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(GMT+08:00) 2006-11-23 18:04:03    
छिंग-छंग पहाड़ और तु-च्यांग बांध

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इस कार्यक्रम में हम "सछ्वान भीमकाय पांडे का जन्मस्थान"शीर्षक सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता का चौथा भाग प्रस्तुत करेंगे। इस भाग में हम आप को सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु के निकट स्थित छिंग-छंग पहाड़ और तु-च्यांग बांध पर ले जाएंगे।ये दोनों स्थान विश्व सांस्कृतिक अवशेषों की सूचि में शामिल किए गए हैं। अच्छा, रिपोर्ट देने से पहले हम इस से संबंधित दो सवाल पूछेंगे।आप ध्यान से सुनिए। पहला सवाल है कि क्या छिंग-छंग पहाड़ चीनी ताओपंथ का जन्मस्थान माना गया है ? दूसरा सवाल है कि तु-च्यांग बांध का इतिहास कितना पुराना है ?

सछ्वान प्रांत की राजधानी छंगतु से गाड़ी के जरिए पश्चिमोत्तर की दिशा में कोई 1 घंटे का रास्ता तय करने के बाद छिंग-छंग पहाड नजर आ सकता है। पहाड़ की सीढ़ियों से

ऊपर चढते समय आप को छिंग-छंग दुनिया की सब से शांत जगह होने का एहसास होगा। पहाड़ पर प्राचीन पेडों की हरियाली छाई रहती है और झरने कलकल करते हुए बहते दिखाई देते हैं। झरनों की बूंदें हवा में उडकर पेड़ों की पत्तियों पर पड़ती हैं और सूर्य की किरणों के प्रकाश में मोतियों की तरह चमकती हैं। हल्के कोहरे ने कोमल दुपट्टे की तरह पहाड़ को अपने में लपेट कर उसे किसी पवित्र सुन्दरी के रूप में बदल दिया है। जैसे -जैसे आप पहाड़ पर चढ़ते जाते है,शांति और पवित्रता का एहसास बढता जाता है।

छिंग-छंग पहाड़ चीन के मौलिक धर्म—ताओपंथ का जन्मस्थान है। ताओपंथ प्रकृति और मानव जाति के सामंजस्यपूर्ण ढ़ंग से साथ-साथ रहने के विचार का प्रचार-प्रसार करता है। हो सकता है कि कोई 1800 साल पहले ताओपंथ के संस्थापक च्यांग लिंग ने इस पहाड़ के शांत व पवित्र वातावरण से प्रभावित होकर ही यहां सालों तक तपस्या की।

ताओपंथ अपनी स्थापना के बाद के एक लम्बे अरसे में चीन भर में ही नहीं,बल्कि पूर्वी एशिया में भी प्रचलित रहा। ताओपंथ के अनुसार जो मानव पथ को प्राप्त करता है,वह ऋषि-मुनि बनता है औऱ अमर रहता है,इसलिए ताओधर्म तपस्या पर जोर देता है और तपस्या के उस तरीके में चिन्तन,ध्यान औऱ सूत्रों के पाठ के अलावा औषधि बनाना,उपवास रखना,मालिश करना तथा कसरत करना जैसी क्रियाएं शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार इस समय छिंग-छंग पहाड़ पर करीब 100 ऋषि-मुनि रहते हैं। वे धर्मानुसार कड़ी तपस्या कर रहे हैं। लेकिन ऐतिहासिक ग्रंथों में लिखा है कि प्राचीन काल में ताओपंथियों को तपस्या करने की अनिवार्यता नहीं थी। गाइड खांग-यु ने कहाः"उस समय ताओपंथी बाहर जाने की जगह घर में ही तपस्या कर सकते थे,शादी-ब्याह कर बच्चे पैदा कर सकते थे और शराब व मांस का सेवन भी कर सकते थे। वे तपस्या के ढंग पर जोर नहीं देते थे और मानते थे कि जो मन में तपस्या करता है, वह सहजता से पथ प्राप्त कर सकता है। लेकिन समय बीतने के साथ-साथ अधिकाधिक ताओपंथियों ने बाहर जाकर किसी पहाड़ पर कडाई से तपस्या करने को महत्व देना शुरू किया और अपने लिए शादी,शराब व मांस से दूर रहकर सरल जीवन बिताने का नियम बनाया।"

छिंग-छंग पहाड़ पर आज भी दसियों ताओमठ और बड़ी मात्रा में अन्य सांस्कृतिक अवशेष अच्छी तरह सुरक्षित हैं। ताओपंथ प्रकृति को सर्वोपरि मानता है। इसलिए ताओमठ और संबंधित मंडप आम तौर पर हरे-भरे वृक्षों में छिपे हुए हैं, जिन्होंने आसपास के रंगबिरंगे जंगली फूलों व विभिन्न आकृतियों वाली चट्टानों की पृष्ठिभूमि में अपनी विशेष पहचान बनाई हुई है। पहाड की चोटी पर स्थित शांगछिंग मठ ताओमठों में सब से विख्यात है। इस में ताओपंथ के आध्यात्मिक गुरू लाओ-जी की एक विशाल प्रतिमा सुशोभित है। लाओ-ज़ी चीन के वसंत-शरद काल में यानी ईसा से 770 और 481 साल के बीच में हुए एक विचारक औऱ दार्शनिक थे। उन्हों ने नीति-शास्त्र नाम का एक ग्रंथ लिखा था,जिस में पथ या रास्ते की अवधारणा प्रस्तुत की गयी है। स्थानीय लोगों के अनुसार हर रोज सैंकड़ों ताओपंथी दूर-दर से इस मठ के दर्शन के लिए आते हैं। इस तरह मठ से साल भर धूप-बत्ती का धुआं ऊपर उठता नज़र आता है।

छिंग-छंग पहाड की ढलान पर चीन का एक मशहूर प्राचीन नगर थाई-आन स्थित है,वह भी पर्यटकों के आकर्षण का एक केंद्र है। इस प्राचीन नगर की साफ़-सुथरी सडकों पर चहल-कदमी करते समय आप को सदियों पूर्व के परिवेश में लौटने का एहसास होता है।यहां की सब सड़कें कंकड़ों से बनी हुई हैं। स्वच्छ जल वाली एक सरिता नगर का चक्कर काटती है,जो नगर की हरेक सड़क से गुजरकर बहती है।सड़कों के दोनों ओर प्राचीन चीनी वास्तुकला में निर्मित सुव्यवस्थित दुकानें दिखाई देती हैं। नक्काशी वाले दरवाजों, सफेद दीवारों ,और भूरे खपरैलों वाली छतों से बनी इन दुकानों में दैनिक जरूरत की हर चीज और स्थानीय विशेषता वाली शिल्पकला की ढेरों वस्तुएं मिल जाती हैं।

एक दुकान में हमारे संवाददाता ह्वांग वे-छी नामक एक चित्रकार से मिले। श्री ह्वांग ने कहा कि उन्हों ने बचपन से ही परंपरागत चीनी चित्रकला सीखना शुरू कर दिया था और अब तक वे देश के लगभग सभी दृशनीय स्थलों का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने इन स्थलों पर आधारित अपनी कृतियों से काफी नाम कमा लिया है। इस बार वह विशेष तौर पर दक्षिणी रौनकदार शहर क्वांगचो से यहां आया है,ताकि यहां की स्वच्छता,सादगी और प्राकृतिक सौंदर्य को अच्छी तरह महसूस कर नयी प्रभावशाली कृतियां बना सके। उन का कहना हैः "परंपरागत चीनी चित्रकला में चित्र बनाने वाले चित्रकारों के लिए यहां आना जरूरी है।क्योंकि यहां अद्भुत सुन्दर प्राकृतिक दृश्यों के अलावा ताओपंथ की भावना भी महसूस की जा सकती है,जो चित्रकारों को प्रेरित कर सकती है। यहां मैं ने अपने को प्रकृति से बहुत निकट पाया है,जो मुझे अपार खुशी देता है। मैं चाहता हूं कि आइंदा हर साल मैं यहां एक महीने तक प्रवास करूं।"

छिंग-छंग पहाड से थोड़ी दूरी पर चीन का एक मशहूर दृश्यनीय स्थल तु-च्यांग बांध है,जो विश्व में अब तक की सब से पुरानी जल-परियोजना मानी गयी है।यह प्राचीन बांध मिन-च्यांग नदी के मध्य भाग में खड़ा है,जिस का निर्माण 2000 साल से भी अधिक समय पहले स्थानीय दरबारी अफसर ली-पिन के नेतृत्व में करवाया गया था। विश्व की प्रमुख प्राचीन जल-परियोजनाओं में से केवल यह बांध आज भी जल व भूमि के संरक्षण की भूमिका निभा रहा है। उस के बराबर मशहूर रह चुके प्राचीन इराक और प्राचीन रोम की कृत्रिम नहरें कब से बर्बाद हो चुकी हैं।

लोककथा है कि तु-च्यांग बांध के निर्माण से पूर्व हर साल वसंत और ग्रीष्मकाल में भारी बारिश से मिन-च्यांग नदी के क्षेत्र में बाढ आती थी,और जान-माल का भयंकर नुकसान होता था। तु-च्यांग बांध ने नदी के जल को दो शाखाओं में बांट दिया ,जिस से बाढ की रोकथाम हो सकी ।

अमरीका से आए पर्यटक श्री केन बायड ने तु च्यांग बांध देखकर प्राचीन चीनी श्रमिकों की बुद्धिमत्ता की भूरि-भूरि प्रशंसा की।उन्हों ने कहाः "अप्रत्याशित है कि यह टिकाऊ बांध कोई 2000 साल पहले बनाया गया था।वह आज भी बाढ की रोकथाम में प्रभावी है। इस से जाहिर है कि प्राचीन काल में ही चीनी लोगों को समृद्ध वैज्ञानिक ज्ञान प्राप्त था और किसानों को बहुत लाभ मिला था।"

अच्छा "सछ्वान भीमकाय पांडे का जन्मस्थान" सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता की चौथी रिपोर्ट यहीं तक समाप्त होती है। इस रिपोर्ट से जुडे दो सवाल हम दोहरा दें। पहला सवाल है कि क्या छिंग-छंग पहाड़ चीनी ताओपंथ का जन्मस्थान माना गया है? दूसरा सवाल है कि तु-च्यांग बांध का इतिहास कितना पुराना है ? विश्वास है कि आप यह रिपोर्ट पढने के बाद इन दो सवालों का सही जवाब देंगे।

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