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(GMT+08:00) 2007-01-19 15:14:51    
स्वेइ राजवंश के अन्तिम काल के किसान-विद्रोह

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"मिङ चिङ"(प्राचीन शास्त्र विशेषतज्ञ) और "चिन शि"(उच्चस्तरीय विद्वत्ता) जैसी उपाधियों के लिय भी परीक्षा लेने की प्रथा शुरू की गई ।

इस प्रथा के साथ ही चीन में सरकारी अफसरी की शाही परीक्षा का प्रारम्भ हुआ।

आर्थिक क्षेत्र में , स्वेइ राजवंश ने उत्तरी वेइ राजवंश का अनुकरण करते हुए भूमि के समान वितरण की व्यवस्था अपनाई ।

करों में कटौती और बेगार में आंशिक छूट से किसानों का बोझ कुछ हलका हुआ तथा समाज में स्थिरता आई । सामाजिक उत्पादन में अत्यधिक वृद्दि हुई ।

करों के रूप में सरकार द्वारा जो अनाज, कपड़ा और रेशम इकट्ठा किया जाता था उसकी मात्रा बहुत बढ़ गई । देश में अनाज के भंडार अपनी पूर्ण क्षमता तक भरे रहने लगे ।

अधिक से अधिक कर व नजराना वसूल करने के लिय - विशेष रूप से छाङच्याङ नदी के दक्षिण के इलाकों से - सम्राट याङती (शासनकाल 605-618) ने 605 ई. में उत्तर चीन को दक्षिण चीन से जोड़ने वाला अनाज व रेशम आसानी से उत्तर में भेजा जा सके ।

उत्तर से दक्षिण की ओर प्रवाहित होने वाली चार अलग-अलग नहरों -युङची, युङची, हानकओ और च्याङनान- से मिलकर बनी इस बड़ी नहर की कुल लम्बाई 2000 किलोमीटर से अधिक थी ।

इसका विस्तार अपने मध्यस्थल ल्वोयाङ से उत्तरपूर्व में च्वोच्युन (वर्तमान पेइचिङ के दक्षिणपश्चिम में स्थित) तक और दक्षिणपर्व में य्वीहाङ (वर्तमान हाङचओ) तक था ।

 इस के निर्माण से छाङच्याङ नदीघाटी और ह्वाङहो नदीघाटी के बीच का सम्पर्क सुदृढ़ हुआ और आर्थिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान सरल हो गया । बड़ी नदी नहर राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण परिवहन धमनी का काम करने लगी ।

स्वेइ सम्राट याङती ने अपने शासनकाल में भोगविलास के लिए बड़े-बड़े महल बनवाने में सार्वजनिक कोष का घोर अपव्यय किया।

उसने छाङच्याङ नदी के दक्षिण के इलाके की तीन बार आमोद-यात्राएं भी कीं। उसकी इन गतिविधियों में श्रमशक्ति और वित्तीय साधनों की भारी बरबादी होती रही।

उसने तीन बार कोरिया पर हमला कर उसे जीतने की कोशिश की और अपने सेन्य-अभियानों के लिए दसियों लाख किसानों को सैनिकों व बेगारियों के रूप में जबरन भर्ती किया।