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(GMT+08:00) 2006-12-26 11:16:47    
तिब्बती लोककला संस्कृति के संरक्षण--लाची कांऊटी का किसान कला मंडल

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लाची काऊंटी की किसान कला मंडली पिछले साल के अक्तूबर माह में स्थापित हुई है , इस का शुरूआती रूप असल में एक सांस्कृतिक प्रदर्शन दल था , जिस में सिर्फ 32 सदस्य थे । अल्प कालिक प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2006 के तिब्बती नव वर्ष के रात्रि समारोह में उन्हों ने अपना कार्यक्रम पेश किया , जिस की तिब्बत में काफी प्रशंसा की गई । मूल परम्परागत रूप में पेश तिब्बती जाति का सांस्कृतिक कार्यक्रम खास कर पसंद किया गया । इसलिए इस साल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार की सिफारिश पर हमारी किसाल कला मंडली ने पेइचिंग में आयोजित तीसरे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह में भाग लिया ।हम अपनी कला से तिब्बत के त्वीश्ये नृत्य गान को व्यापक दर्शकों को दिखाना चाहते हैं , ताकि अधिक से अधिक लोगों को तिब्बत के इस कला विशेष की जानकारी मिले और पसंद आये ।

लाची काऊंटी की किसान कला मंडली के प्रोग्राम न सिर्फ तिब्बत में लोकप्रिय है , साथ ही पेइचिंग में भी वे दर्शकों के पसंदीदा कार्यक्रम बन गए । तीसरे अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह में लाची किसान कला मंडली की कला प्रस्तुति ने बारंबार वाहवाही और तालियां जीतीं , उन की कला प्रस्तुति का स्तर कुछ पेशेवर कलाकारों की तुलना में भी कम नहीं है । वे सभी सीधे सादे तिब्बती किसान और चरवाह हैं , वे खेती के व्यस्त काल में खेतों में काम करते हैं , वे केवल अवकाश समय में वाद्य बजाते है , गाना नाचना करते हैं । उन में से अनेक लोग पहली बार घर से दूर दूसरी जगह आए हैं . लेकिन उन के लिए असीम खुशी की बात यह है कि उन्हों ने सफलतापूर्वक अपनी जन्म भूमि के त्वीश्ये कला की प्रस्तुति से देश के अन्य स्थानों के लोगों को कला का आनंद दिलाया । तिब्बत की लाची काऊंटी के छ्वुमा कस्बे के किसान श्री सोवान ने भावविभोर हो कर कहाः

कला मंडली के सदस्य के रूप में मैं पेइचिंग आया हूं , पेइचिंग में अपना कार्यक्रम पेश करने का सपना देखने का साहस भी मुझे पहले नहीं था , लेकिन अब वह सचमुच साकार हो गया । मेरी प्रसन्नता का तो क्या कहना । मुझे इस पर अत्यन्त गर्व और खुशी महसूस हुआ कि हम ने लाची के त्वीश्ये का विकास किया है ।

तीसरे अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह के दौरान तिब्ब्त की लाची किसान कला मंडली का कार्यक्रम वसंत का राग ने धूम मचाया , लेकिन इस मनमोहक कार्यक्रम के बोल , धुन और नृत्य के सभी काम लाची के एक प्राइमरी स्कूल के संगीत अध्यापक द्वारा किए गए हैं , शायद ही किसी ने इस की कल्पना कर सकी । वसंत का राग के रचयिता लाची प्राइमरी स्कूल के अध्यापक श्री जासिवांला हैं , जो इस साल 38 साल के हैं। खुद उन्हों ने भी नहीं सोच कल्पना की थी कि उन की पहली रचना ने इतना धूम मचाया और इतना लोकप्रिय हो गया है । उन्हों ने कहा कि तिब्बती किसानों और चरवाहों की मूल कला प्राकृतिक और शुद्ध सादा है, उस में तिब्बत की मूल पहचान है । इस की लोकप्रियता से जाहिर है कि व्यापक दर्शक तिब्बत की कला संस्कृति को बहुत पसंद करते हैं और उसे सर्वमान्य करते हैं । श्री जासिवांला ने कहाः

वसंत का राग कार्यक्रम के बोल , धुन और नृत्य सभी मेरे हाथों रचे गए हैं , यह मेरी इस प्रकार की पहली कोशिश है । यह कार्यक्रम किसानों की अपनी विशेषता से भरपूर्ण है । वे खुद बजाते है , गाते हैं और नाचते हैं , उस की प्रस्तुति काफी खासा विशेष है और व्यापक दर्शकों को बरबस आकर्षित किया गया है , इस पर मुझे अत्यन्त खुशी हुई है।

लाची की त्वीश्ये कला को अच्छी तरह विरासत में लाने और उसे विकसित करने के लिए तिब्बत की लाची काऊंटी सरकार ने किसान कला मंडली को भरपूर समर्थन प्रदान किया । इस कला विशेष के मूल रंग स्वरूप को बनाए रखने के आधार पर सरकार ने कुछ पेशेवर कला कर्मचारियों को आमंत्रित कर त्वीश्ये कला को एक ब्रांडेड कला संस्कृति का रूप देने का प्रयास भी किया । लाची काऊंटी ने काऊंटी से बाहर जा कर दूसरों के साथ सहयोग करने की योजना भी बनायी और तिब्बत की मूल शैली रखने वाली नये सांस्कृतिक उद्योग की खोज करने की कोशिश की . काऊंटी के डिप्टी सचिव श्री ली हाई छ्वान ने कहाः

श्रेष्ठ कला संस्कृति को विरासत में लाने तथा उसे विकसित करने , खास कर जन साधारण में उत्पन्न लोक कला संस्कृति के मूल रूप को उजागर करने की अत्यन्त आवश्यकता है । देश में बाजार अर्थ व्यवस्था के तेजी से विकसित होने वाले आज के काल में श्रेष्ठ सांस्कृतिक संसाधनों के विकास से सामाजिक लाभ प्राप्त करने तथा अधिक से अधिक लोगों को तिब्बत की लोक कला जानने देने तथा तिब्बती लोक कला को और आगे बढ़ाने की पूरी कोशिश करना चाहिए । हम अपनी कोशिशों से लाची की त्वीश्ये कला को एक ब्रांडेड कार्यक्रम बनाना चाहते हैं ,ताकि और ज्यादा लोग उसे जानें और स्वीकार करें ।