ऊ राज्य ने कृषि-उत्पादन के विकास के साथ-साथ पोतनिर्माण उद्योग और समुद्री व्यापार को भी बढ़ावा दिया। इस राज्य द्वारा निर्मित कुछ पोत 200 फुट से भी ज्यादा लम्बे होते थे।
पूर्वी हान काल से ही ईचओ (वर्तमान थाएवान) के लोग चीन के दक्षिणपूर्वी समुद्रतट के इलाकों के साथ व्यापार करने लगे थे।
230 ईसवी में ऊ राज्य द्वारा वेइ वन और चूके चि के नेतृत्व में 10000 व्यक्तियों का एक जहाजी बेड़ा ईचओ भेजा गया था, जिससे थाएवान और मुख्यभूमि की जनता के बीच के सम्बन्ध और घनिष्ठ हो गए।
उक्त तीन राज्यों में वेइ राज्य सर्वाधिक शक्तिशाली था।
263 में उसने शू राज्य को जीतकर अपने में मिला लिया। 265 में उसके शक्तिशाली मंत्री सिमा येन(236-290) ने इस राज्य को समाप्त कर चिन के नाम से अपना नया राज्य कायम किया, जो इतिहास में पश्चिमी चिन(265-316) के नाम से मशहूर है।
280 में सिमा परिवार ने ऊ राज्य को जीत लिया और तीन पायों वाली स्थिति का अन्त कर दिया। इस प्रकार अल्पकाल के लिए चीन का पुनः एकीकरण हो गया।
पश्चिमी चिन राजवंश भ्रष्टाचार में डूबा हुआ था तथा उसके अफसरों की नियुक्ति उनके गुणों व योग्यता के आधार पर नहीं बल्कि पारिवारिक हैसियत के आधार पर की जाती थी।
परिणामस्वरूप, सरकार पर एक वंशानुगत विशिष्ट वर्ग का नियंत्रण बढ़ता गया।
सरकार का कोई भी अफसर इस विशिष्ट वर्ग का सदस्य होने के नाते न केवल बड़ी-बड़ी जमीनों का मालिक बन जाता था, बल्कि किसानों पर भी अपनी मिलकियत कायम कर लेता था, जिससे उनकी स्थिति कृषिदासों के समान हो जाती थी। शासक वर्ग के लोग विलासिता व भ्रष्टाचारिता का जी वन व्यतीत करते थे।
देश पर अपना नियंत्रण सुदृढ़ करने के उद्देश्य से पश्चिमी चिन राजपरिवार ने अपने बहुत-से रिश्तेदारों को राजा या जागीरदार बना दिया। लेकिन जल्दी ही उनके बीच सत्ता की छीनाझपटी शुरू हो गई, जिसने "आठ राजाओं के बीच के संघर्षों"को जन्म दिया जो 16 वर्षों तक जारी रहे।
इन राजाओं के बीच चलने वाले परस्पर विनाशकारी युद्धों ने उनके राज्यों की जनता पर कहर बरपा कर दिया और चिन राजवंश का शासन बहुत कमजोर हो गया।
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