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(GMT+08:00) 2006-11-21 13:09:34    
पोताला महल की तलहटी में रेस्टरां खोलने वाली सुश्री जेनेट की कहानी

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चीन के तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की राजधानी ल्हासा के पोताला महल के पूर्व में रौनक पेइचिंग सड़क स्थित है , जहां दुनिया नामक एक रेस्टरां खुला है । इस रेस्टरां की दुसरी मंजिल पर एक युरोपीय शैली का बार भी खुला है । यह दो मंजिला रेस्टरां चीनी व विदेशी संयुक्त पूंजी से स्थापित हुई है, जिस के चार साझेदार होलैंड, अमरीका और चीन के तिब्बत से आए हैं । आज के इस लेख में हम आप को पोताला महल की तलहटी पर स्थित इस विशेष रेस्टरां का परिचय देंगे ।

50 वर्षीय सुश्री जेनेट त्रूस्ट होलैंड के निवासी हैं । वे इस रेस्टरां के मेनेजरों में से एक हैं । उन्होंने कहा कि पहले होलैंड में वे पर्यटन गाइड का काम करती थी और उन्हें अपना यह काम बहुत पसंद है । वे दस से ज्यादा सालों तक पर्यटन गाइड का काम कर चुकी हैं , इस के दौरान सुश्री जेनेट देश विदेश की यात्रा करती रही थी और तिब्बत के साथ भी उन का घनिष्ठ सरोकार कायम हो गया और तिब्बत के प्रति असीम प्यार पैदा हुआ है ।

सुश्री जेनेट ने कहा कि उन्नीस साल पहले वे प्रथम बार तिब्बत आ गई । यहां के अद्भुत सुन्दर प्राकृतिक दृश्य और विशेष अनोखी संस्कृति ने उन्हें प्रबल रूप से आकृष्ट किया । सुश्री जेनेट ने कहा

"मुझे तिब्बत को बहुत पसंद है । क्योंकि तिब्बत और होलैंड बिलकुल अलग है । होलैंड में ऐसे ऊंचे पहाड़ नहीं हैं और भूमि आम तौर पर समतल है । मेरे देश में सब से ऊंचे पहाड़ की ऊंचाई सिर्फ़ एक सौ मीटर होती है । मैं प्रकृति को पसंद करती हूँ और होलैंड में देखने को नहीं मिल सकने वाले पहाड़ों को खास पसंद करती हूँ ।"

अपनी प्रथम तिब्बत यात्रा के बाद सुश्री जेनेट फिर कई बार पर्यटन दल को ले कर तिब्बत आयी , इस के अलावा उन्होंने अपनी छिट्टियों के समय भी तिब्बत की यात्रा में लगाये । सात साल पूर्व सुश्री जेनेट होलैंड में अपने पसंदीदा काम और सुविधाजनक जीवन को छोड़कर तिब्बत में आ बसी । वर्ष 1999 के सितम्बर माह में उन की कोशिशों के जरिए दुनिया नामक रेस्टरां ल्हासा में खोला गया ।

इस रेस्टरां को नाम देने के लिए सुश्री जेनेट ने बहुत दिमाग खपाया था । उन्होंने कहा कि विश्व के विभिन्न स्थानों से तिब्बत आने वाले पर्यटक अपनी यात्रा के बाद एक सुविधाजनक स्थल तलाश कर विश्राम करना चाहते हैं । शब्द दुनिया का अरबी , तुर्की और हिन्दी में समान मतलब होता है यानी संपूर्ण संसार है । सुश्री जेनेट की आशा है कि सभी पर्यटक व ग्राहक उन के रेस्टरां में अपना पसंदीदा खाना प्राप्त कर सकते हैं और घर में वापस लौटने का अनुभव ले सकते हैं । उन्होंने कहा

"हमारे रेस्टरां के कर्मचारी और ग्राहक विश्व के विभिन्न स्थलों से आते हैं । इस तरह हमारे रेस्टरां में विश्व की विभिन्न जगहों के तरह-तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं । हमारे यहां मैक्सिको, फ्रांस, इटली और तिब्बत के जाकेदार खाने मिल सकते हैं । इस रेस्टरां को खोलने का प्रारम्भिक मकसद यहां आने वाले विश्व के विभिन्न देशों के ग्राहकों को अपनी जन्मस्थान का अनुभव महसूस करवाना है । इस तह हमारे मकान का डिज़ाइन भी सुयोजित रूप से किया गया । रेस्टरां का बाह्य डिजाइन तिब्बती शैली का है, जबकि दूसरी मंजिल के बाल्कनी का सजावट फ्रांस व इटली की शैली का है ।"

दुनिया रेस्टरां के कुल 18 कर्मचारी हैं । पांच रसोइए और बार के एक सेवक नेपाली हैं , शेष अन्य कर्मचारी स्थानीय तिब्बती लोग हैं । सुश्री जेनेट ने कहा कि इस रेस्टरां के खोलने की शुरूआत में उन के और तिब्बती कर्मचारियों के बीच संपर्क बहुत कठिन था , क्योंकि इन तिब्बती कर्मचारियों को अंग्रेज़ी नहीं आती । बाद में उन्हें धीरे-धीरे अंग्रेज़ी के कुछ रोज़ाना प्रयोग के शब्द समझ में आए , फिर भी कभी-कभी वे सुश्री जेनेट के वाक्यों को गलत समझते थे । इस के साथ ही दोनों पक्षों के बीच खान-पान की संस्कृति का भी बड़ा फर्क है । शुरू शुरू में दुनिया रेस्टरां के तिब्बती कर्मचारी पिस्सा और इटली नुडस से एकदम अज्ञात थे। सुश्री जेनेट को उन्हें प्रशिक्षित करना पड़ा । इस की चर्चा में सुश्री जेनेट ने कहा

"मैं ने रेस्टरां के सभी तिब्बती कर्मचारियों को पश्चिमी खाना खिलाया । पश्चिमी खाना खाने के जरिए वे धीरे-धीरे पिस्सा और इटली नूडस के स्वाद से परिचित हो गए । दिलचस्पी की बात यह है कि पहले इन तिब्बती कर्मचारियों को पश्चिमी खाना पसंद नहीं था, विशेष कर उन्हें पिस्सा पर लगे छिस के स्वाद की आदत नहीं थी ।"

इस के अलावा सुश्री जेनेट ने रेस्टरां के तिब्बती कर्मचारियों से रसोईघर की विभिन्न चीज़ें सीखने की मांग की । कर्मचारियों ने हर तरकारी पकाने की प्रक्रिया देखने और चखने के जरिए पश्चिमी व्यंजन के प्रति ऐंद्रियक ज्ञान प्राप्त किया । अब रेस्टरां के तिब्बती कर्मचारियों ने पश्चमी खाने के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी हासिल की हैं , और वे सुश्री जेनेट को विदेशी मेनेजर के बजाए अपने दोस्त मानते हैं ।

तिब्बत की यात्रा करने आए पर्यटकों की संख्या दिन ब दिन बढ़ने के चलते सुश्री जेनेट के रेस्टरां का व्यापार भी दिन दुनी रात चौगुनी बढ़ गया । स्थानीय तिब्बती लोग भी सप्ताहांत में अपने दोस्तों के साथ इस रेस्टरां में आना पसंद करते हैं । वे दुनिया रेस्टरां में आकर गपशक करते हैं और कभी-कभीर पश्चिमी व्यंजन का स्वाद भी लेते हैं । लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस रेस्टरां के आरंभिक समय में 90 प्रतिशत के ग्राहक विदेशी थे । तिब्बती ग्राहक तो दस प्रतिशत से भी कम थे । इस की चर्चा में सुश्री जेनेट मज़ाक के अंदाज में कहा कि तीन साल पूर्व चीन के कुछ स्थानों में हुई सार्स की बीमारी से उन के रेस्टरां में विदेशियों की तुलना में तिब्बती ग्राहकों की संख्या ज्यादा बढ़ी । उन्होंने कहा

"हमारी आशा है कि ज्यादा से ज्यादा तिब्बती ग्राहक हमारे रेस्टरां आएंगे । लेकिन पता नहीं क्यों वे कम आते हैं । वर्ष 2003 में चीन के अनेक स्थलों में सार्स की बीमारी उत्पन्न हुई । हमारे रेस्टरां में बहुत कम विदेशी ग्राहक आते थे । लेकिन इसी वक्त स्थानीय तिब्बती ग्राहक ज्यादा यहां आने लगे । मैं ने उन से पूछा कि पहले आप क्यों यहां नहीं आते ?तो उन्होंने जवाब दिया कि पहले इस रेस्टरां में विदेशी ग्राहक थे, हम शर्मिन्दा हैं और यहां नहीं आना चाहते । "

दुनिया रेस्टरां के स्वादिष्ट खाना खाने के बाद ल्हासा के तिब्बती लोग यहां के पकवान बहुत पसंद करने लगा । सुश्री जेनेट ने गर्व के साथ कहा कि अब उन के रेस्टरां के पिस्सा और सुरगाय के स्टीक स्थानीय तिब्बती ग्राहकों के मन पसंद व्यंजन बन गए हैं । वर्तमान में इस रेस्टरां के 30 प्रतिशत के ग्राहक ल्हासा के तिब्बती लोग हैं । हर हफते के अंत में अनेक तिब्बती लोग रेस्टरां में जन्मदिवस की खुशियां मनाने के लिए पार्टी भी आयोजित करते हैं ।

सुश्री जेनेट ने कहा कि ल्हासा में रहते रहते अब सात साल बीत चुके हैं । हर वर्ष के नवम्बर से अगले साल के मार्च तक वे होलैंड वापस जाती हैं । हर बार तिब्बत लौटने के वक्त वे नेपाल से एक ट्रक के किस्म किस्म के मसाला व खाद्य पदार्थ लाती हैं । मौसमी पक्षी की भांति के जीवन को सुश्री जेनेट को सुविधाजनक भी लगता है , साथ ही एक शांति और अमन की अनुभूति भी होती है ।

सुश्री जेनेट ने यह भी कहा कि बेशक ल्हासा भी उन को बदल रहा है । अब वे स्थानीय तिब्बती लोगों के साथ जोंग खान मठ के द्वार के सामने बातचीत करती हैं, एक दूसरे को घर बुलाती हैं । कभी-कभार वे तिब्बती लांमा घर यानि तिब्बती नाच-गान हॉल में रहस्यमय तिब्बती नाचने गाने का मज़ा भी लेती हैं ।

सुश्री जेनेट ने कहा कि वे तिब्बत के ल्हासा में तब तक ठहरेंगी, जब तक उन की पसंद फीकी नहीं हो गयी , शायद यह एक सारी जिंदगी की अवधि भी हो सकेगी । क्योंकि उन्हें पता नहीं है कि स्वर्ग लोक छोड़ कर विश्व में ऐसी भी कोई जगह मिल सकती है , जो तिब्बत से भी सुन्दर हो ।