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चीन के भीतरी मंगोलिया स्वायत प्रदेश के पश्चिम का अरदोस शहर चीन की मंगोल जाति की अपेक्षाकृत बड़ी आबादी वाले क्षेत्रों में से एक है। पहले यह जगह रेगिस्तान थी, जहां घास तक नहीं उगती थी। यहां की प्राकृतिक स्थिति खराब है , पारिस्थितिकी कमजोर है और आर्थिक विकास अपेक्षाकृत पिछड़ा हुआ है। लेकिन, अब यहां की मंगोल जाति के चरवाहों ने पारिस्थितिकी की महत्ता महसूस की है। वे पारिस्थितिकी निर्माण करते हैं, वातावरण का सुधार करते हैं और साथ-साथ चरवाहा उद्योग से समृद्धि के रास्ते पर चलने लगे हैं । कुछ समय पहले हमारा एक संवाददाता मंगोल जाति के एक गांव मनकछिंग गया और वहां मंगोल जाति के लोगों के जीवन में आये भारी परिवर्तन को देखा।
श्रोताओं, मनकछिंग अरदोस शहर के मध्य में दक्षिण की ईचिनह्वोल्वो काऊंटी में स्थित है। ईचिनह्वोल्वो काऊंटी से रवाना होकर हमारा संवाददाता गाड़ी पर दोनों ओर हरियाली भरे रास्ते से गुज़र कर एक घंटे के सफर के बाद मनकछिंग पहुंचा।गांव में प्रवेश करने के बाद हम ने देखा कि चरवाहा श्याओ स लिन मक्का की फसल से भरी गाड़ी चलाकर बाहर जा रहा है। जब उसने हमें देखा, तो हमें अपने घर ले गया। श्याओ स लिन के घर में रंगीन टीवी, वी सी डी आदि देखकर हम कल्पना नहीं कर सके कि दस वर्ष पहले यहां के लोगों की दुनिया में सुविधा की ऐसी कोई भी चीज नहीं थी।
यहां आने से पहले, संवाददाता ने सुना था कि मनकछिंग पहले पिछड़ा इलाका था। यहां बिजली नहीं थी और न ही सड़क ही। घोड़ा न केवल स्थानीय चरवाहों की खेती के काम
आता था , बल्कि सब से अच्छा परिहवन दोस्त भी था। ईचिनह्वोल्वो काऊंटी के प्रसार मंत्रालय के उप मंत्री श्री वांग फिंग ने संवाददाताओं से कहा,पहले मनकछिंग एक बहुत पिछड़ा क्षेत्र था। यानिकि यहां घास मैदान नहीं था, सड़कें नहीं थी, लोग केवल पैदल या घोड़ों पर सवार होकर मनकछिंग आ सकते थे। पहले यहां सड़कें तो बनी थीं लेकिन, मनमानी चरवाहागीरि के कारण यहां की पारिस्थितीकी और पर्यावरण बर्बाद हो गया। इसलिए, निर्मित सड़कें वसंत की दो तीन बार की हवा में ही नष्ट हो जाती थीं।
इस परिस्थिति को पूर्ण रुप से बदलने और चरवाहों को खराब वातावरण से छुटकारा दिलाने के लिए स्थानीय सरकार ने एक अच्छा उपाय सोचा, यानी उस ने चरवाहों के लिए अच्छी बस्ती का निर्माण किया,जिस में रहने के लिए मकान, पशुशाला आदि उपलब्ध थे। लेकिन, चरवाहे अपनी पुश्तैनी जमीन से नहीं हटना चाहते थे, इसलिए, स्थानीय सरकार ने पूंजी डालकर मनकछिंग की पारिस्थितिकी और वातावरण को बदला और मनमाने रुप से चरवाहागीरि पर पाबंदी लगायी। इसी आधार पर स्थानीय सरकार ने चरवाहों के लिए सड़कों और संबंधित जल संसाधनों का निर्माण भी किया। चरवाहा श्याओ स लिन ने खुशी से संवाददाता से कहा कि इन कदमों के उठाने के कुछ समय के बाद मनकछिंग के वातावरण में भारी परिवर्तन आया है। उस के अनुसार,अब हमारे यहां बड़ा परिवर्तन आ गया है। हर जगह हरे-हरे घास के मैदान हैं और रेगिस्तान भी हरा बन गया है। पहले यहां यातायात की बहुत असुविधा थी, और बिजली भी नहीं थी। हम टी वी प्रोग्राम नहीं देख पाते थे। लेकिन, इधर के दस वर्षों में विभिन्न क्षेत्रों में उन्नति हुई है। चरवाहों का जीवन साल दर साल अच्छा होता रहा है। अब हर परिवार में औसत वार्षिक आमदनी 30 से 40 हजार चीनी य्वान तक पहुंच गयी है।
श्याओ स लीन ने कहा कि शुरु में कुछ वृद्ध बस्ती में नहीं रहना चाहते थे, लेकिन, अब वे सब यहां रहना बहुत पसंद करते हैं।
श्याओ स लीन से बिदा लेने के बाद हमारा संवाददाता श्याओ स लीन के पड़ोसी अलात के घर में आया। जब संवाददाता उस के घर गया, तो वह मित्र के साथ फोन पर बातचीत कर रहा था। संवाददाता को देखते ही उसने फोन बंद कर दिया। उसने संवादादाता से कहा,पहले हमारे पास टेलिफोन नहीं था, बाहरी बाजार के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। इसलिए, हम पशु या पशुओं का मांस बाहर जाकर नहीं बेच सकते थे। अब हमारे पास मोबाइल फोन व टेलिफोन सेट दोनों हैं और अब हमें आसानी से बाजार के बारे में सूचना मिल जाती है। फोन से ही हम जान जाते हैं कि किस को मांस चाहिए किस को नहीं।
परिचय के अनुसार, वर्ष 1998 से पहले मनकछिंग में अनेक बच्चे स्कूल छोड़ देते थे, कुछ बच्चे गरीबी की वजह से स्कूल में नहीं पढ़ सकते थे। अब पहले की तुलना में मनकछिंग में भारी उन्नति आयी है। चरवाहों की आमदनी में बड़ी वृद्धि हुई है और चरवाहों की शिक्षा दर भी उन्नत हुई है। गत वर्ष मनकछिंग में दस विद्यार्थियों ने विश्विद्यालय की दाखिला परीक्षा पास की।
पढ़ने के बाद चरवाहों की जानकारी बढ़ी है, उन की विचारधारा व जीवन शैली में भी बड़ा परिवर्तन आया है। ईचिनह्वोल्वो काऊंटी के प्रसार मंत्रालय के उप मंत्री श्री वांग फिंग ने संवाददाताओं से कहा,इधर के दो वर्षों में चाहे प्राकृतिक स्थिति हो, बुनियादी संरचना हो या लोगों की विचारधारा हो,सब में भारी परिवर्तन आया है। अब मनकछिंग में पुरुष,महिलाएं, वृद्ध, बच्चे सब बहुत व्यस्त रहते हैं। अब उन का जीवन लक्ष्य बहुत ऊंचा है। जबकि पहले इन लोगों के सांस्कृतिक जीवन में केवल शराब पीना ही था।
जीवन स्तर की उन्नति से लोगों के मानसिक व सांस्कृतिक जीवन में भी रंग भर गए हैं। फुरसत के समय मनकछिंग के चरवाहे एक साथ इकट्ठे होकर गाना गाते हैं और नाचते हैं। इन सांस्कृतिक गतिविधियों की चर्चा में चरवाहा अलात बहुत बातुनी है।वह हमारे संवाददाता को अपने मित्र बातर के घर लाया। यहां सरकार ने चरवाहों के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक संगीत उपकरण खरीद कर दे रखा है। लोग अक्सर यहां गाते हैं और ना चते हैं।संगीत के साथ ही यहां के माहॉल एकदम गर्म हो गया। मेजबान गाना गाते हुए मेहमानों को शराब पिलाने लगे।
मनकछिंग के चरवाहों की ही तरह शांत व सुखमय जीवन अब ईचिनह्वोल्वो काऊंटी आदि मंगोल जाति के आसपास के क्षेत्रों में जगह-जगह देखा जा सकता है। पहले का गरीबी भरा जीवन अब यहां से दूर हो गया है। चरवाहे विकास के नये रास्ते पर चलते हुए अच्छे से अच्छा जीवन बिता रहे हैं।
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