पीला साफा सेना द्वारा किए गए विद्रोह के तूफान में पूर्वी हान राजवंश का अस्तित्व केवल नाम के लिए रह गया। इस विद्रोह का दमन करने के दौरान स्थानीय अफसरों और शक्तिशाली जमींदारों ने सिपाहियों को भरती कर अपनी खुद की फौजें भी खड़ी कर लीं अथवा उनका विस्तार कर लिया, और वे खुद अपने-अपने इलाके के अधिपति बन बैठे, जिन पर केन्द्रीय सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया।
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