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(GMT+08:00) 2006-12-01 16:26:48    
सूचना ओलिंपिक स्वर्ण पदक का विजेता छात्र वांग तुंग

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इस साल के 28 अगस्त को मैक्किसिको के शहर माईलिडा में आयोजित 18 वीं अन्तरराष्ट्रीय सूचना ओलिंपियाड प्रतियोगिता में चीन की ओर से हिस्सा ले रहे सभी चार मिडिल स्कूल छात्रों ने स्वर्ण पदक जीते , चार ओलिंपिक विजेता छात्रों में सिन्चांग के उरूमुची शहर के प्रथम मिडिल स्कूल के सिनियर तीसरे वर्ष का छात्र वांग तुंग शामिल है । वांग तुंग चीन के उत्तर पश्चिम क्षेत्र का प्रथम ओलिंपिक विजेता है । यह गौरव स्कूली छात्र वांग तुंग के पिछले पांच सालों के अनवरत अथक अध्ययन का परिणाम है , साथ ही उस का निस्वार्थ समर्थन व मदद देने वाले अध्यापकों व अभिभावकों से अलग नहीं किया जा सकता है ।

अन्तराष्ट्रीय सूचना ओलिंपियाड युनोस्को द्वारा वर्ष 1988 से प्रवर्तित कम्प्युटर विज्ञान क्षेत्र की एक अहम अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता है , जिस में विश्व के विभिन्न देशों के 20 साल से कम उम्र वाले मिडिल स्कूल छात्र भाग लेते हैं । मैक्किसिको में आयोजित 18 वीं अन्तरराष्ट्रीय सूचना ओलिंपियाड में विश्व के 74 देशों व क्षेत्रों से आए 290 छात्रों ने भाग लिया। चीनी छात्र वांग तुंग को बचपन में ही कम्प्युटर में बड़ी रूचि थी और जुनियर मिडिल स्कूल में दाखिला होने के बाद अन्तरराष्ट्रीय सूचना ओलिंपियाड की प्रतियोगिता जानी , जिस से वह बहुत ही प्रभावित हुआ और कम्प्युटर में गहन अध्ययन कर अपना स्तर उन्नत करने का सपना देखा । स्कूल के अध्यापकों के निर्देशन में वांग तुंग सूचना प्रौद्योगिकी सीखने लगा । इस की चर्चा में उस ने कहाः

कम्प्युटर विज्ञान सीखने के शुरूआती दौर में बहुत बेरूचि लगती थी , रोज नीली स्क्रीन के सामने बैठना पड़ता था । लेकिन धीरे धीरे मुझे इस पर गहरी रूचि पैदा हुई और जब एक कठिन सवाल का हल किया गया तो मुझे अपार कामयाबी की अनुभूति आयी ।

शुरू शुरू में वांग तुंग के साथ अन्य बीस छात्र भी थे , उन में से कुछ छात्र वांग तुंग से होशयार थे , लेकिन वांग तुंग बहुत अध्ययनशील है , इसलिए उस की अध्यापिका सुश्री यांग ह्वी रूङ का उस की इस विशेषता पर ध्यान आया । सुश्री यांग ने कहाः

पहली नजर में वांग तुंग बहुत मैधावी नहीं लगता है , लेकिन उस में कड़ी मेहनत और दृढ संकल्प की गुणवत्ता है , जो विज्ञान सीखने के लिए हितकर सिद्ध होता है । ओलिंपियाड की प्रतियोगिता के लिए प्रशिक्षण सभी अवकाश काल में होता है । सातवें वर्ष से ग्यारहवें वर्ष तक के पांच सालों में वांग तुंग का सभी अवकाश समय प्रशिक्षण में लग गया था ।

वांग तुंग का अध्ययन रास्ता कठिनाइयों से भरा हुआ था , जुनियर मिडिल स्कूल के दूसरे वर्ष में उस ने राष्ट्रीय किशोर सूचना ओलिंपियाड की प्रांतीय प्रतियोगिता में भाग लिया , लेकिन कम अनुभव के कारण केवल दूसरे दर्जे का पुरस्कार जीता और प्रांतीय टीम में शामिल होने से वंचित हुआ । लेकिन उस का संकल्प पस्त नहीं हुआ । दूसरी बार की प्रतियोगिता में डाटा सेव करने की गलति से वह फिर हार गया , जिस से उसे बड़ा धक्का लगा । इस बात की याद में अध्यापिका यांग ह्वी रूङ ने कहाः

मैं ने पाया कि कम्प्युटर स्टुडियो में वांग तुंग बहुत खराब मुद्रा में बैठा , तीन घंटों तक उस की आंखों में आंसू बहती रही । मैं ने उसे तसल्ली देते हुए कहा कि तुम उम्र में छोटे हो , आगे के अनेक मौके मिलेंगे।

वांग तुंग की विफलता के कारण भी उस की अध्यापिका यांग को उस की क्षमता पर संदेह नहीं आया । गर्मियों की छुट्टी के दौरान उन्हों ने वांग तुंग और एक दूसरे छात्र को हुनान प्रांत भेजा और उन्हें वहां उन से श्रेष्ठ छात्रों के साथ मैच करने का मौका दिलाया और दोनों का अनुभव समृद्ध कराया । इस प्रबंध से वांग तुंग की नजर खुल गयी और अच्छा अच्छा अनुभव हासिल हुआ और उस का विश्वास भी वापस आया । इस की चर्चा करते हुए वांग तुंग ने कहाः

मुझे महसूस हुआ है कि हुनान प्रांत में मेरी प्रगति बहुत बड़ी है और सिन्चांग लौटने के बाद मुझे अपने को बड़ा अनुभवी लगा । पहले जब प्रतियोगिता में प्रश्नों के पेपर मिले , तो जल्दबाजी से उत्तर देने लगता था , हुनान से लौटने के बाद मैं हमेशा पहले प्रश्नों को गौर से पढ़ता हूं , इस के बाद प्रोग्राम लिखता हूं , इस तरीके से मुझे भारी प्रगति मिली । सचमुच ही हुनान से लौटने के बाद वांग तुंग का स्तर बहुत तेजी से उन्नत हुआ ।

हाई स्कूल के पहले वर्ष में दसवीं राष्ट्रीय किशोर सूचना ओलिंपियाड की क्षेत्रीय प्रतियोगिता हुई , वांग तुंग ने करीब पूर्ण अंक पा कर सिन्चांग का प्रथक स्थान जीता , इस तरह वह प्रांतीय टीम में दाखिल हो गया , जिस में उस ने अन्य प्रांतीय टीमों के सदस्यों के साथ आठ महीने का प्रशिक्षण ले लिया ।

वांग तुंग की माता जी त्वांग सिनह्वी को पुत्र की असाधारण परिश्रम देख कर दिल में बड़ी दर्द लगी , लेकिन उन्हों ने पुत्र का समर्थन नहीं छोड़ा , उन का कहना हैः

मेरा बेटा इन सालों में बहुत कठिन रास्ते से गुजरा है , पांच सालों में उस ने कभी छुट्टी नहीं मनायी थी । वह हर काम में अडिग और मेहनती रहता है। स्कूल के बाद घर में भी पढ़ता है । मैं ने उसे प्रतियोगिता में भागेदारी छोड़ने की सलाह दी थी , लेकिन उस ने नहीं माना , अतः मैं उस का समर्थन करती रही।

मेहनत का रंग आया । अगस्त 2005 में वांग तुंग ने 22 वें चीनी राष्ट्रीय किशोर सूचना ओलिंपियाड की प्रतियोगिता का स्वर्ण पदक जीता और राष्ट्रीय टीम में दाखिला पाया । राष्ट्रीय टीम में उस ने तीसरा स्थान जीता ।

वर्ष 2006 के मई में राष्ट्रीय टीम ने श्रेष्ठ छात्रों का चयन किया , वांग तुंग ने दूसरा नम्बर प्राप्त किया , वह सिन्चांग का ऐसा एकमात्र छात्र रहा ।

वर्ष 2006 के अगस्त माह में 18 वां अन्तरराष्ट्रीय सूचना ओलिंपियाड मैक्किसिको के माईलिडा शहर में आयोजित हुआ । दो दिन की प्रतियोगिता में वांग तुंग ने अपने काम का बड़ा सुव्यवस्थित प्रबंधन किया और अपनी मनोभावना को अच्छे नियंत्रण में रख लिया और चीनी टीम को शौभा देने का संकल्प किया । उस की अध्यापिका सुश्री यांग ह्वीरूङ को महसूस हुआ है कि वह सचमुच परिपक्कव हो गया है । तीव्र प्रतियोगिता के बाद उस ने शानदार प्रदर्शन कर स्वर्ण पदक जीता । सुश्री यांग ने कहाः

मैं कहना चाहती हूं कि मैं उसे धन्यावाद देती हूं , क्योंकि उस ने चीनी टीम को शौभा दिया है और सिन्चांग का गौरव बढाया है और सिन्चांग के प्रथम मिडिल स्कूल का गौरव बढ़ाया है । उस की अध्यापिका होने के नाते मैं बहुत गर्व महसूस करती हूं । वांग तुंग की सफलता से जाहिर है कि किसी भी स्थिति में जब अध्यापक अथक प्रयास करते हों और छात्र कड़ी मेहनत करते हों , तो श्रेष्ठ छात्रों को प्रशिक्षित किया जा सकता है और देश या विश्व की स्पर्धा को जीत सकता है ।

वांग तुंग को अब चीन के मशहूर उच्चशिक्षालय यानी छिंग ह्वा विश्वविद्यालय में बिना परीक्षा की जरूरत से दाखिला किया गया , वहां भी वह हर हफ्ते कम्प्युटर का परीक्षण लेता रहा और अवकाश समय में स्वास्थ्य के लिए फुटबाल खेलता रहा । उस ने कहा कि वह अपने समय का युक्तियुक्त प्रबंध करना चाहता है और काम और अध्ययन का श्रेष्ठ परिणाम पाने की कोशिश करता है ।