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(GMT+08:00) 2007-01-09 09:39:34    
विभिन्न श्रोताओं की प्रतिक्रियाएं

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औरेया उत्तर प्रदेश के काल्क प्रसाद कीर्ति प्रिय ने हमें कई एक पत्र लिख कर हिन्दी कार्यक्रमों में अपना अपना अनुभव विस्तार से बताया है । कुछ अल्प समय में ही अनेक पत्र लिख कर आप का पत्र मिला कार्यक्रम का साथ देने के लिए हम उन के बहुत बहुत आभारी हैं । श्री काल्क प्रसाद कीर्ति ने अपने पत्र में कहा कि चीन की अल्प संख्यक जाति कार्यक्रम के अन्तर्गत सिन्चांग का दौरा में चाओ ह्वा दीदी की मधुर और सुस्पष्ट आवाज में सिन्चांग के संगीतज्ञ व सैनिक श्री अखबार जी की कहानी सुनी , अखबार जी बचपन में अपनी पड़ोसी की बच्ची देने वाली बकरी की आवाज बोल कर परेशान करते रहे , अन्त में वास्तिक बकरी बच्चे की आवाज सुन कर महिला पड़ोसी बाहर नहीं आयी और नवजात मेमना भी मर गया । अखबार जी अपनी गलती पर पछ्ताच हो गया । बड़े होने पर श्री अखबार सेना में भर्ती हो गया ।

ऊंची पहाड़ी पर तैनाक सैनिक चौकी थी , जहां सिर्फ दस जवान रहते थे , उन की सेवा में अखबार जी ने बहादुरी का गीत गाया , जिस से प्रभावित हो कर सभी जवानों की आंखों में आंसू निकली । अखबार जी ने अपना संगीत एलबम ताझोलुंग नाम का बनाया , जोकि देश विदेश में बजाया जाता है , वे कई देशों की यात्रा भी कर चुके हैं ।

श्री काल्क प्रसाद कीर्ति ने कहा कि आज के सभी प्रोग्राम सुन्दर रहे । जनाब हु मिन ने भारत चीन मैत्री पर रिपोर्ट सुनायी , जो अच्छी लगी ।

भारत चीन मैत्री प्रतियोगिता में प्रस्तुत लेख में यह जानकारी है कि चीनी आचार्य ह्वेनसान भारत से 657 बौद्ध ग्रंथ लेकर चीन वापस आया । भारतीय कला मंडली और देवदास फिल्म को अच्छा देखा गया ।

तातु नदी के लोहे के जंजीरों से बने पुल पर रिपोर्ट सुनी , वर्ष 1935 में लाल सेना ने बलिदान दे कर अपने कब्जे में किया । माओत्सेतुंग की लम्बा अभियान यात्रा इसी पुल से गुजरी थी । यहां लाल सेना की याद में संग्रहालय है और लोहरी पुल है । यह पुल हान और तिब्बती लोगों के लिए सामान के आदान प्रदान का साधन रहा था . अब यह पुल समरण हैतु रखा गया , यहां स्मृति पार्क भी है , रिपोर्ट बहुत सुन्दर लगी ।

श्री काल्क प्रसाद कीर्ति ने अपने पत्रों में सी .आर .आई के कई हिन्दी कार्यक्रमों पर समीक्षा की है , उस के बारे में हम आगे के कार्यक्रम में प्रस्तुत करेंगे , इस वक्त उन के दो पत्रों से उक्त विषय चुने , आशा है कि पसंद आया होगा । हम काल्क प्रसाद कीर्ति प्रिय को फिर एक बार धन्यावाद देते है और उन के नए नए पत्रों की प्रतिक्षा भी कर रहे हैं ।

अब मेरे हाथ में आया है , विजयवाड़ा आंध्र प्रदेश की बहन रहम तुनिसा का खत । वे सी .आर.आई की हिन्दी सेवा की हमारी पुरानी श्रोता है , और सक्रिय श्रोता भी हैं । उन के पत्रों के उद्धरण आप लोगों को पिछले अनेक कार्यक्रमों में जरूर सुने होंगे । इस बार उन्हों ने एक पत्र लिख कर हमारे हिन्दी कार्यक्रमों पर जो रायें बतायीं हैं , कुछ इस प्रकार के हैः

किरगिजस्तान के राजनीतिक संकट पर एक रिपोर्ट सुना और इस पर हमारी टिप्पणी यह है कि वहां के यह स्थिति के कारण मध्य एशिया में अमरीका की बढ़ती हुई दखलंदाजी का सबब है , अगर चीन और रूस की सरकारें एकजुट हो कर मध्य एशिया में अमरीका और उस के कठपुतली सरकारों की कुटिल राजनीति के असर व हुक्म को बीच में रोकने की कोशिश न की , तो विश्व में बचे खुचे समाजवादी देशों की खैर न होगी।

हम ने सांस्कृतिक जीवन में चीन के सिन्चांग व सछवान प्रांत के नए क्षेत्रों व पर्यटन विकास का विवरण सुना , इस पर हमारी राय है कि आप चीन के पर्यटन क्षेत्रों पर विवरण देने वाले चित्र व पुस्तक भी प्रचारित किया करें ।

आप का पत्र मिला कार्यक्रम पर हमारी राय है कि आप इस कार्यक्रम में शामिल किए गए श्रोताओं के पत्रों को इस तरह पढ़ रहे हैं , जैसा आप समाचार पत्र पढ़ रहे हों । मगर मेरी राय इस कार्यक्रम पर यह है कि आप इस कार्यक्रम में श्रोताओं के पत्रों को बारी बारी पढ़ें और साथ ही श्रोताओं के पत्रों में रखे गए ख्यालात पर आप की प्रतिक्रिया भी जाहिर किया करें ।

मैं उम्मीद करती हूं कि आप जरूर मेरे इस पत्र को आप का पत्र मिला कार्यक्रम में शामिल करने के साथ अपनी रायों से भी हमें अवगत कराएंगे ।

रहम तुनिसा जी , हमारे हिन्दी कार्यक्रमों पर आप ने खुल कर अपनी रायें लिख कर मालूम करायी है , इस के लिए हम आप के बहुत बहुत आभारी हैं , कार्यक्रम के सुधार के लिए जो सुझाव प्रस्तुत हुए है , इस पर हम जरूर ध्यान देंगे । आप ने पत्र के अंत में यह पूछा है कि चीन में रहने वाले भारत वासियों की संख्या कितनी है . वास्तव में चीन में आए भारतीय लोग आम तौर पर पढ़ने अध्ययन करने, व्यापार करने तथा पर्यटन करने आए हैं , निश्चय ही यह संख्या अधिक नहीं है । पर इन की ठोस संख्या हमारे पास नहीं है , इसलिए हम केवल आपको यह बता सकते हैं कि चीन में रहने वाले भारतीयों की संख्या बहुत बहुत कम है । पत्र लिखने के लिए आप को धन्यावाद ।

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