आज के इस कार्यक्रम में आजमगढ़ उत्तर प्रदेश के मसूद अहमद आजमी, मऊ उत्तर प्रदेश के डा.एस ए फारूकी, मिदनापुर पश्चिमी बंगाल के. डा.एस एस भट्टाचार्य,परबना बंगलादेश के फीरोज आलम, कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा, संजय केशरी,सीताराम केशरी,किशोर कुमार केशरी,सोनू कुमार केशरी,राज कुमार केशरी के पत्र शामिल हैं.
आजमगढ़ उत्तर-प्रदेश के मसूद अहमद आजमी जानना चाहते हैं कि चीनी लोग छुट्टी मनाने के लिए अधिकांशतः कौन से देश जाना पसंद करते हैं?
भैय्या, चीन ने विश्व के अधिकांश देशों के साथ पर्यटन समझौते किए है.इन में से कौन-कौन से देश चीनी पर्यटकों को पसंद हैं ? इस का सही जवाब देना कठिन है.क्योंकि इन सभी देशों की अपनी-अपनी विशेषताएं हैं,जो चीनी पर्यटकों को समान रूप से आकर्षित करती हैं.चीनी लोग छुट्टी मनाने के लिए आम तौर पर अपनी आर्थिक स्थिति देखकर यात्रा करते हैं.जिन की जेबें भारी होती है,वह भारी बजट वाली यात्राओं का मज़ा लेते हैं.नहीं तो यात्रा के लिए किसी पड़ोसी देश जाते हैं.नजदीक होने के कारण किसी पड़ोसी देश की यात्रा से न केवल समय की बचत होती हैं,बल्कि ज्यादा खर्च से भी बचा जा सकता है.
थाईलैंड,इंडोनेशिया,मलेशिया,सिंगापुर,कंबोडिया,वियतनाम,भारत,नेपाल,श्रीलंका,मालदीव,
जापान,दक्षिण कोरिया,रूस,अमरीका,कनाडा,ब्राजिल और यूरोपीय संघ के सदस्य देश चीनी पर्यटकों के मुख्य गंतव्य स्थल हैं.
मऊ उत्तर प्रदेश के डा.एस ए फारूकी और मिदनापुर पश्चिमी बंगाल के डा.एस एस भट्टाचार्य पूछते हैं कि चीन में आयात-निर्यात कैसे चलता है औऱ किन-किन वस्तुओं का निर्यात व आयात होता है ? परबना बंगलादेश के फिरोज आलम का सवाल भी इस से मिलता जुलता है.उन का सवाल है कितने विदेशी चीन में व्यापार करते हैं ?
सन् 2005 की जनवरी में चीनी कस्टम के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2005 में चीन का कुल आयात-निर्यात 14 खरब 22 अरब 12 करोड़ अमरीकी डॉलर दर्ज किया गया ,जिस में निर्यात 7 खरब 62 अरब डॉलर का रहा और आयात 6 खरब 60 अरब 12 करोड़ डालर का .2002 के बाद चीन के आयात-निर्यात में लगातार इजाफे की स्थिति बनी हुई है.आयात-निर्यात में आज भी चीन विश्व में तीसरे स्थान पर है.
यूरोपीय संघ चीन का सब से बड़ा व्यापारिक साझोदार है.2005 में द्विपक्षीय व्यापार 2 खरब 17 अरब 30 करोड़ अमरीकी डॉलर रहा. अमरीका और जापान क्रमश: चीन के दूसरा व तीसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है.2005 में उन के साथ चीन का व्यापार क्रमश: 2 खरब 11 अरब 60 करोड़ और 1 खरब 84 अरब 50 करोड़ अमरीकी डॉलर का रहा.इस के अलावा पूर्वी आशियान देशों और भारत समेत दक्षिण एशियाई देशों के साथ चीन के व्यापार में भी बड़ा इजाफ़ा हुआ है.
चीन मुख्यत:मशीनरी व इलेक्ट्रोनिक उपकरण,बिजली की वस्तुएं, उच्च स्तर वाले तकनीकी उत्पाद, वस्त्र,रेशमी कपड़े,जूते,प्लास्टिक की चीजें,शिल्पकला की चीजें,खिलौने,खनिज
पदार्थ,चीनी जड़ी-बूटियों से बनी दवाएं,गेहूं,चावल,साग-सब्जियां,मेवे,शहदजनित वस्तुएं और चाय आदि कृषि उपजों का निर्यात करता है.आयात मालों में मुख्य तौर पर
लोहा-इस्पात,कच्चा तेल,खाद्य-तेल.लकड़ी,अर्द्धतैयार कागज,जैविक व रासायनिक पदार्थ,
आधुनिक दूरसंचार तकनीक,कंप्यूटर व उस के सोफ्टवेयर,खाद्य-पदार्थ इत्यादि शामिल हैं.ध्यान रहे कि चीन कुछ चीजों का आयात करने के साथ-साथ उसी तरह की चीजों का निर्यात भी करता है,ताकि वह अपने वैदेशिक व्यापार में संतुलन बनाए रख सके औऱ अपने व्यापारिक साझेदारों के साथ न्याय के आधार पर समान लाभ उठा सके.वास्तव में विश्व के सभी देश आपस में इसी तरह व्यापार कर रहे हैं.
फिरोज आलम जी,इस समय चीन में कितने विदेशी व्यापार कर रहे हैं,इस का सही जबाव देना मुश्किल है.हमें इन विदेशियों की सटीक संख्या कहीं से भी प्राप्त नहीं हो सकी है.हम सिर्फ इतना बता सकते हैं कि पिछली शताब्दी के 70 वाले दशक के अंत में चीन में आर्थिक सुधार शुरू होने के बाद चीन आने वाले विदेशी व्यापारियों का तांता लगा हुआ है.चीन के बड़े व मझौले शहरों के व्यापारिक व औद्योगिक क्षेत्रों में जहां तक निगाह जाए,कुछ न कुछ विदेशी दिखाई दे ही जाते हैं.उन में मुख्यत:अमरीकी,यूरोपीय लोग,जापानी,कोरियाई और भारतीय शामिल है.
कोआथ बिहार के सुनील केशरी,डी.डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,खुशबू केशरी बवीता केशरी, प्रियांका केशरी, एस.के.जिंदादिल पूछते हैं कि चीन में पीली नदी को पवित्र मातृनदी क्यों पुकारा जाता हैं?
पीली नदी चीन की दूसरी बड़ी नदी है।इस नदी के क्षेत्र में मौसम नम्र है,जमीन उपजाऊ है,जल पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं और जीवों व वनस्पतियों की बहुतायत है।इस से चीनी राष्ट्र के जीवन और विकास के लिए बेहद अनुकूल स्थितियां तैयार हुई थी।पुरातत्वविदों ने इस क्षेत्र में खुदाई के दौरान आदिम मानव के बहुत से जीवाश्म और आवासीय खंदहर पाए हैं।इस से साबित है कि आदमिकाल में ही चीनी राष्ट्र के पूर्वज इस क्षेत्र में जीवन व्यतीत करने के साथ खेतीबारी भी कर चुके हैं।यह क्षेत्र चीनी राष्ट्र का हिंडोला है,जिस ने अनेक पीढ़ियों के चीनी लोग पाले-पोसे हैं। इसलिए पीली नदी को पवित्र मातृनदी का नाम दिया गया है.

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