72 वर्षीय मा-ची के शब्दों में
"《मैत्री की सराहना》कोई 30 साल पहले लिखा गया था,जो आज भी मुझे उतना ही ताज़ा लगता है। इस हास्य-संवाद के मूल लेखक चीनी रेल मंत्रालय के त्रितीय विज्ञान-तकनीकी अनुसंधान-प्रतिष्ठान के एक इंजीनियर हैं,जिन्हों ने तंजानिया में चीन द्वारा तंजानिया के सहायतार्थ तैयार किए जा रहे रेलवे के डिजाइन और निर्माण के कार्य में भाग लिया था।यह हास्य-संवाद सांस्कृतिक मंच पर प्रस्तुत होने के बाद तुरंत ही लोकप्रिय हो गया। चाहे सड़क हो या गली-कूचा, हर जगह लोगों के मुंह से इस हास्य-संवाद में इस्तेमाल किए गए स्वाहिली भाषा के कुछ वाक्य सुनाई पड़ते थे। पेइचिंग में काम करने वाले अफ्रीकी लोग भी इस हास्य-संवाद की नकल करने से कभी नहीं चूके। यह हास्य-संवाद उस समय निश्चित रुप से सब से प्रभावशाली एक सांस्कृतिक कार्यक्रम था।"
हास्य-संवाद《मैत्री की सराहना》 मा-ची द्वारा दर्शकों के सामने प्रस्तुत सैकड़ों हास्य-संवादों में से मात्र एक है। चीनी हास्य-संवाद कलाकारों में से मा-ची ने जो कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं,उन की संख्या सर्वाधिक है।
मा-ची सन् 1934 में एक बहुत गरीब परिवार में जन्मे थे। जीवन के लिए वह 14 साल की उम्र में ही शांघाई शहर की एक कपड़ा मिल में बाल-मजदूर बने। 1949 में चीन लोक गणराज्य की स्थापना के बाद वह पेइचिंग आकर पुस्तकों की एक दुकान में काम करने लगे। आशावादी स्वभाव होने के कारण वह बचपन से ही आम लोगों के साधारण जीवन में मजा लेने और उसे सफलता पूर्वक हास्य-संवाद कला में अभिव्यक्त करने लगे थे।
उदाहरणार्थ वह तरह-तरह के फेरी वालों की आवाज़ लगाने की नकल करने और विभिन्न स्थानीय बोलियों की सजीव नकल कर आसपास के लोगों को भ्रम में डालने या हंसाने में निपुण थे।
1956 में मा-ची की जिन्दगी में एक नया मोड आया जब एक सांस्कृतिक समारोह में उन्हों ने अपनी प्रतिभा दिखा कर दिग्गज कलाकारों को प्रभावित किया और उन्हें मशहूर चीनी प्रसारण कला मंडली में दाखिला दिया गया। इस मंडली के एक नेता,प्रसिद्ध हास्य-संवाद कलाकार श्री हो पाओ-लिन के स्नेहपूर्ण निर्देशन में वह अपनी विशेष संवेदनशीलता और याददाश्त से जल्द ही देश भर में विख्यात हो गए।
पिछले कोई 50 सालों में मा-ची ने देश के करीब सभी क्षेत्रों में पदचिन्ह छोडे हैं और 300 से अधिक हास्य-संवाद लिखे हैं। पूर्वोत्तर एशिया में बसने वाले चीनियों में भी वह और उन के हास्य-संवाद खासे लोकप्रिय हैं। चीन में अनेक विदेशी छात्रों को भी चीनी संस्कृति से लगाव होने के कारण हास्य-संवाद कला पसन्द है। वे मा-ची को अपना गुरू मानकर नियमित रूप से उन के कार्यालय या निवास जाकर शिक्षा लेते रहे हैं। मा-ची भी उन्हें शिक्षा देने के लिए बहुत उत्साहित रहे हैं। उन का मानना था कि ऐसा करने से चीनी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में मदद मिलती है। वे उन्हें संबंधित ज्ञान और प्रशिक्षण देने के साथ-साथ उन्हें किसी सांस्कृतिक मंच पर अभिनय करने के मौके उपलब्ध कराने में भी सक्रिय रहे हैं।उन्हीं के शब्दों में
"पिछले साल मैं ने हास्य-संवाद《ब्रांड वाले की तलाश》लिखा,जिस में देशी उद्योग के विकास से लोगों में ब्रांड वालों के प्रति बढती जागृति की चर्चा की गई है। मैं ने अपने दो विदेशी शिष्यों एक अफ्रीकी और एक फ्रांसीसी के साथ संयुक्त रुप से इस का मंचन किया।पुराने हास्य-संवादों की तरह इसे भी दर्शकों की तालियां और वाहवाही मिली। "
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