दोस्तो,आज के इस कार्यक्रम में कोआथ बिहार के सुनील केशरी, डी डी साहिबा,संजय केशरी,
सीताराम केशरी, खुशबू केशरी, बवीता केशरी,प्रियंका केशरी,एस के जिंदादिल, प्रमोद कुमार केशरी,मनोज कुमार केशरी,होज़खास नयी दिल्ली के दीपक ठाकुर,मऊ उत्तर प्रदेश के मोहम्मद दानिश और रोहतास बिहार के एम एच निर्दोष के पत्र शामिल किए जा रहे हैं.
कोआथ बिहार के सुनील केशरी,डी डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी, खुशबू केशरी,
बवीता केशरी,प्रियंका केशरी और एस के जिंदादिल जानना चाहते हैं कि चीन बेरोजगारों के लिए कौन सा कदम उठा रहा हैं ? नयी दिल्ली के दीपक ठाकुर भी पूछते हैं कि चीन सरकार बेरोजगारी और नौकरी से छंटनी के सवाल से कैसे निबट रही है?
मित्रो,20 साल से अधिक समय पहले तक योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था के अंतर्गत चीन सरकार मुख्य तौर पर अपने अधीनस्थ बड़े व मझौले कारखानों और संस्थाओं द्वारा नागरिकों को रोजगार दिलाती थी. पर सन् 1978 में चीन में आर्थिक सुधार की शुरूआत के बाद योजनाबद्ध अर्थव्यवस्था की जगह समाजवादी बाजार व्यवस्था कदम-ब-कदम पूर्ण होती गयी है.और चीन सरकार ने अपनी रोजगार नीति में भी भारी रद्दोबदल किया है.सन् 1998 के शुरू में चीन सरकार ने नयी रोजगार नीति बनायी,जिस के तहत राजकीय कारखाने और सरकारी संस्थाएं पूरी तरह अपनी आवश्यकता व इच्छा के अनुसार न कि पहले की तरह सरकारी आदेशों के दबाव में मजदूरों व कर्मचारियों को अपने यहां काम देते हैं.यह नीति कर्मचारी के व्यक्तिगत इरादे,दक्षता व प्रतिभा के साथ बाजार की मांग और सरकारी सहायता पर जोर देती है. इस के चलते पिछले कई वर्षों से लोगों को खासकर घाटे में पड़े राजकीय कारखानों और कम मुनाफे वाली सरकारी संस्थाओं के कर्मचारियों व मजदूरों को अपनी पुरानी नौकरी छोडकर निजी उपक्रमों व गैरसरकारी कंपनियों में नौकरी तलाशनी पड़ी है.बेशक चीन सरकार इन कंपनियों और उपक्रमों को तरह-तरह की व्यावसायिक सुविधाएं देती हैं और संबधित उदार नीतियां भी अपनाती हैं.
जहां तक नौकरी से मजदूरों व कर्मचारियों की छंटनी का सवाल है,सन् 1998 में ही चीन सरकार ने पुनर्सेवा प्रशिक्षण योजना शुरु कर दी थी,जिस के क्रियान्वयन से पिछले कई वर्षों में नौकरी से छंटनी पाने वाले मजदूरों व कर्मचारियों ने नया कार्य कौशल प्राप्त कर पुनः कामधंधा शुरु किया है।
ध्यान रहे चीन में जो मजदूर और कर्मचारी नौकरी से छंटनी का शिकार हुए हैं, उन का अपनी पुरानी संस्थाओं से रिश्ता पूरी तरह नहीं टूटा है,ये संस्थाएं संबंधित सरकारी नीतियों का पालन करते हुए इन मजदूरों व कर्मचारियों को औसत 300 य्वान प्रतिव्यक्ति मासिक का बुनियादी गुजारा-भत्ता देती हैं.अगर ये संस्थाएं घाटे में फंसकर आखिरकार बन्द हो जाती हैं,तो सरकार उन मजदूरों व कर्मचारियों के बुनियादी गुजारे-भत्ते का वहन करती है.
मऊ उत्तर प्रदेश के मोहम्मद दानिश,रोहतास बिहार के एम एच निर्दोष और कोआथ बिहार के सुनील केशरी,डी.डी साहिबा,संजय केशरी,सीताराम केशरी,खुशबू केशरी,बवीता केशरी,प्रियंका केशरी,एस के जिंदादिल पूछते हैं कि चीन की कुल कितनी आबादी है और चीन का कुल कितना क्षेत्रफल है?
दोस्तो,चीन दुनिया में सब से बड़ी आबादी वाला देश है.वर्ष 2002 के अंत तक उस की कुल जनसंख्या 1 अरब 28 करोड़ 45 लाख 30 हजार थी,जिस में हांगकांग व मकाओ विशेष प्रशासनिक क्षेत्रों की आबादी शामिल नहीं है.चीन की जनसंख्या विश्व की कुल जनसंख्या का कोई एक बटे पांच भाग बनती है.
चीन की आबादी का घनत्व भी ज्यादा है.प्रतिवर्गकिलोमीटर के दायरे में औसत 134 व्यक्ति हैं.पर पूर्वी समुद्रतटीय इलाके में यह संख्या 400 से भी ऊपर है और पश्चिमी पठारीय इलाके में यह संख्या 10 से भी कम है.
चीन एशियाई महाद्वीप के पूर्वी भाग और प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट के बीच अवस्थित है,जिस का फर्शी क्षेत्रफल लगभग 96 लाख वर्गकिलोमीटर है.ऐसे में वह रूस और कनाडा के बाद दुनिया का तीसरा बड़ा देश माना गया है.
चीन की थलीय सीमा 22 हजार 800 किलोमीटर लम्बी है.चीन पूर्व में कोरिया जनवादी लोक गणराज्य,उत्तर में मंगोलिया गणराज्य,पूर्वोत्तर में रूस, उत्तर पश्चिम में कज्जाकिस्तान,
गिरगिजिस्तान,ताजिकस्तान,पश्चिम व दक्षिण पश्चिम में अफगानिस्तान,पाकिस्तान,भारत,
नेपाल,भूटान और दक्षिण में म्यांमार,लाओस और वियतनाम आदि देशों से जुड़ा है.पूर्व तथा दक्षिण पूर्व में चीन की नजर समुद्र के उस पार के दक्षिण कोरिया,जापान,फिलिपीन्स,ब्रुनेई,
मलेशिया और इंडोनेशिया से मिलती है.
चीन की समुद्री सीमा की लम्बाई करीब 18 हजार किलोमीटर है और उस के जलक्षेत्र में 5400 द्वीप स्थित हैं जिन में सब से बड़ा द्वीप है थाइवान द्वीप.थाइवान द्वीप का क्षेत्रफल 36 हजार वर्गकिलोमीटर हैं.उस के बाद हाईनॉन द्वीप है,जिस का क्षेत्रफल 34 हजार वर्गकिलोमीटर है.उल्लेखनीय है कि थाईवान द्वीप के पूर्वोत्तर में स्थित त्याओ-यू द्वीप और छी-व्ये द्वीप चीन की पूर्वी जल सीमा है.

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