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(GMT+08:00) 2006-11-27 17:53:14    
चा चांग-ख और उन की फिल्में

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दोस्तो,कुछ समय पूर्व संपन्न हुए 63वें वेनिस फिल्मोत्सव में चीनी युवा फिल्म-निर्देशक चा चांग-ख द्वारा निर्देशित फिल्म 《सानश्या के बढिया लोग》को सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार स्वर्ण-शेर से सम्मानित किया गया।।इस तरह चा चांग-ख इस तरह का पुरस्कार प्राप्त करने वाले पांचवें चीनी फिल्म निर्देशक बन गये। 1999 में चीनी फिल्म निर्देशक चांग ई-मो की फिल्म《एक भी नहीं छोडा जा सकता》के बाद यह चीन की मुख्यभूमि के किसी भी फिल्म निर्देशक की झोली में आया इस तरह का दूसरा पुरस्कार भी है।

फिल्म 《सानश्या के बढिया लोग》दो अलग-अलग प्रेम-कहानियों से बनी हुई फिल्में हैं।

सानश्या त्रिघाटी में चीन की अब तक की सब से बड़ी जल-परियोजना के निर्माण-स्थल के निकट एक नगर में दो जोड़ी युवक और युवती रहते हैं। एक जोडी युवक और युवती एक दूसरे को अच्छी तरह जानने के बाद सात फेरे संपन्न करते हैं। जबकि दूसरी जोड़ी के युवक और युवती एक दूसरे को खूब जानने के बाद एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। लेकिन इन दोनों जोड़ियों के युवक और युवतियां सच्चे प्रेम ढूंढने की राह पर अपनी-अपनी उपलब्धियां प्राप्त करते हैं। 63वें वेनिस फिल्मोत्सव में इस फिल्म को स्वर्ण-शेर पुरस्कार से सम्मानित करने के बाद आयोजित एक न्यूज-ब्रीफिंग में फिल्म-चुनाव कमेटी की अध्यक्ष, सुप्रसिद्ध फ्रांसीसी फिल्म अभिनेत्री सुश्री कैटरिन.डेनाव ने कहा: "इस फिल्म की गुणवत्ता ने चुनाव-कमेटी के सभी सदस्यों को आश्चर्यचकित किया है। फिल्म के दृश्य इतने सुन्दर हैं और कहानी भी इतनी विशिष्ट है कि हम इसे देखकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके हैं। यह सचमुच एक अत्यंत विशिष्ट फिल्म है।"

चा चांग-ख का जन्म 36 साल पहले उत्तर पश्चिमी चीन के शानशी प्रांत की फिन-यांग काऊंटी में हुआ था। उन के पिता एक मीडिल स्कूल के अध्यापक थे और मां एक बड़ी दुकान में काम करती थीं। प्राइमरी और जूनियर मीडिल स्कूल में सभी अध्यापक उन से हमेशा बहुत

खुश रहे। वह ठीक समय पर स्कलू जाते थे,समय पर होमवर्क पूरा करते थे और परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करते थे। लेकिन सीनियर मीडिल कक्षा में दाखिल होने के बाद उन की रूचि संगीत की ओर चली गई। उन्हों ने ज्यादा समय नाचगान में लगाया। उस समय डिस्को डांस काफी प्रचलित था और वह इस डांस पर महारत हासिल कर अक्सर कई सहपाठियों के साथ अवकाश मिलते ही डांस करते थे। 1993 में उन्हें पेइचिंग फिल्म कालेज में दाखिला मिला। 3 साल बाद उन्हों ने स्वतंत्र फिल्म प्रोड्यूसरों के लिए फिल्म बनानी शुरू की।

तब से अब तक उन्हों ने 5 फ़ीचर फिल्में बनाई हैं, जिन में से वर्ष 2000 में बनी《प्लेटफॉर्म》,वर्ष 2004 में निर्मित《दुनिया》औऱ चालू साल की《सानश्या के बढिया लोग》क्रमशः 3 बार वेनिस फिल्मोत्सव में औपचारिक प्रतियोगिता की श्रेणी में पहुंची हैं। यह कोई आसान काम नहीं है। अपने जन्मस्थान से पेइचिंग जैसे महानगर में आना चा चांग-ख की अभिलाषा रहा। लेकिन पेइचिंग का वातावरण उन्हें रास नहीं आया।इसलिए वह अक्सर जन्मस्थान वापस लौटते हैं। साल में ज्यादातर समय वह पेइचिंग से बाहर अपने जन्मस्थान या किसी दूसरी जगह ही बिताते हैं। पेइचिंग उन के लिए एक अस्थाई सी जगह है,जहां उन्हें लगता है कि वह एक परदेशी हैं। उन की फिल्म《दुनिया》में पेइचिंग मेंनौकरी के लिए आए नौजवानों के जीवन और उस से जुड़ी नासमझी, मुसीबतों,खुशियों उम्मीदों और भविष्य के गर्भ में छिपे भाग्य को दिखाया गया है।चा चांग-ख मानते हैं कि वह खुद उन नौजवानों में से एक हैं। उन्हों ने कहाः

"देश में शहरीकरण बहुत तेजी से हो रहा है। पेइचिंग सन् 2008 के ऑलिम्पिक खेलों का मेजबान बनने के बाद दूसरे क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोगों का इस शहर में पलायन हो रहा है। मैं भी उन के साथ यहां आया हूं। मेरा जन्मस्थान—शानशी प्रांत की फिन-यांग काउंटी एक बहुत छोटा क्षेत्र है। पेइचिंग जैसे महानगर में हमारे जैसे परदेशियों को "बहती पीढ़ी" कहकर पुकारा जाता है। मेरी फिल्म《दुनिया》में ही तेज आर्थिक विकास के दौरान "बहती पीढ़ी" की समस्य़ाओं,तनाव,दबाव,उम्मीदों और दुखों को दर्शाया गया है।"

चा चांग-ख यथार्थवादी शैली में फिल्म बनाना और गैर-पेशावर अभिनेताओं व अभिनेत्रियों को अपनी फिल्म में लेना पसन्द करते हैं। साधारण लोगों का विभिन्न प्रकार का सामाजिक जीवन दिखाना उन की फिल्मों का मुख्य विषय रहता है। उन की पहली फिल्म《युवक ऊ》में उन की जन्मभूमि के ऊ नामक एक युवक के जीवन का सजीव बखान किया गया था। इस फिल्म को 48वें बर्लिन अंतर्राष्ट्रीय फिल्मोत्सव में पुरस्कार मिला था। फ्रांसीसी पत्रिका《कोहियर द सिनेमा》में इस फिल्म पर टिप्पणी की गई थी कि यह फिल्म चीनी फिल्मांकन के नियमित ढांचे से मुक्त होकर चीनी फिल्मोद्योग के पुनरूत्थान और जीवनी शक्ति का प्रतीक बन गयी है। 63वें वेनिस फिल्मोत्सव में पुरस्कृत फिल्म《सानश्या के बढिया लोग》भी गैर-पेशावर अभिनेता के हीरो के रूप में इस्तेमाल और गैर-परंपरागत तरीके से बनाई गई है। फिल्म में हान सान-मिंग नामक एक हीरो की भूमिका में एक कोयला खनन मजदूर है। इस पर चा चांग-ख ने कहाः

"मुझे यथार्थवादी विषय और तरीके बेहद पसन्द हैं। मैं चाहता हूं कि मेरी फिल्मों में जरा भी बनावटीपन न हो, वह बहुत सहज हो। यह अवस्था अभिनेता की सहजता पर ही निर्भर करती है। इसलिए मैं गैर-पेशावर अभिनेताओं या अभिनेत्रियों से काम करवाता हूं। ये लोग ही फिल्मों में वर्णित भूमिकाओं के मूल रूप बड़ी सहजता और विश्वसनीयता से दर्शा सकते हैं।"

चीन में चा चांग-ख और उन के जैसे उम्र के अन्य फिल्म-निर्देशकों को छठी पीढ़ी के फिल्म-निर्देशक कहकर पुकारा जाता है। चीन में फिल्मों के बाजारीकरण के शुरू में ही उन फिल्म-निर्देशकों ने फिल्म-निर्माण का कार्य शुरू किया था। वे एक तरह कला पर जोर देने वाले अपने विचार पर डटे हैं और दूसरी तरह बॉक्स-आफ़िस को भी महत्व देते हैं। चा चांग-ख अपनी विशेष दृष्टि से फिल्मों में चीनी समाज की वस्तुस्थिति और साधारण लोगों की भावना अभिव्यक्त करने पर कायम हैं।

चा चांग-ख ने फिल्म《सानश्या के बढिया लोग》के साथ《पूर्व》नामक एक डोक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है। इस फिल्म को भी वेनिस फिल्मोत्सव में औपचारिक प्रतियोगता की श्रेणी में दाखिला मिला। किसी एक फिल्म-निर्देशक की दो फिल्मों को एक ही फिल्मोत्सव में इतने उच्चे स्थान पर रखा जाना अभूतपूर्व है। वास्तव में डोक्यूमेंट्री फिल्म《पूर्व》बनाना ही चा चांग-ख का मूल उद्देश्य है। सानश्या त्रिघाटी-क्षेत्र की वर्तमान स्थिति पर आधारित यह फिल्म बनाने के दौरान उन्हों ने पाया कि बहुत से स्थानीय लोग उन के वीडियो-कैमरे के सामने बहुत ज्यादा नहीं बोलना चाहते हैं। इस से चा चांग-खा को जिज्ञासा हुई। उन्हें लगा कि इन लोगों के जीवन में ऐसी कहानियां ज़रूर हैं जिन्हें केवल फीचर फिल्म के माध्यम से ही बताया जा सकता है। इसलिए उन्हों ने डोक्यूमेंट्री फिल्म के साथ एक फीचर फिल्म बनाने का भी फैसला लिया।

चीन में छठी पीढी के फिल्म-निर्देशकों की कौन सी विशेषताएं हैं? इस का जवाब चा चांग-ख ने ऐसा दियाः

"कथित छठी पीढ़ी के फिल्म-निर्देशकों की फिल्मों में यह समानता निश्चित रुप से है कि उन की फिल्मों में व्यक्तिगत दृष्टि और व्यक्तिगत मूल्यों से समाज और मानव को देखा जाता है। मैं समझता हूं कि चीन में व्यक्तिगत अनुभवों और व्यक्तिगत यादों की बड़ी आवश्यकता है। मेरे विचार में कला के लिए यह बहुत ही मूल्यवान है"

फिल्म《सानश्या के बढिया लोग》और फिल्म《पूर्व》की शूटिंग के दौरान चा चांग-ख को यह समझ में आया कि कला शायद कुछ करे या न करे,लेकिन वह उपेक्षित लोगों को सम्मान ज़रुर दे सकती है।