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(GMT+08:00) 2007-01-17 15:29:35    
तिब्बत में शिक्षा का विकास

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तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शाननान क्षेत्र के त्सेतांग कस्बे का अपना प्राइमरी स्कूल है। उसके छात्र तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के दूसरे क्षेत्रों के बच्चों की ही तरह तिब्बती भाषा बोलते हैं।

तिब्बत का विशेष भौगोलिक व सांस्कृतिक वातावरण है। 1959 से पहले तिब्बत में सामंतवादी व्यवस्था लागू थी। तब तिब्बत के 95 प्रतिशत लोग गुलाम थे और उनके पास शिक्षा पाने का मौका नहीं था। वर्ष 1959 में चीन सरकार ने तिब्बत में जनवादी रूपांतरण लागू किया। इसके तहत गुलामों को मुक्त किया गया और उन्हें स्वतंत्रता के साथ भूमि तथा पशु सौंपे गये। इसके साथ ही उन्हें शिक्षा पाने का अवसर भी प्राप्त हुआ।

वर्ष 1965 में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की गयी। केंद्र सरकार ने जातीय भाषा के विकास को महत्व दिया और तिब्बत के सभी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में तिब्बती और हान दोनों भाषाओं का प्रयोग किया जाने लगा । किसानों व चरवाहों के बच्चों का शिक्षा स्तर इससे बहुत उन्नत हुआ।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी श्री मारजूंग ने बताया कि पिछले चालीस वर्षों में तिब्बत की विभिन्न स्तरीय शिक्षा संस्थाओं ने तिब्बती भाषा के शिक्षा को हमेशा महत्व दिया। उन्हों ने कहा , तिब्बती भाषा तिब्बती जाति की उन्नतिशील संस्कृति का भाग है। अगर इस का विकास न किया गया तो हम अपनी संतानों के लिए क्या विरासत सुरक्षित कर सकेंगे।

इस सवाल को ध्यान में रख कर ही स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने विशेष तौर पर तिब्बती भाषा कार्य कमेटी तथा तिब्बती भाषा कार्य निर्देशन दल की स्थापना की। तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सभी विभिन्न स्तरीय सरकारों में अब ऐसी संस्थाएं निर्मित की जा चुकी हैं।

श्री मारजूंग के अनुसार तिब्बत में सभी छात्रों को प्राइमरी से हाई स्कूल तक तिब्बती भाषा सीखनी पड़ती है। हान भाषा सीखना वे प्राइमरी स्कूल की तीसरी कक्षा से ही शुरू करते हैं। इस का मकसद यही है कि वे भविष्य में दो भाषाओं के सहारे तिब्बत और देश के दूसरे क्षेत्रों में बेहतर जीवन बिता सकें।

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शाननान कस्बे की नाइतुंग काउंटी के मिडिल स्कूल के सभी छात्र तिब्बती किसानों तथा चरवाहों के परिवारों से हैं। इस स्कूल की हर कक्षा में हान और तिब्बती दोनों भाषाएं पढ़ाई जाती हैं। छात्रों की ये दोनों भाषाएं बोलने की क्षमता बढ़ाने के लिए स्कूल में बार-बार सांस्कृतिक समारोह आयोजित किये जाते हैं, जिनमें हान और तिब्बती दोनों भाषाओं का प्रयोग होता है। छात्र इन गतिविधियों के जरिये बोलने और लिखने की अपनी क्षमता बढ़ा सकते हैं। इस स्कूल के छात्र पींगछ्वो वांगत्वेई ने कहा , तिब्बती भाषा हमारी जाति की बोली है। तिब्बती भाषा की कक्षा में हम तिब्बत जाति का इतिहास, कविताएं तथा विदेशी भाषाओं से अनुदित उपन्यास पढ़ सकते हैं। मुझे यह बहुत पसंद है। मिडिल स्कूल से उत्तीर्ण होने के बाद मैं हाई स्कूल में भी पढ़ना जारी रखूंगा । मैं भविष्य में एक अध्यापक बनना चाहता हूं।

शाननान इलाके के शिक्षा व खेल विभाग के उप प्रधान श्री त्साशीच्यात्सो ने बताया कि इस क्षेत्र के सभी प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में हान और तिब्बती दोनों भाषाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

 प्राइमरी स्कूल में छात्र मुख्य तौर पर तिब्बती भाषा के माध्यम से अध्ययन करते हैं और मिडिल स्कूल में वे दोनों भाषाओं का एक साथ इस्तेमाल करना शुरू करते हैं। इधर अनेक प्राइमरी स्कूलों में प्रथम कक्षा से ही हान भाषा पढ़ाई जाने लगी है , जिसका छात्रों के माता-पिता तथा पूरे समाज ने स्वागत किया है।

छात्र प्राइमरी स्कूल से ही हान भाषा सीखना शुरू कर मिडिल स्कूल पहुंचने तक हान भाषा के जरिये हासिल की जा सकने वाली ऐसी बहुत सी उपाधियां चुन सकेंगे, जो उन के लिए बहुत लाभदायक साबित हो सकती हैं।

तिब्बती और हान भाषाओं के प्रयोग पर जोर देने के साथ तिब्बत के कुछ प्राइमरी स्कूलों में तीसरी कक्षा के छात्रों से अंग्रेज़ी भी पढ़ाई जाने लगी है।

तिब्बत के लीनची मिडिल स्कूल की दीवार पर यह नारा लिखा है, जन्मभूमि के लिए सीखों तिब्बती भाषा, देश के लिए हान भाषा और भविष्य के लिए अंग्रेज़ी भाषा।

श्री तानचंगच्वनफेइ का बेटा इस स्कूल में पढ़ता है। उन्होंने संवाददाताओं को बताया , मैं तिब्बत के प्राइमरी व मिडिल स्कूलों की बहुभाषी शिक्षा का समर्थन करता हूं । तिब्बत में आज जगह-जगह भीतरी इलाकों से आये हान लोग तथा विदेशी पर्यटक नजर आते हैं।

अगर हम हान भाषा और अंग्रेजी न बोलें तो उन के साथ बातचीत कैसे कर सकेंगे। स्कूलों में छात्रों को हान भाषा, अंग्रेज़ी और तिब्बती भाषा साथ-साथ सिखाये जाने की बड़ी जरूरत है।