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(GMT+08:00) 2007-01-15 11:03:37    
 विश्व की सब से सुन्दर पुस्तक का विमोचन किया गया

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कुछ समय पूर्व《 छाओ श्वय-छिन की पतंग-कला》 नामक एक पुस्तक को वर्ष 2006 की "विश्व की सब से सुन्दर पुस्तक" चुना गया। यह पुस्तक अपनी विशेष ढंग से चीन की परंपरागत कला व संस्कृति प्रदर्शित करती है। सर्वेक्षण के अनुसार चीन के कागजी पतंगों के निर्माण के कोई एक हजार वर्ष पुराने इतिहास में छाओ श्वय-छिन द्वारा आविष्कृत शैली की अपनी अद्भुत पहचान है,जिस का पतंग बनाने के पुराने तरीकों पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। इस समय उन के द्वारा निर्मित पतंग पेइचिंग की अभौतिक सांस्कृतिक संपदाओं की सूची में शामिल की गयी है।

एक बहुत पुरानी सभ्यता वाला देश होने के नाते चीन में लोककला और संस्कृति से जुडी अन्य बहुत सी वस्तुएं समाज में बिखरी हुई हैं, जमीन में गड़े मोतियों की तरह जिन की चमक सामने नहीं आ सकी है। तेजी से हो रहे आधुनिकीकरण के दौर में उन के मिटने के खतरे और बढ गए हैं। ऐसे में चीन सरकार ने तीन साल पहले लोककला व संस्कृति के अवशेषों को बचाने के लिए एक परियोजना बनाई । देश के दसियों प्रकाशन-गृहों ने इस परियोजना के क्रियान्वयन में भाग लिया,ताकि अभौतिक सांस्कृतिक संपदा के रूप में लोककला व संस्कृति से जुडी साग्रमियों का संग्रह औऱ संकलन कर उन का प्रकाशन किया जा सके।

2005 में चीन के प्रसिद्ध जुंगह्वा प्रकाशन-गृह ने चीनी लकड़ी बोर्ड चित्रों के एक ग्रंथ का प्रकाशन किया,जिस में पूर्वी चीन के शानतुंग प्रांत के यांगचाबू क्षेत्र मे प्रचलित लकड़ी

बोर्ड चित्रों के कोई 300 वर्ष पुराने इतिहास और उन्हें बनाने के विशेष तरीके का विवरण दिया गया है। इस प्रकाशन-गृह के प्रधान संपादक श्री ली-यान ने कहाः

लोककला व संस्कृति से जुड़े अवशेषों का संकलन कर प्रकाशित करना हमारा अनिवार्य कर्तव्य है। इस कर्तव्य का अनमोल अकादमिक मूल्य़ है,सो हमें उसे अच्छी तरह निभाना चाहिए। हमारा लक्ष्य समय की कसौटी पर खरी उतर सकने वाली श्रेष्ठ पुस्तकें प्रकाशित करना है।

चीन में लोककला और संस्कृति संबंधी अवशेषों के बचाव व संरक्षण-कार्य के गहराई में चलने के साथ-साथ प्रकाशन के इंतजार में खड़ी पुस्तकों की संख्या भी लगातार बढती जा रही है। उदाहरणार्थ चीन की काऊंटियों में प्रचलित लोककला व संस्कृति पर 2700 ग्रंथों वाली एक पुस्तक स्छ्वान प्रांत के प्रमुख शी-ताई प्रकाशन-गृह द्वारा 10 करोड चीनी य्वान की पूंजी लगाकर प्रकाशित की जा रही है। अनुमान है कि प्रकाशन-कार्य को पूरा करने में 1,2 साल का समय लगेगा। चीन का अन्य एक प्रमुख प्रकाशन-गृह बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकाशन गृह 《चीनी लोककथाओं का बृहदकोष》के प्रकाशन के कार्य में व्यस्त है। इस पुस्तक के 2800 ग्रंथ होंगे औऱ इन सब का प्रकाशन करने में भी कई सालों का समय लगेगा। छिंगह्वा विश्वविद्यालय के ललितकला प्रतिष्ठान के प्रोफेसर चाओ-च्यान के अनुसार इस तरह की पुस्तक फैशनेबुल जीवन पर आधारित पुस्तकों से कम आकर्षित होती हैं। इसलिए उस का प्रकाशन करते समय दिमाग ज्यादा खपाने की ज़रूरत है। उन्हों ने कहाः

"किस तरह से लोककला व संस्कृति का अच्छा संरक्षण किया जा सकता है? और किस तरह से संबंधित पुस्तकों को लोकप्रिय बनाया जा सकता है ? इस के लिए प्रकाशन-जगत को उपाय ढूंढने चाहिए और नयी-नयी बातें सोचनी चाहिए। घिसी-पिटी बातें करना बेकार है। जब तक नए-नए विचार सामने नहीं आएंगे, फैशनेबुल विषयों से अलग परंपरागत लोककला व संस्कृति से संबंधित विषयों वाली पुस्तकों को कैसे वर्तमान पाठकों में लोकप्रिय बनाया जा सकता है ?"

श्री चाओ-च्यान ने यह भी कहा कि लोककला औऱ संस्कृति के अवशेषों को अच्छी तरह संरक्षित करने और विकसित करने का एक बेहतर तरीका है उन से जुड़ी पुस्तकों का प्रकाशन करना।"विश्व की सब से सुन्दर पुस्तक" का खिताब जीतने वाली पुस्तक《छाओ श्वय-छिन की पतंग-कला》ऐसा करने की एक ठेठ मिसाल है। इस पुस्तक के प्रकाशन में चीनी प्रकाशन-जगत की बुद्धिमत्ता अभियव्यक्त हुई है। विश्वास है कि इस बुद्धिमत्ता से आगे भी चीनी लोककला व संस्कृति से जुडी बहुत सी श्रेष्ठ पुस्तकें सामने आएंगी।

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