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(GMT+08:00) 2006-12-19 16:57:45    
तिब्बत की लाची काऊंटी की किसान कला मंडली

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अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य और विशेष जातीय रीति रिवाज के कारण तिब्बत हमेशा विश्व के विभिन्न स्थानों के लोगों के लिए एक प्रबल आकर्षण केन्द्र रहा है । तिब्बत अपनी अनोखी नृत्य गान कला से विश्वविख्यात है। खुले अपार तिब्बत पठार पर रहने के कारण तिब्बती लोग बचपन से ही नाचने गाने के शौकिन हो जाते हैं । कहते हैं कि उन्हें बोलने चलने में समर्थ होने पर ही नाचना गाना आ जाता है । तिब्बती नृत्य गान में कुदरती भावना भरी हुई है , जो लोगों को ज्यादा प्रभावित कर सकता है । तिब्बत में बड़ी संख्या में नृत्य गान दल सक्रिय रहे हैं । लाची काऊंटी की किसान कला मंडली  उन में से एक है । इस कला मंडली के सभी सदस्य तिब्बती किसान और चरवाह हैं , उन का शिक्षा स्तर ऊंचा तो नहीं है , किन्तु उन के कला प्रदर्शन में तिब्बती जाति के मूल स्वरूप प्रतिबिंबित होता है और हरेक दर्शक की भावना को उद्वेलित करता है ।

चीन का तीसरा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह इस साल पेइचिंग में आयोजित हुआ , तिब्बती जाति की ओर से लाची काऊंटी की किसान कला मंडली ने इस समारोह में वसंत का राग नामक शानदार प्रोग्राम पेश किया । तीसरे अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह की उद्घाटन रस्म पेइचिंग के बृहत जन सभा भवन में धूमधाम के साथ हुई थी , चीन के राजनेता हु चिनथाओ , वन चापाओ और जा छिंगलिन ने रस्म में भाग लिया । मंच पर पोताला महल के विशाल चित्र के सामने लाची काऊंटी से आए 90 से ज्यादा तिब्बती किसान कलाकारों ने दर्शकों को जो शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किया है , वह उन के लिए अविस्मरनीय है । तिब्बती युवतियों की सुरीली गला से स्फुरित मीठे गाना के साथ तिब्बती युवक छै तंतु वाले साज बजाते हुए और मुंह में बुलंद आवाज देते हुए पांवों से थिरकते रहे । उन के सुन्दर समन्वित अंगविक्षेप , संगीत की बुलंद धुन तथा मीठे गाने ने दर्शकों को इतना मनमोहित कर दिया , जैसे वे मदिरे की नशे में झूम उठे । प्रोग्राम का हर उभार आने पर पूरा सभा भवन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठता रहा ।

तीसरे अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह में भाग लेने आए तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के शिकाजे प्रिफेक्चर की लाची काऊंटी की किसान कला मंडली के नेता , लाची काऊंटी के डिप्टी सचिव श्री ली हाई छ्वान ने कहा कि लाची काऊंटी त्वीश्ये के नाम से दूर निकट मशहूर है , त्वीश्ये तिब्बती जाति के एक नृत्य का नाम है , जिस में पांवों से थिरकने से युवाओं की खुशी व आनंद अभिव्यक्त किए जाते हैं । लाची के किसान और चरवाह , चाहे नौजवान हो , बुजुर्ग हो या बालक , सभी इस नाच पर थिरकने के शौकिन हैं । श्री ली ने कहाः

त्वीश्ये शब्द में से त्वी का तिब्बती भाषा में अर्थ है ऊंचा या ऊपर और श्ये का अर्थ संगीत है । तिब्बत के शिकाजे के तहत लाची , तिंगरी , आंरन तथा साक्या और आली प्रिफेक्चर यालुचांगबु नदी के ऊपरी भाग में स्थित है , वहां रहने वाले तिब्बती लोग खेतीबाड़ी से अवकाश समय में अकसर इक्ट्ठे हो कर नाचते गाते हैं और जीवन के प्रति अपनी भावना व्यक्त करते हैं । इस तरह त्वीश्ये यानी ऊपर का गाना जिस तरह के नृत्यगान की विशेष शैली उत्पन्न हुई है ।

श्री ली ने आगे चल कर किसान कला मंडली के इतिहास का परिचय किया । नाचने और गाने में तिब्बती लोगों की कुशलता लाची काऊंटी की किसान कला मंडली के सदस्यों में भरपूर्ण व स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है । कला मंडली के सभी सदस्य बचपन से ही नृत्य गान से प्रभावित रहे हैं और उन पर त्वीश्ये कला विशेष का अमिट प्रभाव पड़ा है । वहां के सभी किसान और चरवाह वाद्य बजाने तथा गाना गाने के कुशल हैं । आम तौर पर बच्चे 11 साल की उम्र से त्वीश्ये का गाना नाचना शुरू करते हैं । लाची की किसान कला मंडली के सभी सदस्य काऊंटी के 11 कस्बों से चुने गए हैं , उन में से सब से बड़ा सदस्य उम्र में 42 साल का है और सबसे छोटा 17 साल का । आम तौर पर वे घर में रहते हैं , खेती के व्यस्त समय श्रम करते हैं और अवकाश समय अपने घर पर गाने नाचने का अभ्यास करते हैं । तिब्बत की परम्परागत लोक कला की खोज और विकास करने के लिए लाची काऊंटी ने किसान कला मंडली का गठन किया । कला मंडली की स्थापना के बाद उस के कार्यक्रम स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय हो गए , जो एक कल्पनातित बात है । श्री ली हाईछ्वान ने कहाः

लाची काऊंटी की किसान कला मंडली पिछले साल के अक्तूबर माह में स्थापित हुई है , इस का शुरूआती रूप असल में एक सांस्कृतिक प्रदर्शन दल था , जिस में सिर्फ 32 सदस्य थे । अल्प कालिक प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2006 के तिब्बती नव वर्ष के रात्रि समारोह में उन्हों ने अपना कार्यक्रम पेश किया , जिस की तिब्बत में काफी प्रशंसा की गई । मूल परम्परागत रूप में पेश तिब्बती जाति का सांस्कृतिक कार्यक्रम खास कर पसंद किया गया । इसलिए इस साल तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार की सिफारिश पर हमारी किसाल कला मंडली ने पेइचिंग में आयोजित तीसरे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक जातीय कला प्रदर्शन समारोह में भाग लिया ।हम अपनी कला से तिब्बत के त्वीश्ये नृत्य गान को व्यापक दर्शकों को दिखाना चाहते हैं , ताकि अधिक से अधिक लोगों को तिब्बत के इस कला विशेष की जानकारी मिले और पसंद आये ।