आज के इस कार्यक्रम में नैनीताल उत्तर प्रदेश के अश्विनी सारस्वत और श्रीवास्तव के पत्र शामिल हैं.
नैनीताल उत्तर प्रदेश के अश्विनी सारस्वत जानना चाहते हैं कि चीन में भारतीय छात्रों के लिए पढने की क्या व्यवस्था है?
चीन और भारत की सरकारों के बीच संपन्न समझौते के अनुसार दोनों देश प्रतिवर्ष कुछ छात्रों का आदान-प्रदान करते हैं। इस तरह कोई 30,40 छात्र एक दूसरे के यहां पढने जाते हैं। हां,भारत में चीन आने वाले छात्रों का चयन कैसे होता है,इस बारे में हमारे पास अधिक जानकारी नहीं है।सुना है कि इस के लिए किसी परीक्षा में बैठना आवश्यक है। बहरहाल हम आप को यही सलाह दे सकते हैं कि आप अपने यहां के शिक्षा विभाग से इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त कर लें।
नैनीताल उत्तर प्रदेश के श्रीवास्तव पूछते हैं कि चीन में कितने लोग तंबाकू या सिगरेट पीते हैं? क्या बाजार में इस लत से मुक्ति दिलाने वाली कोई दवा है ?
चीन दुनिया में तंबाकू का सब से बड़ा उत्पादन और उपभोग करने वाला देश है.चीन में 63 प्रतिशत पुरूष और 4 प्रतिशत महिलाएं सिगरेट का सेवन करती हैं.उन की कुल संख्या 32 करोड़ से अधिक है.कुछ समय पहले चीनी चिकित्सा अकादमी,ब्रितानी ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी और अमरीकी कंनर युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चीन भर में तंबाकू या सिगरेट के सेवन के मृत्यु दर पर पड़े प्रभाव का संयुक्त अनुसंधान किया.वे इस नतीजे पर पहुंचे कि इस समय चीन में हर रोज लगभग 2000 लोग तंबाकू या सिगरेट पीने से काल के गाल में समा जाते हैं.यह स्थिति यदि इसी तरह जारी रही,तो 2050 तक हर रोज यह संख्या 8000 तक पहुंच जाएगी.
सर्वविदित है कि तंबाकू या सिगरेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है. बहुत से सिगरेट पीने वाले लोगों का कहना है कि सिगरेट पीने से उन्हें स्फूर्ति मिलती है,पर तथ्यों से यह साबित हुआ है कि इस स्फूर्ति के पीछे जो खतरा छिपा है,वह कई वर्षों बाद धीरे-धीरे उभर कर सामने आता है.चीन सरकार ने अपने नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए सिगरेट की डिब्बी पर तंबाकू या सिगरेट का सेवन खतरनाक है जैसी चेतावनी छपवाने,सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट पीने पर पाबंदी लगाने तथा देशी कंपनियों को सिगरेट पीने की लत से छुटकारा दिलाने वाली औषधियों का आविष्कार करने की प्रेरणा देने तथा विदेशों से इस तरह की औषधियों का आयात करने आदि के कदम उठाये हैं.
अभी चीन के बाजार में वैरानक्लीन नामक एक दवा खूब बिक रही है.यह दवा अमरीका में जंगली तंबाकू से बनी बतायी जाती है,जिस से तंबाकू या सिगरेट पीने की लत छुड़ाई जा सकती है.चीनी विशेषज्ञों ने बताया कि यह दवा जंगली तंबाकू नामक पौधे से बनाई गई है.इस में साईटिसिन नामक एक रसायन होता है जो शरीर के निकोटीन रिसेप्टर में काम करता है.यह रसायन मस्तिष्क में पहुंच कर तंबाकू के प्रति अरूचि पैदा करता है और इस की लत का शिकार व्यक्ति इसे छोड़ने पर मजबूर हो जाता है.वैरानक्लीन दवा मस्तिष्क के रिसेप्टर को निष्क्रिय करती है जो तंबाकू की आदत को उत्तेजित करती है.यह दवा एलोपैथिक है लेकिन जड़ी-बूटी से बनी है.
अमरीका के हावर्ड विश्विद्यालय में इस दवा का अनुसंधान हुआ है.विश्वविद्यालय इसे अपनी वर्ष 2005 की बहुत बडी उपलब्धि मान रहा है.वहां वैरानक्लीन का सफल परीक्षण किया गया है, जिस में 2000 व्यक्तियों को दवा दी गयी तो पाया गया कि दवा लेने के बाद 44 प्रतिशत लोगों ने सिगरेट व तंबाकू का सेवन छोड़ दिया.
अनुसंधान के अनुसार 70 फीसदी लोगों का कहना है कि वे सिगरेट पीने की लत छोड़ना चाहते हैं लेकिन छोड़ नहीं पाते हैं.प्रबल इच्छाशक्ति के चलते मात्र 2 से लेकर 5 प्रतिशत लोग ही सिगरेट पीना छोड़ पाते हैं.सिगरेट पीने के 10 सेकेंड के अंदर इस का निकोटीन मस्तिष्क में पहुंच जाता है.यह निकोटीन 100 वाट के बल्ब के बराबर उत्तेजना पैदा करता है.अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि वैरानक्लीन को लेने से दुबारा सिगरेट पीने की इच्छा नहीं रह जाती है.
वैरानक्लीन दवा के परीक्षण में पाया गया कि इस दवा का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है.अभी चीनी बाजार में सिगरेट छुड़ाने के लिए अनेक प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं,पर कहा गया है कि उन से 20 से 30 प्रतिशत लोग ही सिगरेट छोड पाते हैं.लेकिन वैरानक्लीन के बारे में दावा किया जा रहा है कि इस से 50 प्रतिशत लोग सिगरेट से मुक्ति पा जाएंगे.

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