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(GMT+08:00) 2006-11-22 11:09:12    
युवा पीढ़ी को चीन भारत मैत्री का नया अध्याय जोड़ने दो

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भारत यात्रा कर रहे चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने 21 तारीख की रात को नयी दिल्ली में भारतीय राष्ट्रपति श्री ऐ . पी . जे अब्दुल कलाम के साथ करीब दो सौ चीनी व भारतीय नौजवानों से भेंट की । मौके पर दोनों देशों के नेताओं ने नौजवानों को प्रोत्साहन देते हुए आशा जतायी कि वे चीन भारत मैत्री की परम्परा का विरासत के रूप में ग्रहण कर दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने में अपना योगदान करेंगे ।

भेंट वार्ता उसी होटल के बाहर लांन पर हुई , जिस होटल में राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ठहरे हुए हैं । मधुर चहचहाहट के साथ साथ भारतीय युवती विद्या शाह ने असाधारण भारतीय कवि सुब्रामनिया भारती की कविता गा गाकर सुनायी । कविता का भावार्थ है कवि भारत व भारतीय संभ्यता से जो प्यार व गर्व महसूस करते हैं , वह अपनी माता पिता से प्यार के बराबर है । सुश्री विद्या शाह ने कहा कि चीन व भारत हजारों वर्ष पुराने देश हैं , उक्त कविता से चीन व चीनी संस्कृति के प्रति उन का प्यार व्यक्त हो गया है ।

सुश्री विद्या शाह ने गत अक्तूबर को सौ भारतीय नौजवानों के साथ चीन की यात्रा की , आज इन सौ भारतीय नौजवानों की भारत की यात्रा पर आये चीनी नौजवानों से फिर मुलाकात हुई , साथ ही चीनी व भारतीय नेताओं ने उन से भेंट की ।

ओजपूर्ण चीनी व भारतीय नौजवानों को देखकर राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ को इस बात की याद एकदम ताजा हो गयी कि 22 साल से पहले वे अखिल चीन नौजवान लीग के आध्यक्ष की हैसियत से चीनी युवा प्रतिनिधि मंडल का नेतृ्त्व कर भारत की मैत्रीपूर्ण यात्रा पर आये । उन्हों ने कहा कि दोनों देशों के युवाओं के बीच आदान प्रदान बढ़ावा देने और चीन व भारत दोनों देशों की जनता के बीच मैत्री पीढ़ी दर पीढ़ी बनाये रखने के लिये चीन सरकार ने भावी पांच वर्षों के भीतर चीन यात्रा पर पांच सौ भारतीय नौजवानों को बुलाने का फैसला कर लिया है । उन्हों ने प्रसिद्ध भारतीय कवि रविंद्रनाथ टैकोर की कविता के हवाले से दोनों देशों के नौजवानों को प्रेरणा दी ।

ओजस्वि युवा पीढ़ी आदर्शवादी है , देश की आशा है और मानव जाति का भविष्य भी है । 1924 में भारत के महान कवि टैकोर ने चीन की यात्रा पर कहा था कि नौजवान सुबह के ताराओं की तरह मातृभूमि की भावी आशा की किरण चमका रहे हैं । चीन व भारत और इन दोनों देशों के संबंधों का विकास आप लोगों की मेहनत पर निर्भर है । मुझे हार्दिक आशा है कि चीन व भारत दोनों देशों की युवा पीढ़ियां आदान प्रदान के जरिये मैत्री बढ़ाएंगी , एक दूसरे से सीखेंगी और सहयोग को बढ़ावा देंगी , ताकि समान रूप से चीन भारत के मैत्रीपूर्ण संबंधों का नया अध्याय जोड़ा जाए और एशिया व विश्व के सुंदर भविष्य के निर्माण की कोशिश की जाये ।

भारतीय राष्ट्रपति श्री कलाम ने अपने भाषण में चीनी कनफ्यूशेस विचारधारा और बौद्ध धार्मिक विचार से ओतप्रोत भारतीय कविता पढ़कर सुना दी । उन्हों ने आशा की है कि भारत व चीन दोनों देशों के नौजवान इसी कविता से दोनों देशों की परम्परागत संस्कृतियों की समानता महसूस कर सकेंगे , साथ ही दोनों देशों के नौजवानों से दोनों देशों के विकास के लिये योगदान करने और हाथ से हाथ मिलाकर सामंजस्यपूर्ण विश्व का निर्माण करने की अपील भी की । उन्हों ने कहा कि चीन ने अपने देश के विकास के लिये यह शानदार योजना तैयार कर ली है कि अपना आर्थिक विकास करते हुए सामंजस्यपूर्ण समाज स्थापित किया जाये और कनफ्युशेस काल से चले आ रहे नैतिक मूल्य का ग्रहण किया जाये । जबकि भारत का देश का विकास करने का लक्ष्य यह है कि आगामी 2020 में भारत को एक विकसित आर्थिक देश का रूप दिया जाये और बौद्ध धर्म के जन्म से पहले चली आ रही भारतीय परम्परागत संस्कृति बरकरार रखी जाये । चीन व भारत विश्व गरीबी उन्मूलन में अहम भूमिका निभा रहे हैं , इसी बीच नौजवानों के जरिये जानकारियों को लोकप्रिय बनाया जायेगा और सन साधनों के प्रयोग से शांति की स्थापना के लिये विभिन्न देशों के असंतुलित विकास को मिटाया जायेगा ।

भारतीय युवा प्रतिनिधि , प्रसिद्ध नेहरू युनिवर्सिटी के चीनी भाषा कोरस के शोधछात्र कैलाश ने प्रसन्नता से संवाददाताओं से कहा कि आज मैं बेहद खुश हूं , मेरा सपना साकार हो गया है , मुझे भारतीय राष्ट्रपति और चीनी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा भेंट किये जाने का मौका ही नहीं , बल्कि प्रथम पक्ति में खड़ा होने से उन के साथ हाथ मिलाने का मौका भी मिल गया है । मुझे आशा है कि आइंदे भारत चीन मैत्री के लगातार विकास के लिये इसी प्रकार की गतिविधि चलायी जायेगी ।

जब मौके पर चीनी तंतुवाद्य अड़ हू से भारतीय फिल्म कारवां की प्रमुख धुन बजायी गयी , तो तत्स्थल पर सभी उपस्थितों के बीच एकदम धूम मच गयी ।