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(GMT+08:00) 2006-11-15 18:48:49    
सछ्वान प्रांत का वॉलुंग पांडा संरक्षित क्षेत्र

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पांडा की जन्म भूमि शीर्षक ज्ञान प्रतियोगिता के लिए प्रस्तुत पांडा आबादी क्षेत्र –सछ्वान प्रांत के वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र के बारे में एक रिपोर्ट ।

पहले आप इस आलेख के लिए रखे गये दो प्रश्न नोट कर याद करें । पहला प्रश्न हैः क्या पांडा की जन्म भूमि सछ्वान प्रांत में है ? दूसरा प्रश्न हैः वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र में वर्तमान में कितने जंगली पांडे रहते हैं ?

आगे प्रस्तुत है पांडा आबादी क्षेत्र –वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र पर परिचयात्मक लेख ।

आज से बीस साल से ज्यादा समल पहले पांडे के मुख्य आहार-- तीर नुमा पत्तों वाली बांस बड़े पैमाने पर मुर्झा होने के कारण पांडे के लिए आहार का संकट पड़ा , पांडे की जीवन गारंटी के लिए चंदा जुटाने हेतु चीनी संगीतकार ने एक गीत भी बनाया । अब बीस साल गुजरे है , पांडा आबादी क्षेत्र –वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र में बांसों की हरिभरी जंगलें उगती हैं और विश्व का दुर्लभ मूल्यवान जानवर पांडे अपने आबादी क्षेत्र में इतमीनान से जीवन बिताते हैं ।

उत्तर पश्चिम चीन के सछ्वान प्रांत में स्थित वॉलुंग पांडा प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र प्रमुख पांडा आबादी क्षेत्रों में से एक है , जो पांडे की जन्म भूमि मानी जाती है । चीन में केवल सछ्वान , श्यानसी और कांसू आदि प्रांतों के घने वन्य इलाकों में जंगली पांडे मिलते हैं , इसलिए वॉलुगं पांडा प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र चीनी व विदेशी पर्यटकों के लिए ऐसा प्रथम वांछित क्षेत्र बन गया , जहां पर्यटक नजदीक से जंगली पांडा देख सकते हैं । वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र में स्थापित चीनी पांडा उद्यान के अधिकारी श्री चांग लीमिंग ने परिचय देते हुए कहाः

चीनी पांडा उद्यान की स्थापना का मुख्य उद्देश्य चीन के राष्ट्र जानवर— यानी पांडों को स्वस्थ जीवन की गारंटी देना है , इस के अलावा विश्व के पांडे के प्रेमी लोगों को नजदीक से पांडे के साथ संपर्क करने का मौका प्रदान करना भी है । यहां पर्यटकों को पारिस्थितिकी संरक्षण और पांडा के जीवन इतहास के संबंध में ठोस जानकारी उपलब्ध हो सकता है और पांडे के जीवन का सर्वेक्षण करने से इस जीवित जीवाश्म के महत्व को समझ सकते हैं ।

मोटा प्यारा शरीर होने , सफेद व काले बालों के आपस में बंटने तथा भोला भाला मुद्रा दिखने के कारण पांडा हमेशा लोकप्रिय रहा है । वॉलुंग पांडा प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र के चीनी पांडा उद्यान में अब कुल सौ पांडे पाले जाते हैं । आम समय में वे खुली हवा में विचर करते हैं, धूप में लेटे रहते हैं और पेड़ पर चढ़ते हैं । पांडा आकृति व स्वभाव में भालू और बिल्ली दोनों की भांति लगता है , इसलिए वह पेड़ पर चढ़ने में माहिर है ।

पांडे के लिए आहार मुश्किल से मिलता है । बताया गया है कि अतीत में पांडा मांसाहारी था , किन्तु कालांतर में विकसित हो कर वह शाकाहारी हो गया । पांडा तीर नुमा पत्तों वाली बांस को अपना मुख्य आहार चुनता है । वॉलुंग प्रकृति संरक्षित क्षेत्र में जल वायु शीतल और आर्द्र होता है और बांस फलती फूलती उगती है । इसलिए यह क्षेत्र पांडे के लिए अनुकूल आबादी क्षेत्र बन गया । पांडे का पाचन तंत्र कमजोर है , अन्ततः अपनी शारीरिक ऊर्जा बनाए रखने केलिए पांडे का चाल चरण हमेशा शांत व धीमी गति में होता है , जो देखने में बड़ा भोला भाल लगता है । अमरीका से आई सुश्री रेबका .हासे ने पांडे के खाने पीने तथा खेलने के फोटो खींचे और नजदीक से पांडे को देखा , उन्हों ने बहुत भावविभोर हो कर कहाः

मुझे अपार खुशी हुई है कि मैं ने इतनी नजदीक से पांडे को देखा , वे बहुत स्वस्थ , प्यारे और भोले भाले हैं । मैं चाहती हूं कि वॉलुंग क्षेत्र में अधिक से अधिक पांडे पले बढ़े रहें ।

चीनी पांडा उद्यान में आधुनिक सुविधाओं से लैस एक पांडा बच्चा पालन रूम है । जहां कृत्रिम रूप से पांडे के बच्चों का भरण किया जाता है। पर्यटक इस कक्ष में शीशे के बाहर से नवजात पांडा बच्चा देख सकते हैं । नवजात पांडा मानव की हथेली जितना छोटा है , दोनों आंखें मूदी हुई हैं और शरीर पर थोड़े कुछ मुलायम बाल है । इसे देखने पर यह कल्पना करना बहुत मुश्किल है कि इतना छोटा नन्हा पांडा आगे घने बालों वाला भीमकाय पांडा बन सकता है । चीन के थाइवान द्वीप से आए श्री चांग शीछांग ने पांडा बच्चा पालन कक्ष के बाहर देर तक इकटक निहारा और पालन रूम के पालक के मुंह से पांडा बच्चे का पालन पोषण करने की पूरी प्रकिया सुनी । उन्हों ने कहाः

यहां मैं ने पांडे के बारे में बहुत सी जानकारी पायी । यहां के गाइड ने हमें पांडे के इतिहास और जीवन के पर्यावरण की कहानी सुनाई । अब मुझे मालूम हुआ है कि पांडे के बच्चे को पालना कितना कठिन है , मादा पांडा अपने बच्चे का ठीक से भरण पालन करना नहीं जानती है , इसलिए पांडे का पलना बढ़ना बहुत मुश्किल है ।

हमें बताया गया है कि पांडे के बच्चों की मृत्य दर बहुत ऊंची है , कुछ बच्चे जन्म से पहले या बाद लगी बीमारी से मर जाते हैं और कुछ मादा पांडे के शरीर के नीचे आ कर दबने से मर जाते हैं । पांडे के जीवन नियम के मुताबिक मादा पांडा अपने के केवल एक बच्चे को पालने में सक्षम है, इसलिए अन्य नवजात बच्चों को बचाने के लिए यहां के शोधकर्ता कमजोर व बीमार हुए बच्चों को कृत्रिम रूप से पालते है , ताकि पांडा बच्चों की जीवन दर उन्नत हो ।

पांडे को बेहद पसंद करने के लिए अब अधिक से अधिक पर्यटक अपना ज्यादा समय बना कर वॉलुंग पांडा संरक्षण क्षेत्र में स्वयंसेवक के रूप से काम करने लगे । पांडा पालक की वर्दी में जापानी महिला सुश्री कोडामा.मिडोरी ने कहा कि वे अपनी अन्य दो साथियों के साथ यहां आई हैं , तीनों यहां पांडे के साथ एक हफ्ते का खुशगवार समय गुजारना चाहती हूं । सुश्री मिडोरी ने कहाः

मैं रोज सुबह पांडों को खाना खिलाती हूं , दोपहर और शाम को पांडा रूमों की सफाई करती हूं । दूसरी जगह पर मैं इतनी नजदीक से पांडे के साथ संपर्क नहीं कर सकती , इसलिए यहां मैं बहुत प्रभावित और खुश रहती हूं ।

विभिन्न मौसमों में वॉलुंग में रहने वाले पांडे की जीवन शैली अलग ढंग की होती है । पांडा अनुसंधान के विशेषज्ञ श्री ली ते सङ ने कहा कि गर्मियों के मौसम में वॉलुंग का जल वायु बहुत शीतल है , इसलिए इस अवधि में पांडे अपेक्षाकृत क्रियाशील रहते हैं , शरद के मौसम में पांडे के बच्चे का जन्म होने का दृश्य देखने को मिलता है और वसंत में पांडे के कामोद्दीपन का समय होता है । जीवन के ऐसे विशेष काल में पांडे की बहुत सी मजेदार हालत देखने को मिलती है । श्री ली ने कहाः

जंगली नर पांडों में स्पर्धा प्रतिस्पर्धा के बाद जो विजयी हुआ है , उसे मादा पांडे के साथ मैथून करने का हक प्राप्त होता है । लेकिन कृत्रिम रूप से पांडों के पालन पोषण के दौरान नर पांडों को आपस में लड़ने नहीं दिया जाता है । जब कामोद्दीपन की अवधि आयी , तो नर पांडे को नजदीक के मादा पांडे के बाड़ के सामने ला खड़ा किया जाता है , वे एक दूसरे पर निहारते हैं , आम समय पर पांडे आवाज नहीं देते हैं , लेकिन इस समय पर शुरू में वे पक्षी की जैसी आवाज देने लगते हैं , फिर कुत्ते की तरह भौंकते हैं , अंत में बकरी की जैसी आवाज देते हैं ।

वॉलुंग पांडा प्राकृतिक संरक्षण क्षेत्र में कृत्रिम रूप से पाले जाने वाले पांडों के अलावा वहां एक सौ से अधिक जंगली पांडे रहते हैं , यह संख्या अब तक पूरे चीन में जीवित रहे जंगली पांडों की कुल संख्या का दसवां भाग है । अतीत में पर्यटक पांडा आबादी क्षेत्र में नहीं आ सकते थे । लेकिन उच्च श्रेणी के पर्यटकों की यात्रा सुविधा के लिए अब वॉलुंग पांडा संरक्षित क्षेत्र ने विश्व में प्रथम जंगली पांडा वैज्ञानिक सर्वेक्षण यात्रा योजना लागू की , वे विज्ञान आधारित निरीक्षण व्यवस्था के जरिए नजदीक से जंगली पांडे के जीवन की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं और अनुसंधान कर सकते हैं ।

दोस्तो , उपर है चीन के सछ्वान प्रांत के उत्तर पश्चिम भाग में स्थित वॉलुंग पांडा संरक्षित क्षेत्र के बारे में एक रिपोर्ट । अब आप इस आलेख के लिए रखे गए दो प्रश्नों को फिर याद करें , पहला प्रश्न हैः क्या पांडे की जन्म भूमि सछ्वान प्रांत में है ? दूसरा प्रश्न हैः वॉलुंग पांडा संरक्षित क्षेत्र में फिलहाल कितने जंगली पांडे रहते हैं ? आशा है कि आप लोग बढ़ चढ़ कर हमारी इस ज्ञान प्रतियोगिता में भाग लेंगे और सही सही प्रश्न भेज कर इनाम जीत लेंगे ।