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(GMT+08:00) 2007-01-03 15:14:06    
लिंग अनुपात के असंतुलन को रोकने का प्रयास

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चीन और भारत दोनों विश्व में सर्वाधिक जनसंख्या वाले देश हैं । पर चीन और भारत जैसे बड़े विकासमान देशों में समाज में लिंग अनुपात में असंतुलन मौजूद  है । यानी समाज में पुरूषों की संख्या स्त्रियों की तुलना में बहुत अधिक  हो रही है । लिंग अनुपात के असंतुलन से समाज में गंभीर समस्या पैदा हो सकती है । इसलिए सरकारों को भी जोरदार कदम उठाने ही चाहियें ।
   

इधर के वर्षों में चीन में नवजन्में शिशुओं के अनुपात में असंतुलन का गंभीर सवाल नजर में आया है । आंकड़े बताते हैं कि यह अनुपात 118 से 100 तक रहा है । यानी प्रति सौ स्त्रीलिंग वाले शिशुओं की तुलना में 118 पुरूष लिंग वाले शिशुओं ने जन्म लिया है । अगर इस असंतुलन को रोका न गया , तो दर्जनों साल बाद चीनी समाज में गंभीर समस्या पैदा हो जाएगी । इसलिए चीन में बालिकाओं को प्यार करने की कार्यवाही जैसी गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है । महिलाओं के सामाजिक स्थान को उन्नत करने के लिए आर्थिक , वैधानिक और सांस्कृतिक कदम उठाये जाएंगे , ताकि स्त्रीलिंग वाले शिशुओं की जन्म दर को उन्नत किया जा सके । दक्षिणी चीन के क्वेइचो प्रांत में बालिकाओं को प्यार करने की कार्यवाही की जानकारियों की बात इस तरह है ।  दक्षिणी चीन के क्वेइचो प्रांत की काईयांग कांऊटी में निर्मित एक स्कूल में एक विशेष क्लासरूम है, जिसमें पढ़ने वाली सब छात्राएं हैं । इन बालिकाओं को गरीबी जैसी समस्याओं की वजह से स्कूल छोड़ना पड़ा , और फिर वे सरकार की मदद से स्कूल में वापस लौटीं हैं।14 वर्षीया लड़की लान श्याओ यैन उन में से एक है । उस का परिवार खेतीबाड़ी करता है , पर उन के पिता अपाहिज़ होने के कारण भारी काम नहीं कर सकते हैं। इसलिए उन के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है । चार साल पहले लड़की लान श्याओ यैन को गरीबी के कारण प्राइमरी स्कूल में केवल चौथी कक्षा समाप्त कर अपना अध्ययन छोड़ देना पड़ा । लान श्याओ यैन के पिता  ने अपनी लड़की की चर्चा करते हुए कहा ,  हमारा परिवार गरीब है , इसलिए मैं स्कूल का खर्च नहीं उठा सकता । पर मुझे बेटी को स्कूल छुड़वाने में  शर्म आती है ।
   

चीन के पिछड़े क्षेत्रों में गरीबी के कारण  स्कूल से हटने वाली लड़कियों की संख्या में इजाफा हुआ है , जो लड़कों की तुलना में बहुत ज्यादा है । इससे चीनी समाज में पुरूष व स्त्रियों के बीच मौजूद असमानता जाहिर है । महिलाओं की उपेक्षा करने वाली विचारधारा की वजह से जनसंख्या में लिंग अनुपात में असंतुलन  आया है । इस स्थिति को बदलने के लिए चीन के अनेक क्षेत्रों में बालिकाओं को प्यार करने की कार्यवाही जैसी गतिविधियों का आयोजन किया  गया है । वर्ष 2003 में दक्षिणी चीन के क्वेइचो प्रांत में पढ़ाई छोड़ने वाली बालिकाओं को स्कूल में वापस लाने के लिए विशेष आन्दोलन चलाया गया है । सरकार की मदद से बहुत से प्राइमरी स्कूलों में इन बालिकाओं के लिए विशेष कक्षाएं भी रखी गयी हैं । सरकार की मदद से लड़की लान श्याओ यैन अपने प्राइमरी स्कूल में वापस लौटी है । आभार का अनुभव करते हुए लड़की ने कहा , जब अध्यापक ने मुझे स्कूल में वापस जाने को कहा था , तब मेरे दिल में खुशी की लहर दौड़ गयी थी । मुझे स्कूल में सुखमय समय बिताने का मौका फिर प्राप्त हुआ । वर्ष 2003 से क्वेइचो प्रांत की सरकार ने इन बालिकाओं की मदद में कुल 24 लाख य्वान की पूंजी लगायी है , इस के अलावा स्थानीय सरकारों ने महिलाओं को रोजगार दिलाने तथा पुरूष-स्त्री समानता को बढ़ाने का भरपूर प्रयास किया है।
   

 दक्षिण-पश्चिमी चीन में स्थित क्वेइचो प्रांत ग्रामीण और पिछड़ा प्रांत है । महिलाएं श्रम के काम में कमजोर हैं , इसलिए आम लोगों को बेटे की तुलना में बेटियां पसंद नहीं हैं । इस स्थिति को बदलने के लिए प्रांतीय सरकार ने उन परिवारों को , जिस में केवल बेटियां हैं , मुद्रा भत्ता प्रदान करना शुरु किया है। सरकार ने आर्थिक माध्यम से बालिकाओं के जन्म को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है । चीन सरकार ने एक ऐसा नियम बनाया है जिस के तहत  उन किसानों  को, जिन के केवल एक बच्चा या केवल दो बेटियां हैं , 60 साल की उम्र होने के बाद प्रति वर्ष 600 य्वान का भत्ता दिया जाएगा । और उन किसानों को, जिन के केवल एक ही बेटी है , चार हजार य्वान का भत्ता दिया जाएगा । आंकड़े बताते हैं कि क्वेइचो प्रांत वर्ष 2004 से अब तक कुल 4 करोड़ य्वान का भत्ता प्रदान कर चुका है ।
   जनसंख्या में लिंग अनुपात के असंतुलन को रोकने के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि गर्भवर्ती महिलाओं के गर्भ की लिंग जांच की सख्त मनाही की  जानी चाहिये । क्योंकि चीन में गर्भपात करना कानूनी है । पर इस का लाभ उठाकर कुछ दंपत्ति, जो केवल बेटा चाहते हैं , गर्भ की जांच के जरिये  गर्भ में लिंग का पता लगा लेते हैं । इस सवाल के प्रति चीन सरकार ने वर्ष 2003 में एक विशेष कानून प्रकाशित कर चिकित्सा की दृष्टि से अनावश्यक लिंग जांच की मनाही कर दी है । ऐसी कार्यवाइयों के खिलाफ दंड की धाराएं सख्त हैं । क्वेइचो प्रांत के परिवार नियोजन सोसाइटी के प्रधान श्री चाओ छंग चाओ ने संबंधित सूचनाओं के बारे में जानकारी देते हुए कहा ,   वर्ष 2005 में हमारी प्रांतीय सरकार ने चिकित्सीय दृष्टि से अनावश्यक लिंग जांच तथा गर्भापात की रोकथाम करने वाला नियम प्रकाशित किया है। इस के एक साल बाद हम ने इससे जुड़ी और एक नियमावली जारी की । इन नियमों के प्रकाशन से हमारे कार्यों को बहुत बढ़ावा मिला  है । इन नियमों के मुताबिक अगर किसी डॉक्टर ने गैरकानूनी तौर पर गर्भ के लिंग की जांच की , तो उस का लाइसेंस रद्द करने का प्रावधान है । और इस के क्लीनिक को भी कुछ जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी । 
   

चीन की परंपरागत विचारधारा के मुताबिक केवल बेटा ही घर का उत्तराधिकारी माना जाता है । बहुत से चीनियों के विचार में महिलाओं की उपेक्षा की जाती है । समाज के विकास के चलते ऐसी पिछड़ी विचारधारा दिन ब दिन कमजोर हो रही है , पर देहातों में लोगों के दिमाग में ऐसा विचार फिर भी मौजूद है । प्रजनन के संदर्भ में पिछड़े विचारों को दूर करने के लिए क्वेइचो प्रांत के विभिन्न क्षेत्रों में रंगबिरंगे प्रसारण किये जा रहे हैं । लोगों को सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता , दर्शन, चित्र प्रदर्शनी , फिल्म शो आदि गतिविधियों से स्वस्थ जानकारियां दी जाती हैं । क्वेइचो प्रांत में बहुत सी अल्पसंख्यक जातियां रहती हैं । इन अल्पसंख्यक जातियों के लिए स्थानीय सरकारों ने विशेष कार्यक्रम भी तैयार किये हैं । 

कानूनी व प्रशासनीय कदमों के जरिये लोगों को प्रशिक्षित किया जा रहा है । अब क्वेइचो प्रांत में शिशुओं का लिंग अनुपात संतुलित होने लगा है । आंकड़ों के अनुसार नव जन्म शिशुओं में बालिकाओं की संख्या पहले से उन्नत हो रही है ।