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(GMT+08:00) 2006-12-18 12:28:42    
चीन का सब से बड़ा पुस्तकालय, आईटीईआर समझौता, चीन में जनगणना

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आज के इस कार्यक्रम में सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर, बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त,भजनपूरा दिल्ली के मुकेश कुमार के पत्र शामिल हैं।

सीतामढ़ी, बिहार के मोहम्मद जहांगीर पूछते हैं कि चीन का सब से बड़ा पुस्तकालय कहां है? बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त ने भी इस के बारे में बताने का अनुरोध किया है.

चीन का सब से बड़ा पुस्तकालय चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय है.यह चीन की राजधानी पेइचिंग के उत्तर-पश्चिमी उपनगर में स्थित है.इस का इतिहास 97 साल पुराना है.इस की स्थापना सन् 1909 में हुई थी.पुस्तकालय परिसर 7.24 हैक्टर जमीन पर फैला है और उस की इमारत का कुल क्षेत्रफल 1 लाख 70 हजार वर्गमीटर है.इस पुस्तकालय में 30 से अधिक वाचनालय हैं,जहां हर रोज औसतन 6 हजार पाठक अध्ययन के लिए आते हैं.

पुस्तकालय में संग्रहीत पुस्तकों की संख्या बहुत अधिक है और ताज़ा आंकड़ों में 2 करोड़ 30 लाख से भी अधिक बतायी गई है.विश्व के पुस्तकालयों में चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय पांचवें स्थान पर है और हर वर्ष इस के संग्रह में 7 लाख पुस्तकें जुड़ती हैं.

चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय एक ऐसी चतुर्मुखी संस्था है,जो अध्येताओं को पुस्तकालय के साथ अनुसंधान की भी सेवा देती है.यह ज्ञान और सूचना का संग्रह तो ही है,उस का प्रयोग व प्रचार-प्रसार भी करती है और चीन का राष्ट्रीय स्तर का पुस्तक-सूची केंद्र व सूचना जाल केंद्र भी है.चीनी पुस्तकालयों के मानकीकरण के साथ यह उन्हें तकनीक व्यवस्था और एक पुस्तकालय जाल से भी जोड़ती है.

चीनी राष्ट्रीय पुस्तकालय चीन की महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्था है और एक सरकारी विभाग की हैसियत से विदेशों के साथ सांस्कृतिक समझौतों का क्रियान्वयन भी करती है.इस का 120 क्षेत्रों के 1000 से ज्यादा पुस्तकालयों व शास्त्रीय अनुसंधानशालाओं के साथ संपर्क है,जिस से वह नियमित रूप से पुस्तकों व पत्रिकाओं का आदान-प्रदान करती है.

भजनपुरा दिल्ली के मुकेश कुमार पूछते हैं कि आईटीईआर किस तरह का समझौता है?

भैय्या,आईटीईआर का पूरा नाम इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरीमेंटल रिएक्टर है.वह समझौता नहीं,बल्कि यूरोपीय संघ की एक असैनिक नाभिकीय परियोजना है.सस्ती,प्रदूषणविहीन और असीमित ऊर्जा पैदा करने की दिशा में यूरोपीय संघ ने हाइड्रोजन बम के सिद्धांत पर अपनी इस नाभिकीय महापरियोजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया है.इस पर लगभग 10 अरब अमरीकी डॉलर की लागत आई है.फिलहाल इस में यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के अलावा चीन,जापान,दक्षिण कोरिया,रूस और अमरीका शामिल है.दिसम्बर 2005 में यूरोपीय संघ ने इस परियोजना में भारत के शामिल होने को हरी झंडी दिखा दी थी,पर अभी तक हमें पता नहीं कि भारत इस का औपचारिक सदस्य बन गया है या नही.इस समय हम सिर्फ इतना कह सकते हैं कि भारत को इस परियोजना में शामिल करने के बाद दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी का इस में प्रतिनिधित्व हो जाएगा.आज ऐसे वैज्ञानिक प्रयोग की सख्त जरूरत है जो ऊर्जा के लिहाज से जबर्दस्त असर डालने वाला हो और खास तौर पर उन देशों को साथ लेकर जो वैज्ञानिक विकास में भारी योगदान कर सकते हैं.यूरोपीय संघ के एक अधिकारी ने कहा कि आईटीईआर परियोजना नाभिकीय संलयन से ताल्लुक रखती है और इस के सैनिक उपयोग की कोई संभावना नहीं है.

यूरोपीय संघ के इस परमाणु रिएक्टर का उद्देश्य ऊर्जा का ठीक उसी तरह उत्पादन करना है जैसे यह सूर्य में पैदा होता है.इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन के परमाणुओं को 10 करोड़ डिग्री सेंटीग्रेड तापमान तक गर्म किया जाता है.इस तापमान में हाइड्रोजन के परमाणु आपस में जुड़कर हीलियम के परमाणु को जन्म देते हैं और इस प्रक्रिया में भारी ऊर्जा पैदा होती है.एक किलोग्राम द्रव्यमान के संलयन से एक करोड़ किलोग्राम पेट्रोलियम ईंधन के बराबर ऊर्जा पैदा हो सकती है.

सीतामढ़ी बिहार के मोहम्मद जहांगीर ने अपने पत्र में पूछा है कि चीन में जनगणना कितने वर्षों में होती है?

दोस्तो,चीन में जन-गणना लगभग हर दस साल में एक बार की जाती है.पहली जनगणना पहली जुलाई 1953 को आरंभ हुई थी और उस का परिणाम पहली नवम्बर 1954 को घोषित किया गया था.उस के अनुसार तब चीन की जनसंख्या केवल 60 करोड़ से कुछ ज्यादा थी.1964 में दूसरी जनगणना हुई और जनसंख्या 72 करोड़ पाई गई.तीसरी जनगणना 1982 में हुई.दूसरी और तीसरी जनगणनाओं के बीच कोई 20 साल का अंतराल था.ऐसा इसलिए हुआ कि 1966 से 1976 तक चीन में तथाकथित सांस्कृतिक क्रांति का दौर था और देश अनियमितताओं से घिरा रहा.तीसरी जनगणना तक चीन की आबादी 1 अरब हो चुकी थी.चौथी जनगणना 1990 में की गई,जिस में चीनी जनसंख्या 1 अरब 10 करोड़ का आंकड़ा पार कर गयी.2000 में पांचवीं जनगणना हुई,जिस से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 2000 की पहली नवंबर तक हांगकांग,मकाओं और थाइवान समेत चीन की कुल आबादी 1 अरब 29 करोड़ 53 लाख तक जा पहुंची थी.इस ने यही जाहिर किया कि 20वीं शताब्दी के अंत तक अपनी जनसंख्या को 1 अरब 30 करोड़ के भीतर नियंत्रित रखने का चीन का लक्ष्य सफल रहा.2002 के अंत तक चीन की मुख्यभूमि की कुल जनसंख्या 1 अरब 28 करोड़ 45 लाख 30 हजार हो गई, जिस में हांगकांग व मकाओ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों की आबादी शामिल नहीं है.हां इस वक्त चीन की जनसंख्या विश्व जनसंख्या का कोई पांचवां हिस्सा है.