चीन की एक प्रसिद्ध एतिहासिक कहानी है ।
जिस में यह बतायी गई है कि प्यान च्वांग ची ने किस तरह अपनी बुद्धि के प्रयोग से खुंखार बाघ पर वियज प्राप्त की है । इस नीति कथा एस प्रकार हैः
एक दिन , प्यान च्वांग ची और उस के मित्र दो बाघों को एक साथ एक बैल को फाड़ फाड़ कर खाते हुए देखा , उस के दिमाग में तुरंत बाघ को मार डालने का विचार आया , अभी वह बाघ से भिड़त होने आगे बढ़ना चाहा ,तो उस के मित्र ने उसे पीछे खींच कर कहा, अभी नहीं , बैल का मांस काफी स्वादिश है , उस का बांटवारा करने के लिए दोनों बाघों में जरूर झगड़ा हो उठेगा , दोनों के बीच घोर संघर्ष होने के दौरान कमजोर बाघ शहजोर बाघ के मार -वार का शिकार बन जाएगा , साथ ही शहजोर बाघ भी मार पीट के समय घायल हो जाएगा ।
ऐसे समय जब तुम बाघ पर धावा बोलेंगे , निश्चय ही विजय तुम्हारे हाथ में होगी ।
तुम आधा शक्ति से ही दो बाघों को मारने का गौरव पा सकेंगे । प्यान च्वांग ची ने अपने मित्र का सुझाव माना और इंतजार करने लगा ।
थोड़ी देर में दोनों बाघ बैल के एक जांघ छीनने के लिए आपस में लड़ने लगे ।
परिणाम यह निकला था कि एक बाघ दूसरे बाघ से मार डाला गया , और खुद उस बाघ का पैर भी जख्म हुआ और वह लंगड़ा बन गया ।
इसी मौका पा कर प्यान च्वांग ची ने आगे बढ़ कर घायल बाघ पर वार किया , उस का तेज तलवार बाघ के शरीर में घोंस किया गया , दो तीन वार में ही बाघ वहीं पर खेत हो गया ।
अपनी बुद्धि से ही प्यान च्वांग ची ने एक समय दो बाघों को मार कर महान विजय प्राप्त की ।
दोस्तो , यह नीति कथा हमें बताती है कि कोई भी काम करने के लिए अनुकूल मौका और अच्छा तरीका अपनाने की कोशिश करना चाहिए ।
कभी कभी अनुकूल मौके पर कम शक्ति से भारी सफलता पा सकती है ।
बुद्धि कभी कभी शारीरिक ताकत से ताकतवर सिद्ध होती है । बुद्धि के प्रयोग से कठिन काम को आसानी से पूरा किया जा सकता है ।
|