मध्य चीन के एन ह्वेई प्रांत के फू यांग शहर में कुछ बच्चे हैं। चूंकि उन के माता-पिता एडज़ रोग से मर गये , इसलिए वे अनाथ हैं और उन्हें जीवन की मुसीबतें व अकेलापन महसूस हुआ है। एक दिन उन के जीवन में एक मां आयी और बच्चों के जीवन में रंग भर गया।
चार वर्ष पहले, नान नान के माता पिता एडज़ रोग से मर गये और नान नान एक अनाथ बन गयी। दुर्भाग्य की बात है कि नान नान भी अपनी मा की वजह से जन्म से ही एक एडज़ रोगी है।
जब नान नान निराशा में थी, उस की मुलाकात सुश्री चांग ईंग नामक एक लड़की से हुई। 37 वर्षीय चांग ईंग 10 वर्ष से भी पहले फू यांग में वस्त्रों की एजेंट व रेस्तरां की मालिक थी। अपनी बुद्धिमानी और मेहनत से चांग ईंग का व्यापार अच्छा था और फू यांग में वे लोकप्रिय भी बन गयीं थीं।
वर्ष 2003 के शरत की एक शाम को, चांग ईंग की मुलाकात अचानक नान नान से हुई। उस वक्त नान नान रोग के कारण दर्द में थी और जमीन पर बैठी हुई थी। चांग ईंग नान नान की स्थिति से बहुत प्रभावित हुई। चांग ईंग ने कहा,उस समय मैं अभी-अभी मां बनी थी, मुझे लगा कि यह बच्ची इतनी छोटी है और एकदम माता पिता को खो बैठी है। यह बच्ची इतनी दयालु है। वह एडज़ रोग के कारण स्कूल में नहीं पढ़ पाती थी। मुझे लगा कि इस बच्ची को दूसरों की मदद की ज़रुरत है।
दूसरे दिन, चांग ईंग ने नान नान को एक स्वेटर और एक गद्देदार कपड़ा दिया और उस के लिए अनेक खाने की चीज़ें भी लायीं। रवाना होने से पहले, चांग ईंग ने नान नान को 300 चीनी य्वान भी दिये। लेकिन, घर वापस लौटने के बाद चांग ईंग बहुत चिंता में थी। नान नान का छोटा शरीर और दर्द की भावना उस के दिमाग में आती रही। चांग ईंग ने इलाज करने के लिए नान नान को पेइचिंग लाने का निर्णय लिया।वसंत त्यौहार से पहले मैंने उसे पेइचिंग लायी। रेलवे स्टेशन से हम सीधे अस्पताल गयीं। अस्तपाल जाने के बाद उस का इलाज किया गया। रोग की स्थिति के बेहतर होने के साथ-साथ, नान नान के मन में पुनः ज़िदा रहने का साहस पैदा हुआ । एक बंद बच्ची एक खुश व मेहनती बच्ची बन गयी। नान नान में हुए परिवर्तन को देखकर चांग ईंग को बहुत खुशी हुई।
फू यांग में नान नान की ही तरह अनेक अनाथ बच्चे हैं। गरीबी के कारण फू यांग के कुछ किसान विवश होकर खून बेचते हैं। कुछ गैरकानूनी खून लेने वाले स्थलों ने लाभांश के कारण सुईयों का बार-बार इस्तेमाल किया, जिस से कुछ किसानों को एडज़ रोग हो गया । हालांकि इधर के वर्षों में सरकार ने ऐसी कार्यवाइयों पर रोक लगायी है और एडज़ रोगियों को भारी मदद भी दी है, फिर भी नान नान जैसे कुछ अनाथ हैं ही।
वर्ष 2003 के अंत में चांग ईंग ने परिवारजनों व मित्रों की राय को नजरअंदाज करके दसियों लाखों के अपने व्यापार को त्याग दिया और एडज़ रोग से प्रभावित गरीब बच्चों के सहायता संघ की स्थापना की और अनाथों का राहत कार्य करना शुरु किया।
ह्वांग चीन हुंग और ह्वांग चीन लेई संघ की स्थापना के शुरु में आये अनाथ हैं। उस वक्त, वे दोनों माता पिता के देहांत से अत्यन्त दुखी थे। उन के अनुसार, चिन हुंग—उस वक्त हमारे माता-पिता के देहांत के बाद दूसरे लोग हमारे साथ नहीं खेलते थे। हम दोनों बहुत अलगाव महसूस करते थे।
चिन लेई—हमारे पड़ोसी ने मुझे उस के दरवाज़े के सामने की सड़क से गुज़रने की अनुमति भी नहीं दी थी। दादी को दुखी न करने के लिए मैं घर में भी नहीं रो पाता था।
चिन हुंग और चिंग लेई की कहानी सुनकर चांग ईंग पांच बार उन के घर गयीं और उन की देखभाल की। हर बार चांग ईंग ने उन्हें अनेक चीजें दीं। इस के साथ-साथ, वे अन्य अनाथों को भी मदद दे रही थीं।
उन अनाथों से संपर्क करते समय चांग ईंग को पता लगा कि केवल उन्हें जीवन में मदद देना पर्याप्त नहीं है, चूंकि ये बच्चे न तो बात करते थे न इन बच्चों की पढ़ाई अच्छी थी। उन के साथ बातचीत करते समय चांग ईंग ने देखा कि वे अकसर रोते हैं। चांग ईंग को महसूस हुआ कि बच्चों के मन पर भारी बोझ है। सच्चे माइने में उन्हें मदद देने के लिए उन के अलगाव भरे मन की दुनिया में प्रवेश करना बहुत आवश्यक है।
वर्ष 2004 के गर्मी के मौसम में चांग ईंग ने 300 अनाथों को इकट्ठे करके पर्यटन किया। पर्यटन से इन अनाथों को अपने बचपन का प्यार दिखने लगा और वे लोग बातूनी भी बन गये। इसी तरह, चांग ईंग और उन के बीच संपर्क बढ़ गया। ह्वांग चीन लेई ने कहा,पर्यटन करना बहुत अच्छा है। हमें मा का ध्यान मिला है। मैं एक अवाक् बच्चे से दूसरों के साथ खेलना पसंद करने वाला बच्चा बन गयी।
अभी तक, क्रमशः 300 अनाथों को चांग ईंग से मदद मिली थी। राहत की प्रतिक्रया में सुश्री चांग ईंग के प्रति बच्चों में गहरी भावना पैदा हुई । बच्चे स्नेहपूर्ण रुप से चांग ईंग को मा कह कर पुकारते हैं।वे अपने छोटे हाथों से विविधतापूर्ण उपहार बनाकर अपनी मा को देते हैं। इन अनाथों के दिल में चांग ईंग उन की मा बन चुकी हैं।
चांग ईंग का बेटा केवल चार वर्ष का है। बाहर बहुत व्यस्त होने के कारण चांग ईंग अपने बेटे की ज्यादा देखभाल नहीं कर पाती है। लेकिन, उन अनाथों के बारे में सोचते हुए, चांग ईंग को लगता है कि उसे ज्यादा प्रेम अनाथों को ही देना चाहिए।
फुरसत के समय मैं अपने बेटे के साथ खेल सकती हूं। जबकि उन बच्चों के पास मुझे लगता है कि कोई भी परिवारजन नहीं है। वे मुझे मा मानते हैं। जब वे मुसीबत में होंगे, तो मैं ज़रुर उन की देखभाल करूंगी।
गत वर्ष अक्तूबर में चांग ईंग को एन ह्वेई प्रांत की एकमात्र प्रतिनिधि की हैसियत से चीन के दस परोपकार स्टारों की नामसूची में शामिल की गयीं। इस तरह, चीन में अधिक से अधिक लोगों ने चांग ईंग की कहानी जान ली और उन की कार्यवाई से प्रभावित हुए। पेइचिंग की निवासी सुश्री ली छ्येन ने कहा,मैं चांग ईंग के साहस व मेहनत से बहुत प्रभावित हुई हूं। वास्तव में उन्होंने अपनी कार्यवाई से हमारे समाज के लिए एक मिसाल स्थापित की है । हमने जान लिया है कि एक व्यक्ति को अपने प्रयासों के अलावा, हरसंभव और अधिक सामाजिक कर्त्तव्य व जिम्मेदारी निभानी चाहिए।
पिछले दो वर्ष से चांग ईंग ने अनाथों को मदद देने के लिए कुल 3 लाख से ज्यादा चीनी य्वान खर्च किए। चांग ईंग ने कहा कि यह बहुत अर्थवान बात है। जब बच्चों को सुख महसूस हुआ, तो उन्हें सब से अच्छा परिणाम मिला है।
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