श्रोता दोस्तो, अब हमारा चीन का भ्रमण कार्यक्रम आरम्भ होता है। मित्रो , शायद आप को मालूम न हो कि चीन के अधिकांश लोगों के दिल में अपने देश के चिंगकांग शान नामक पर्वत के लिए एक विशेष स्थान है। इस का कारण ऐतिहासिक है। दरअसल आज से कोई 70 साल पहले नये चीन के संस्थापक स्वर्गीय माओ त्से तुंग और चू तेह आदि चीन की महान विभूतियों ने इस पर्वतीय क्षेत्र में चीन के अर्धसामंती व अर्धऔपनिवेशिक इतिहास को बदलने की प्रक्रिया शुरू की थी,इससे आगे बढ़कर देशोद्धार युद्ध में विजय पायी थी और एक अक्तूबर 1949 को चीन लोक गणराज्य की स्थापना की थी। इसीलिये चिंगकांगशान का क्रांतिकारी आधार चीनी लोगों के दिल में आज तक घर किये हुए है और एक प्रसिद्ध रमणीक पर्यटन स्थल के रूप में भी देशी-विदेशी पर्यटकों को यह बरबस अपनी ओर खींचता है। आइये आज चलते हैं इस पर्वतीय पर्यटन स्थल को देखने।
चिंगकांगशान पर्वत पूर्वी चीन में स्थित च्यांगशी प्रांत के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित है । उस के बगल में मध्य चीन का हू नान प्रांत है । चांग शी प्रांत की राजधानी नानछांग शहर से निकलकर गाड़ी द्वारा वहां पहुंचने में कोई छः , सात घंटे लग जाते हैं । यह पर्वत अपनी विशाल टेढी-मेढ़ी श्रृंखलाओं और अपार घने जंगलों के लिए विख्यात है। इसके रमणीक पर्यटन क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 260 वर्गकिलोमीटर से अधिक है और जिस की 80 प्रतिशत की भूमि पर घने जंगल उगे हुए हैं । गत सदी के बीस वाले दशक के अंत में यहां के ऊंचे पर्वतों व घने जंगलों के मद्देनजर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के स्वर्गीय नेता माओ त्से तुंग ने यहां पर प्रथम चीनी ग्रामीण क्रांतिकारी आधार क्षेत्र कायम किया था। चीनी क्रांति भी इसी चिंग कांन शान में शुरू होकर समूचे चीन में सफल हुई और चिंग काग शांग भी इसीलिये क्रांतिकारी हिंडारा के नाम से नामी हो गया। आज पर्यटकों के लिये चिन कांग शान मात्र एक पर्वत ही नहीं , बल्कि चीनी क्रांतिकारी इतिहास का साक्षी भी है ।
चिन कांग शान पर्वत का प्राकृतिक दृश्य अत्यंत अजीबोगरीब है । अद्भुत झरनों , घने चलते-फिरते कोहरों और खिले हुए जंगली फूलों से संपन्न 60 से अधिक प्राकृतिक क्षेत्रों ने अपनी विशेष पहचान बना रखी है । पूरे रमणीक पर्यटन क्षेत्रों में अजीबोगरीब ऊंची-ऊंची चोटियां भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन कम्पनी की गाइड सुश्री ल्यू शिन ने इस तरह परिचय देते हुए कहा कि पत्थर बंदर चोटी पर खड़े होकर आप को एक समतल ढलान नजर आती है , इस ढलान पर बंदर रूपी अजीब चट्टानें हैं , जिन में सब से बड़ी चट्टान एक मादा बंदर जान पड़ती है और वह अपनी संतानों को शिक्षा-दीक्षा जान पड़ती है , इसलिये स्थानीय लोग उसे बंदर समूह का शिक्षा लेने वाला पत्थर दृश्य कहते हैं ।
पत्थर बंदर चोटी की ही तरह अन्य चोटियों की भी अपनी-अपनी अलग दृश्य विशेषताएं हैं । उदाहरण के लिये प्राचीन देवदार चोटी पर उगे देवदार पेड़ कोई 8 सौ वर्ष पुराने हैं ।
इस क्षेत्र में ची फींग, ह्वांगयांगचेह, माओ फिंग और लुंगथान समेत दस बड़े पर्यटन स्थल आम लोगों के लिए खुले हैं, जिन में माओ त्से तुंग व चू तेह के नेतृत्व में तत्कालीन लाल सेना द्वारा चलाये गये सशस्त्र संघर्ष से जुड़े सौ से अधिक स्मारक स्थल व अवशेष शामिल हैं। हू नान प्रांत से आयी पर्यटक सुश्री इन छिन तत्कालीन लाल सेना वर्दी पहने हुए नज़र आयीं । उस ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि मुझे बड़ा अच्छा लगता है , मैं इस तरह की सैनिक वर्दी पहनना चाहती हूं। सुश्री इन छिन के पीछे स्वर्गीय माओ त्से तुंग की तस्वीर, पदक व क्रांतिकारी सांस्कृतिक चिन्ह बेचने वाली दुकानें बड़ी तादाद में पर्यटकों को अपनी ओर खींचती हैं , वे बड़े मजे के साथ मनपसंद वस्तुओं को चुनने के साथ-साथ दुकानदारों से मोल-तोल करते हुए दिखाई देते हैं ।
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