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(GMT+08:00) 2006-11-17 17:44:38    
शांति के विकास पर कायम और साझी समृद्धि को बढ़ावा

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चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ ने 17 तारीख को वियतनाम की राजधानी हनोई में एपेक के उद्योग व वाणिज्य जगत के नेताओं के सम्मेलन में भाग लिया और शांति के विकास पर कायम और साझी समृद्धि को बढ़ावा शीर्षक अहम भाषण दिया । उन्हों ने एशिया प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास पर चीन के रवैये पर प्रकाश डाला और चीन की 11 वीं पंचवर्षीय योजना का उदाहरण देते हुए चीन सरकार की वैज्ञानिक विकास संबंधी अवधारणा का परिचय किया और कहा कि चीन का विकास क्षेत्रीय व विश्व विकास के लिए नया मौका प्रदान करेगा ।

17 तारीख को एशिया प्रशांत क्षेत्र के सुप्रसिद्ध बहुराष्ट्रीय कंपनियों के वरिष्ठ प्रबंधकों ने वियतनाम की राजधानी हनोई के राष्ट्रीय सम्मेलन केन्द्र में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु चिनथाओ का भाषण सुना । अपने भाषण में श्री हु चिनथाओ ने सब से पहले एशिया प्रशांत क्षेत्र के सामने मौजूद मौकाओं और चुनौतियों की चर्चा की ।

उन्हों ने कहा कि हमारे एशिया प्रशांत क्षेत्र , विभिन्न प्रकार के क्षेत्रों और उप क्षेत्रों में सहयोग की व्यवस्थाएं लगातार कायम हो गयी हैं, अधिकाधिक देशों ने सक्रिय रूप से अन्तरराष्ट्रीय सहयोग व प्रतिस्पर्धा में भाग लिया , इस ने अपने आर्थिक विकास को तो बढ़ाया है , साथ ही क्षेत्रीय आर्थिक समृद्धि को भी प्रेरित किया है । एशिया प्रशांत क्षेत्र जीवन शक्ति से भरा हुआ है और उस का भविष्य उज्जवल है । लेकिन यह भी गौरतलब है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र के आर्थिक विकास की प्रक्रिया में असंतुलित विकास का रूझान भी स्पष्ट है । कुछ विकासशील देशों में आर्थिक तकनीकी आधार कमजोर होने के कारण विकास के मौके का लाभ उठाने तथा बाहरी चुनौति का मुकाबला करने की क्षमता कम है और उन्हें आर्थिक भूमंडलीकरण से लाभ मिलना मुश्किल है ।

इन समस्याओं को हल करने और विकास में पड़े अन्तर व असंतुलन को दूर करने के लिए चीनी राष्ट्राध्यक्ष हु ने चीनी सुझाव पेश किएः

हमें विकासशील देशों को अतिरिक्त शर्त रहित सरकारी सहायता बढाना चाहिए , बहु रूपों में आर्थिक तकनीकी सहयोग को मजबूत करना चाहिए , विकासशील देशों के मानव संसाधनों के विकास को मदद देना चाहिए , विकासशील देशों के विकास के लिए अच्छा बाह्य वातावरण तैयार करना चाहिए और बहुमुखी दक्षिण दक्षिण व दक्षिण उत्तर सहयोग चलाते हुए सक्रिय रूप से विकासशील देशों के विकास को गति देने की कोशिश करना चाहिए ।

अन्तरराष्ट्रीय समुदाय और एशिया प्रशांत क्षेत्र के महा परिवार के सदस्य के नाते चीन का विकास एशिया प्रशांत क्षेत्र और पूरे विश्व के विकास से घनिष्ठ रूपसे जुड़ा हुआ है । इसलिए श्री हुचिनथाओ ने चीन के विकास की दिशा का परिचय किया और विभिन्न आंकड़े पेश करते हुए यह साबित कर दिया कि एक अरब तीस करोड़ जन संख्या वाले चीन में विकास की अच्छी प्रवृति बनी है , जन जीवन का स्तर उन्नत हुआ है और खुलेपन का विस्तार हुआ , जो विश्व , खास कर एशिया प्रशांत क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

उन्हों ने यह भी कहा कि चीन के विकास के सामने भी बहुत सी समस्याएं हैं , इन के समाधान के लिए चीन ने आर्थिक ढांचे में समायोजन , नए ढंग के ग्रामों के निर्माण , संतुलित क्षेत्रीय विकास तथा सामंजस्यपूर्ण समाज के निर्माण चार क्षेत्रों में बड़ा प्रयास करेगा ।

श्री हु चिनथाओ ने दोहराया कि चीन शांति के विकास के रास्ते पर कायम रहेगा और विश्व शांति व विकास की रक्षा करने के जरिए अपने का विकास तेज करेगा और अपने विकास के जरिए विश्व शांति को बढ़ावा देगा । उन्हों ने कहाः

चाहे वर्तमान में हो या भविष्य में , चीन हमेशा विश्व शांति की रक्षा करने तथा साझा विकास बढ़ाने की दृढ शक्ति बनी रहेगा ।

उन्हों ने कहा कि चीन का विकास अपनी शक्ति और चीनी जनता के कठोर परिश्रम पर निर्भर करता है । साथ ही चीन अडिग रूप से खुलेपन की बुनियादी नीति का पालन करता है और साझी लाभ वाली खुली रणनीति अपनाता है , चीन और अधिक दायरे , क्षेत्र और उच्च स्तर पर अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में हिस्सा लेता है और क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग व मुक्त व्यापार वार्ता को बढ़ावा देता है और विकासशील देशों को यथाशक्ति सहायता व समर्थन देता रहेगा ।

सम्मेलन में उपस्थित एशिया प्रशांत क्षेत्र के उद्योग व वाणिज्य जगत के लोगों ने श्री हु चिनथाओ के भाषण का जोशगर्म स्वागत किया और कहा कि चीन का शांतिपूर्ण विकास जरूर इस क्षेत्र के विकास के लिए मौका ले आएगा ।