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(GMT+08:00) 2006-11-28 14:55:53    
बर्फीले पठार में जीवन की रोशनी चमकदार है

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चीन का तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश अपने सुन्दर पठारीय दृश्यों और तिब्बती जाति के रीति-रिवाज़ों के कारण सारे विश्व को लुभाता है । लेकिन पठारीय तिब्बत में रहना मैदानी लोगों के लिए थोड़ा मुश्किल है। तिब्बत का विशेष पठारीय मौसम, सूर्य की तेज़ किरणें और धूप, कम ऑक्सिजन का वातावरण लोगों के स्वास्थ्य के लिए चुनौतीपूर्ण है । इस तरह अनेक लोग सिर्फ़ पर्यटन के लिए तिब्बत जाते हैं । वर्ष 2003 की गर्मियों से मैदानों में रहने और विश्वविद्यालय से स्नातक होने वाले अनेक युवा तिब्बत में स्वयं-सेवक बन चुके हैं । अपनी सेवा का कार्यकाल समाप्त होने के बावजूद अनेक स्वयं-सेवक तिब्बत में ठहरते हैं, और उन की तिब्बत में लम्बे समय तक काम करने की इच्छा है । हाल में हमारे संवाददाता ने तिब्बत में इन स्वयं सेवकों के साथ साक्षात्कार किया। इस लेख में हम आप को ली श्येन ह्वे नामक स्वयं-सेवक का परिचय देंगे, और उन से आप सुनिए वे और तिब्बत की कहानी ।

तिब्बती-गीत《छिंगहाई-तिब्बत पठार》देश भर में बहुत लोकप्रिय है । गीत का भावार्थ कुछ इस प्रकार है-- कौन है वह, जो प्राचीन समय को पुकार रहा है ? कौन है वह, जो हज़ारों वर्षों से इन्तज़ार में खड़ा है ? कौन है वह, जो दिन-रात आकाश से सटा रहता है? ओह, मुझे वहां एक के बाद एक कई पर्वत दिखते हैं, वह छिंगहाई-तिब्बत पठार ही है ।

छिंगहाई-तिब्बत पठार में स्थित तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश के लोगों को इस गीत की तरह के ही विशेष अनुभव होते हैं । यहां के विशाल पठारीय घास मैदान, और नीला आसमान व सफेद बादल लोगों को लुभाते हैं । लेकिन समुद्र की सतह से औसतन ऊंचाई 4 हज़ार मीटर होने के कारण तिब्बत में ऑक्सिजन भीतरी इलाके की तुलना में सिर्फ़ एक तिहाई है । यहां जाने वाले प्रथम रेल मार्ग पर यातायात सेवा अभी-अभी शुरू हुई है, इस तरह गंभीर प्राकृतिक स्थिति ने तिब्बत के विकास में बाधा खड़ी की है ।

गत शताब्दी के अस्सी वाले दशक से ही चीन सरकार ने भीतरी इलाके के अन्य तीस से ज्यादा प्रांतों के द्वारा तिब्बत की सहायता करने की नीति अपनायी। इस के बाद तिब्बत का बड़ा आर्थिक विकास हुआ । तिब्बत समेत पश्चिमी चीन में मौजूद सुयोग्य व्यक्तियों के अभाव के सवाल के समाधान के लिए तीन साल पहले चीनी कम्युनिस्ट नौजवान लीग और चीनी शिक्षा मंत्रालय ने संयुक्त रूप से युनिवर्सिटी के विद्यार्थियों द्वारा पश्चिमी क्षेत्र में सेवा करने की परियोजना बनायी, और विश्वविद्यालयों से स्नातक होने वाले विद्यार्थियों को पश्चिमी चीन में दो सालों के लिए स्वयं सेवा करने की प्रेरणा दी। और दो सालों के कार्यकाल की समाप्ति पर वहीं काम जारी रखने को प्रोत्साहन दिया । इस परियोजना पर विश्वविद्यालयों के व्यापक विद्यार्थियों की सक्रिय प्रतिक्रिया हुई । 28 वर्षीय ली श्येन ह्वेइ इन स्वयं सेवकों में से एक हैं ।

तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश की राजधानी ल्हासा में हमारी मुलाकात ली श्येन ह्वेइ से हुई । वह पूर्वी चीन के समुद्र तटीय शहर के निवासी हैं, लेकिन अब छिंगहाई-तिब्बत पठार की तेज़ धूप से उस का चेहरा लाल हो गया है। उस की आंखें चमकदार हैं, जिनमें अक्सर उस की समझदारी झलकती है। 

ली श्येन ह्वेइ चीन के मशहूर विश्वविद्यालय पेइचिंग विश्वविद्यालय के कानून विभाग में एम.ए डिग्री के लिए अध्ययनरत है । अवकाश के समय वह पेइचिंग के एक लाओयर मामालात के कार्यालय में काम करता है । गत वर्ष की गर्मियों में विश्वविद्यालय से स्नातक होने के पूर्व उसे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा पश्चिमी चीन में स्वयं सेवा करने वाली परियोजना मालूम हुई । उस समय उस के सामने दो विकल्प थे, यानि लाओयर मामलात के कार्यालय में औपचारिक कर्मचारी बनना और एक स्वयं-सेवक बनना । अगर वह लाओयर मामलात के कार्यालय में काम करता, तो उसे हर एक माह कोई दस हज़ार य्वान से ज्यादा आमदनी होती । अगर स्वयं-सेवक बनता, तो सिर्फ़ एक हज़ार य्वान, बुनियादी जीवन के स्तर वाली आमदनी ही होती । इन दो विकल्पों पर ली श्येन ह्वेइ ने ज्यादा नहीं सोचा और दूसरा विकल्प चुना। यहां तक कि वह चीन के तिब्बत स्वायत्त-प्रदेश में स्वयं-सेवक बनने के लिए तैयार हुआ, जहां पश्चिमी चीन में जीवन सब से कठिन है । इस की चर्चा में ली श्येन ह्वेइ ने कहा

"तिब्बत के प्रति मेरा एक विशेष अनुभव है । मुझे लगता है कि तिब्बत बहुत रहस्यमय ही नहीं, धार्मिक विशेषता वाला प्रदेश भी है । मुझे तिब्बत पसंद है और यहां स्वयं सेवा करने का विकल्प मेरा अपना है ।"

ली श्येन ह्वेइ ने माना कि पहले उस ने तिब्बत आने का विकल्प चुनने पर ज्यादा सोच-विचार नहीं किया । लेकिन उस की आशा है कि स्वयं-सेवक के रूप में वह अपनी जिंदगी में एक विशेष अनुभव पैदा करेगा और जीवन का अभ्यास करेगा ।