चीन के उत्तरी और पश्चिमी सीमान्त प्रदेशों में बसने वाली विभिन्न अल्पसंख्यक जातियों ने पूर्वी हान काल से लम्बी दीवार के दक्षिण में स्थानान्तरित होना शुरू कर दिया था।
जहां वे हान जाति के लोगों के साथ मिलजुलकर रहने लगीं।
पश्चिमी चिन काल के दौरान जब किसानों का बोझ बढ़ते-बढ़ते असह्य हो गया और हर साल की प्राकृतिक विपत्तियां व महामारियां उनको तबाह-बरबाद करने लगीं।
उनके पास अपने गुजारे का कोई जरिया नहीं रह गया और वे जीविका की तलाश में अपना घरबार छोड़कर अन्य इलाकों में जाने लगे।
इन परिस्थितियों में श्युङनू अभिजात वर्ग के ल्यू य्वान नामक व्यक्ति ने पश्चिमी चिन सरकार के विरुद्ध किसानों के असन्तोष का लाभ उठाते हुए विद्रोह का झण्डा बुलन्द कर दिया।
उसने ल्वोयाङ व छाङआन पर हमला करके कब्जा कर लिया और पश्चिमी चिन शासन को समाप्त कर डाला।
पश्चिमी चिन शासन का अन्त होने के अगले साल अर्थात 317 ई. में लाङया के राजा सिमा रुइ ने दक्षिण में एक नया राज्य कायम किया और च्येनखाङ (वर्तमान नानचिङ) को उसकी राजधानी बनाया।
यह नया राज्य, जो एक सौ वर्षों से अधिक समय तक कायम रहा, इतिहास में पूर्वी चिन (317-420) के नाम से मशहूर है।
जिस समय दक्षिणी चीन में पूर्वी चिन का शासन कायम था, उत्तरी चीन राजनीतिक विभाजन के एक लम्बे दौर से गुजर रहा था।
उस समय कुछ अल्पसंख्यक जातियों के अभिजातवर्गीय लोगों और हान जाति के शक्तिशाली सामन्तों ने ह्वाङहो नदीघाटी के इलाके और सछ्वान में 20 से अधिक स्थानीय राज्य कायम कर लिए।
इनमें से केवल 16 की कालावधि व शक्ति अपेक्षाकृत अधिक थी, और उन्हें इतिहासकारों द्वारा "16 राज्यों"के नाम से पुकारा जाता है।
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