दोस्तो, आज हम आप लोगों को दोहा में आयोजित हो रहे एशियाई खेल समारोह में एक विशेष प्रतियोगिता इवेंट का परिचय देंगे। वह है कबड्डी।
तीन तारीख की दोपहर को कतार की राजधानी दोहा के एस्पिर खेल केंद्र में कोई सीट खाली नहीं थी। दक्षिण एशिया के संगीत व ढोल की ऊंची आवाज़ में भारत व जापान के बीच कबड्डी खेल प्रतियोगिता आयोजित हो रही थी। हर टीम में सात खिलाड़ी शामिल हैं। दोनों टीमें अपने अपने पाले में खड़ी हैं। सब से पहले एक पक्ष का एक खिलाड़ी मध्य रेखा को पास करके दूसरे पक्ष पर हमला करता है। जब प्रतिरक्षा पक्ष हमला पक्ष के सभी खिलाड़ियों को हरा देता है , तो सारे मैदान में वाहवाही व ताली बजाने की बहुत ऊंची आवाज़ें गूंज पड़ती हैं। हम बहुत मुश्किल से यह सोच पाए कि यह एशियाई खेल समारोह की एक औपचारिक प्रतियोगिता है, क्योंकि सभी दर्शक आनंद के वातावरण में मज़ा ले रहे थे। दर्शकों में ऐसे लोग बहुत हैं, जो अपने परिवार के साथ प्रतियोगिता देखने के लिये यहां आए हैं। सुश्री दिनबी लान्नी उन में से एक हैं। उन्होंने कहा कि, हमें कबड्डी खेल बहुत पसंद है। क्योंकि हम भारतीय हैं, और यह हमारे देश का खेल इवेंट है। मैं यह चाहती हूं कि मेरे बेटे इस प्रतियोगिता को देखकर अपने देश की संस्कृति को समझें व महसूस करें। और हमें भारतीय टीम की जीतने से बहुत गौरव का एहसासा होता है।
कबड्डी दक्षिण एशिया के देशों में एक बहुत लोकप्रिय खेल है। आरंभ में वह केवल भारत की परंपरागत दौड़ की एक प्रतियोगिता था।फिर धीरे-धीरे वह पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल व बर्मा आदि देशों में फैला । क्योंकि इस खेल में किसी संस्थापन की ज़रूरत नहीं है, इसलिये आम जनता के लिये वह एक बहुत उचित खेल है। न सिर्फ़ खिलाड़ी, बल्कि दर्शक भी इस में खूब मज़ा लेते हैं। पाकिस्तान की कबड्डी टीम के प्रशिक्षक श्री साकिब ने संवाददाता से कहा कि, कबड्डी खेल पाकिस्तान, भारत व बंगाल देश आदि देशों में बहुत लोकप्रिय है, और राष्ट्रीय खेल इवेंट बन गया है। न सिर्फ़ देहातों में बल्कि शहरों में लोग बहुत आसानी से यह खेल खेल सकते हैं। क्योंकि इसे एक छोटे से मैदान में खेला जा सकता है, और इस में खर्च भी कोई खास नहीं होता। यह एक बहुत जोशीला खेल है जिसे आमतौर पर खुले में खेला जाता है और अब प्रतियोगिता की मांग के अनुकूल इसे अंदर भी खेला जा सकता है।
देखने में कबड्डी बहुत आसान है, पर उस के अपने नियम हैं। भारतीय कबड्डी टीम के प्रशिक्षक श्री भारतींदर ने संवाददाता से परिचय देते हुए कहा कि, प्रतियोगिता में हर टीम में सात खिलाड़ी होते हैं। खिलाड़ी लगातार बिना सांस तोड़े ऊंची आवाज़ में कबड्डी - कबड्डी बोलते हैं। हमला करने वाला खिलाड़ी केवल उसी स्थिति में अंक प्राप्त कर सकता है जब कि वह दूसरे पक्ष के पाले में हमला करके ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ियों को छू ले और पकड़ा न जा सके। अगर प्रतिरक्षा खिलाड़ी हमलावर खिलाड़ी को अपने पाले में न पकड़ सकें तो प्रतिरक्षा खिलाड़ी बाहर हो जाएगा। एक कबड्डी प्रतियोगिता का समय चालीस मिनट है, और यह दो भागों में बंटा हुआ है।
इस शताब्दी के तीसरे दशक से कबड्डी प्रतियोगिता शुरु हुई है। वर्ष 1944 में भारतीय ऑलंपिक कमेटी ने प्रतियोगिता के एकीकृत नियम बनाए। वर्ष 1972 में भारत, बंगला देश, नेपाल आदि देशों ने संयुक्त रुप से कबड्डी प्रतियोगिता का आयोजन किया। वर्ष 1978 में भारत, पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका व नेपाल आदि देशों के कबड्डी संघों ने एक साथ एशियाई कबड्डी संयुक्त कमेटी की स्थापना की। दक्षिण एशिया में हर साल कबड्डी चैंपियनशिप या निमंत्रित प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। वर्ष 1982 में कबड्डी नयी दिल्ली में आयोजित नौवें एशियाई खेल समारोह में एक प्रदर्शन इवेंट बना। वर्ष 1990 में कबड्डी पेइचिंग में आयोजित ग्यारहवें एशिया खेल समारोह में एक औपचारिक प्रतियोगिता इवेंट बन गया। और वर्ष 2004 में भारत में कबड्डी का पहला विश्व कप आयोजित किया गया। अब यह खेल जापान, सिंगापुर, मलेशिया, थाइलैंड, इंडोनेशिया, कोरिया गणराज्य आदि देशों में विकसित हो गया, और ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह खेल पसंद आने लगा है।
विश्व में ज्यादा से ज्यादा देशों को कबड्डी का परिचय देने के लिये और दूसरे देशों के खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिये भारत हर साल बहुत से कबड्डी प्रशिक्षकों को विदेशों में भेजता है। ईरानी टीम के वर्तमान कबड्डी प्रशिक्षक श्री मनजीत सिंह एक भारतीय हैं। इस बार उन्होंने ईरानी कबड्डी टीम का नेतृत्व करके दोहा खेल समारोह में भाग लिया है। उन्होंने हमारे संवाददाता को बताया कि, मैंने भारत में 15 वर्षों तक कबड्डी खेली है। इस के बाद मैं पंजाब में एक प्रशिक्षक बना। उसी समय यानि वर्ष 1985 व 1986 में भारत में कोई राष्ट्रीय टीम नहीं थी, और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी कोई कबड्डी प्रतियोगिता नहीं थी। अब कबड्डी ईरान में बहुत लोकप्रिय है। वहां बहुत कबड्डी कल्ब मौजूद हैं। मैंने छै महिने पहले ही ईरान पहुंचकर प्रशिक्षक का काम शुरू किया है।
श्री सिंह के अनुसार हाल ही में उन जैसे विदेश में काम करने वाले भारतीय प्रशिक्षक बहुत हैं। वे इस परंपरागत खेल के प्रचार-प्रसार के लिये पूरी कोशिश कर रहे हैं। 21 वर्षीय भारतीय कबड्डी खिलाड़ी श्री गौरव शेट्टी के ख्याल से कबड्डी भारतीय लोगों का गौरव है। उन्होंने कहा कि, मुझे यह खेल बहुत पसंद है। क्योंकि यह मेरे खून में बहता है। आशा है कि यह खेल सारे दुनिया में फैल सके, न सिर्फ़ एशिया खेल समारोह में बल्कि ऑलंपिक खेल समारोह में भी।
भारतीय कबड्डी संघ के अधिकारी के अनुसार अगले वर्ष में भारत के बंबई में कबड्डी विश्व कप का आयोजन होगा। उस समय 18 टीमें इस में भाग लेंगी। और वर्ष 2008 के पेइचिंग ऑलंपिक में कबड्डी एक प्रदर्शन इवेंट के रुप में विश्व को अपनी सौंदर्य दिखाएगा।
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