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(GMT+08:00) 2006-11-21 15:19:30    
बांसुरी वादक श्री चांग वेइ ल्यांग की रचनाएं

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बांसुरी की धुन बहुत सुरीली होती है। अनेक लोगों को यह वाद्य बेहद पसंद है । इस कार्यक्रम में मैं आप को सुनाऊंगी चीन के एक मशहूर बांसुरी वादक श्री चांग वेइ ल्यांग द्वारा बजायी गयी कुछ धुनें । आशा है कि आप को ये पसंद आएंगे । सर्वप्रथम जो बांसुरी धुन प्रस्तुत है , उस का नाम है "वसंत का बहार "।

गीत 1 वसंत का बहार

यह है सुप्रसिद्ध चीनी बांसुरी वादक श्री चांग वेइ ल्यांग द्वारा बांसुरी पर बजायी गयी धुन"वसंत का बहार "। यह चीन की एक परम्परागत बांसुरी धुन है। यह धुन उतर-पूर्वी चीन के लोकगीत के आधार पर रूपांतरित हुई है , जिस में वसंत कालीन नदी में व्यस्त रहे मछली पकड़ने के जीवन का सुन्दर चित्रण किया गया है ।

बांसुरी चीन के परम्परागत वाद्यों में से एक है। चीन में उस का इतिहास कई हज़ार वर्ष लम्बा पुराना है। चीनी कलाकारों ने पीढ़ी दर पीढ़ी इसका विकास किया। चीन के वर्तमान जातीय संगीत क्षेत्र में श्री चांग वेइ ल्यांग सर्वश्रेष्ठ बांसुरी वादक माने जाते हैं।

बांसुरी वादक चांग वेइ ल्यांग का जन्म वर्ष 1957 में दक्षिणी चीन के च्यांग सू प्रांत के मशहूर शहर सू चो में हुआ । बचपन से ही वे संगीत के शौकीन थे और सात वर्ष की उम्र में बांसुरी सीखने लगे। सुप्रसिद्ध संगीतकार और बांसुरी उस्ताद स्वर्गीय चाओ सोंग थिंग श्री चांग वेइ ल्यांग के अध्यापक थे। चाओ सोंग थिंग के बारे में जानकारी हम अपने एक कार्यक्रम में पहले ही दे चुके हैं। श्री चांग वेइ ल्यांग ने बांसुरी बजाने की कला मुख्यतया उस्ताद चाओ सोंग थिंग से ही सीखी थी । एक श्रेष्ठ छात्र के रूप में वे चीनी संगीत कॉलेज में दाखिल हुए और वर्ष 1982 में इस कॉलेज से स्नातक होने के बाद यहीं अध्यापक बन गये। इसी वर्ष ही उन्हों ने चीनी जातीय वाद्य वादन प्रतियोगिता में श्रेष्ठ प्रदर्शन का पुरस्कार हासिल किया।

वर्ष 1987 में श्री चांग वेइ ल्यांग ने देश की राजधानी पेइचिंग स्थित संगीत हॉल में अपनी संगीत सभा आयोजित की। इस में उन्हों ने चीनी जातीय परम्परागत धुन बजाने के अलावा सिन्फनी मंडली के साथ बांसुरी की आधुनिक रचनाएं भी पेश की और दर्शकों की वाहवाही लूटी। संगीत विशेषज्ञों ने भी उनकी प्रशंसा की। इस संगीत सभा की सफलता ने चांग वेइ ल्यांग का बांसुरी वादन का उत्कृष्ट हुनर ही नहीं, साथ ही संगीत के बारे में उनका रचनात्मक विचार भी जाहिर किया। आइए ,अब सुनिए , चांग वेइ ल्यांग की एक और बांसुरी धुन। यह एक आधुनिक रचना है , जो मध्य चीन के ह नान प्रांत के लोकसंगीत से रूपांतरित की गई है।

गीत 2

यह है श्री चांग वेइ ल्यांग द्वारा बांसुरी पर बजायी गयी ह नान प्रांत के लोकसंगीत से रूपांतरित एक आधुनिक धुन, जिस में उत्तम वादन कला से लोकसंगीत में निहित विनोद भावना भी अभिव्यक्त हुई है ।

श्री चांग वेइ ल्यांग एक बहुत मेहनती और लगनशील कलाकार हैं। बांसुरी के अलावा उन्होंने कई और चीनी परम्परागत वाद्य बजाने की कला भी सीखी । इन जातीय वाद्यों के वादन में उन्होंने परम्परा के आधार पर नया सृजन भी किया। बांसुरी बजाने और संगीत की शिक्षा देने के अलावा वे स्वयं धुन रचने, पुस्तक लिखने, लोकसंगीत मंडलियों की स्थापना करने तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी लगे रहे हैं। वे अमरीका, फ़्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी और जापान आदि देशों की यात्रा कर चुके हैं। इन देशों में उन्होंने संगीत कार्यक्रम प्रदर्शन के अलावा पढ़ाने का काम भी किया। विदेशी श्रोताओं ने भी उन की हार्दिक स्वागत प्रशंसा की है ।

श्री चांग वेइ ल्यांग अपने अनुभवों का वादन कला सिखाने में भी उपयोग करते हैं। उन्होंने "बांसुरी वादन हुनर" और "चीनी बांसुरी संस्कृति का विकास" आदि लेख लिखे हैं , जिन का संगीत विशेषज्ञों ने उच्च मूल्यांकन किया।

इधर के वर्षों में चांग वेइ ल्यांग के दर्जनों एलबम जारी हुए हैं। इन में "चाय वर्षा" नामक एलबम सब से लोकप्रिय रहा । इस की सभी धुनों का मुख्य विषय चाय पर आधारित है। चांग वेइ ल्यांग ने अपनी धुनों में चाय, प्रकृति , संगीत और मानव की भावना को मिला कर दर्शकों के सामने पेश रखा है। इससे दक्षिणी चीन का जीवन लोगों के सामने सजीव दृष्टिगोचर हो जाता है। सुनिए इस एलबम की एक धुन। नाम है " पश्चिमी झील की चांदनी रात"।

संगीत---"पश्चिमी झील की चांदनी रात"