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(GMT+08:00) 2006-12-29 14:35:42    
उत्तरी व दक्षिणी राजवंशों के काल की संस्कृति

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साहित्य के क्षेत्र में छाओ छाओ, छाओ चि (192-232, छाओ छाओ का पुत्र) और थाओ य्वानमिङ (365-427) जैसे प्रसिद्ध कवि इसी काल की देन हैं, जिन्होंने अपनी कविताओं से चीन के साहित्य भण्डार को समृद्ध बनाया।

सुप्रसिद्ध लेखक ल्यू श्ये ने"वन शिन त्याओ लुङ"नामक पुस्तक लिखकर साहित्य समीक्षा में महत्वपूर्ण योगदान किया। इसी काल के लिपिकार वाङ शीचि भी बहुत मशहूर हैं।

चीन में बौद्धधर्म की लोकप्रियता में वृद्धि के साथ-साथ पत्थर को तराशकर बौद्ध देवताओं की मूर्तियां गढ़ने की कला का भी प्रचलन हुआ।

प्राकृतिक अथवा मानवनिर्मित गुफाओं में बनाई गई इस तरह की प्रस्तर-प्रतिमाओं में से अनेक आज भी सुरक्षित हैं – जैसे युनकाङ (शानशी प्रान्त के ताथुङ में), लुङमन (हनान प्रान्त के ल्वोयाङ शहर के निकट) और तुनह्वाङ (कानसू प्रान्त में) की प्रतिमाएं। इन सभी बौद्ध प्रतिमाओं की रचना इसी काल में हुई थी।

ये बड़ी भव्य व आकर्षक हैं तथा उनकी गढ़न व चित्रकारी में उस काल का समुन्नत तकनीकी कौशल झलकता है। कला की दृष्टि से, ये प्रस्तर-प्रतिमाएं विश्वप्रसिद्ध अनमोल निधि हैं।

पूर्वकालीन छिन राजवंश के जमाने में बौद्धधर्म चीन से कोरिया पुहंचा। कोरियाई राजा पाएखछे के अनुरोध पर दक्षिणी राजवंशों के ल्याड राज्य के सम्राट उती द्वारा बहुत से शिल्पकार व चित्रकार कोरिया भेजे गये।

उस ने लू ई नामक एक विद्वान को भी कोरिया भेजा, जिस ने कोरियाइयों को कनफ्यूशियनवादी शास्त्र और " ऐतिहासिक अभिलेख " ," हान राजवंश का इतिहास " ," उत्तरकालीन हान राजवंश का इतिहास " तथा " तीन राज्य काल का इतिहास " नामक " चार ऐतिहासिक ग्रन्थ" पढ़ाए। एक्यूपंक्चर विज्ञान औऱ पंचांग तैयार करने की विधि भी इसी काल में चीन से कोरिया पहुंची।

दूसरी तरफ कोरिया से वहां का संगीत और संगीतवाद्य चीन लाए गए। इस प्रकार के आदान प्रदान से दोनों देशों की जीवन को समृद्ध बनाने में निश्चय ही बहुत मदद मिली।

इसी बीच चीन और जापान के बीच भी आवागमन और आदान प्रदान में वृद्धि हुई। 238 ईं में वेई राजवंश के सम्राट मिडंती और जापान की महारानी ने एक दूसरे को उपहार भेजे।

चौथी शताब्दी के दौरान, बहुत से चीनी जापान गए औऱ वहीं बस गए। इन लोगों के साथ ही कपड़ा बुनने, चीनी मिट्टी के बरतन बनाने, रेशम अटेरने और कपड़े सिलने की चीनी तकनीक तथा चीनी पाकविधि का भी जापान में प्रवेश हुआ।