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(GMT+08:00) 2007-01-09 20:14:55    
तिब्बती नृत्य नाटक--रमणीय जन्म भूमि

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कुछ समय पूर्व, चीन की राजधानी पेइचिंग के मशहूर बाओली थिएटर में तिब्बती नृत्य नाटक《 रमणीय जन्मभूमि》का मंचन हुआ। नाटक के मंच पर लगाए गए विशाल पर्दे पर ऊंची-ऊंची बर्फिली पहाड़ी श्रृंखला और आलिशान पोताला महल दिखाई देते है । इस की पृष्टभूमि में छलांग मारती तिब्बती नीलगाय, हवा में फहराई रंगबिरंगी तिब्बती धार्मिक झंडियां, घी बनाने में जुटी तिब्बती दादी मा और धार्मिक चक्र घूमाते तिब्बती दादा आदि दर्शकों को छिंगहाई-तिब्बत पठार स्थित रहस्यमय तिब्बत में ले गए।

तिब्बती नृत्य नाटक《 रमणीय जन्मभूमि》में तिब्बती नृत्य गान के रूप में तिब्बत की अद्भुत रीतिरिवाज़ अभिव्यक्त की गई , जिस में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के पूर्वी भाग में रहती तिब्बती लड़की छ्वीनि के परिवार के चार सदस्यों के रोज़ाना जीवन के आधार पर तिब्बती जाति के श्रम जीवन, युवाओं के प्रेम, शादी ब्याह तथा बच्चे के जन्म आदि पर तिब्बती जाति की विशेष रीति रिवाज़ और प्रथा दर्शायी जाती है । तिब्बती जाति में जीवन, सूर्य व भूमि के प्रति गहरा प्यार और प्रकृति में गहरी आस्था तथा तिब्बती लोगों की बहादुरी और कोमल प्यार की भावना 《रमणीय जन्मभूमि》के तिब्बती कलाकारों के जोशिले नृत्य गान के जरिए दर्शकों के सामने पेश की गयी है ।

उमंगे आधुनिक संगीत के साथ तिब्बत के छांगतू प्रिफैक्चर से आए तिब्बती अभिनेता व अभिनेत्री ने परम्परागत तिब्बती पोशाक में मुक्त भाव से नाचते गाते रहें । शुद्ध तिब्बती कला शैली में उन्हों ने तरह तरह के भाव भंगिमा और कलाबाजी का प्रदर्शन कर तिब्बती जाति की जोशपूर्ण और ओजस्वी शक्ति से दर्शकों को प्रभावित किया । एक दर्शक का कहना हैः

"इस नृत्य नाटक के कलाकारों की प्रस्तुति बहुत अच्छी जोश और शक्ति से ओतप्रोत है। इसे देख कर मुझे तिब्बती लोगों का खुला व जोशपूर्ण स्वभाव महसूस हुआ। नाटक के एक दृश्य में जब मैं ने एक नीलगाय को छलांग मारते एक छोटे पहाड़ को पार करता देखा, तो एकदम महसूस हुआ कि यही तिब्बत है । सच कहूं, तो मुझे लगता है कि इस नाटक ने तिब्बत का रहस्योद्घाटन किया है। मुझे वहां जाने की तीव्र जिज्ञासा हुई है ।"

पश्चिमी चीन में स्थित छिंगहाई-तिब्बत पठार पर आबाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की औसत ऊंचाई, समुद्र सतह से 4 हज़ार मीटर से ज्यादा है , जो विश्व की छत के नाम से दुनिया भर मशहूर है । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में विश्व की सब से ऊंची पहाड़ी चोटी चुमूलांमा खड़ी है और विश्व की सब सी गहरी घाटी यालुचांगबू नदी की घाटी भी है । तिब्बत में पर्याप्त धूप मिलने के कारण वहां विविध प्राकृतिक दृश्य उपलब्ध है । वहां आदिम जंगल, पहाड़ी झील, हिम पर्वत व घास मैदान तथा दुर्लभ जीव जंतु व वनस्पतियां है । इस के अलावा, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश तिब्बती संस्कृति का उद्गम स्थल भी है, वहां रहने वाले तिब्बती लोग चीन में तिब्बती जाति की कुल जन संख्या के आधे भाग से ज्यादा है । अन्हों ने तिब्बती परम्परा व रीति रिवाज़ का पालन कर तिब्बती संस्कृति को मूल रूप से संरक्षित किया है । तिब्बत के अद्घुत पठारीय वातावरण और अनूखी जातीय रीति रिवाज अनगिनत लोगों को लुभाते हैं ।

तिब्बती नृत्य नाटक《रमणीय जन्मभूमि》के सभी कलाकार तिब्बत के छांगतू प्रिफैक्चर की जातीय नृत्य-गान मंडली से आए हैं । इस नृत्य-गान मंडली की स्थापना से लेकर अब तक 34 साल हो गये । छांगतू तिब्बती जातीय नृत्य-गान मंडली के सभी सदस्य स्थानीय तिब्बती बंधु हैं । कभी कभार वे अपने आम जीवन में पहने तिब्बती पोशाक में मंच पर आते हैं , उन के ऐसे वस्त्रों में से तिब्बती घी का सुगंध महकता भी रहा है । इस मंडली के निदेशक श्री गेसांग लोच्वे को मंडली में काम करते हुए 30 से ज्यादा साल हो चुके हैं । उन्होंने हमारे साथ एक साक्षात्कार में तिब्बती भाषा में हमारे चाइना रेडियो इन्टरनेशनल के सभी श्रोताओं का अभिवादन किया:"श्रोता दोस्तो, शुभकामनाएं है कि आप सब मंगलमय रहें और खुशहाल रहें ।"

छांगतू तिब्बती नृत्य-गान मंडली के निदेशक श्री गेसांग लोच्वे ने जानकारी देते हुए कहा कि उन की नृत्य-गान मंडली लम्बे समय से तिब्बत के विभिन्न गांवों में कला प्रस्तुति के लिए सक्रिय रही है । हर वर्ष नृत्य-गान मंडली 50 से ज्यादा कार्यक्रम पेश करती है । मंडली के कलाकार तिब्बत की परम्परा को विरासत में ग्रहण कर कला सृजन करते हैं । उन्हों ने तिब्बत के पूर्वी भाग की जातीय कला के विकास के लिए बड़ा योगदान किया है । तिब्बती नृत्य नाटक《 रमणीय जन्मभूमि》तिब्बत के पूर्वी भाग में प्रचलित कई विशेष जातीय नृत्यों के आधार पर रचा गया, जिस में क्वो च्वांग नृत्य, रबा नृत्य और श्येनज़ी नामक नृत्य विशेषों को चीन की गैर भौतिक सांस्कृतिक विरासतों की नामसूची में शामिल किया गया।