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(GMT+08:00) 2006-11-15 18:47:59    
रहस्यपूर्ण सान शीन द्वेई

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किसी भी व्यक्ति ने कभी यह नहीं सोचा था कि एक किसान येन खेत में काम करते समय एक रहस्य का उद्घाटन करेगा। इस के बाद के बीसियों वर्षों की खुदाई व अनुसंधान के बाद यह साबित किया गया कि यह जगह 3000 से 5000 वर्ष पहले पुराने श्वू राज्य की राजधानी रही थी। सान शी द्वेई खंडहर के पता चलने से श्वू राज्य का इतिहास और 2000 वर्ष पुराना बन गया, जिस से यह जाहिर हुआ है कि सान शीन द्वेई सभ्यता का प्रतिनिधित्व करने वाली यांत्जी नदी का इतिहास पीली नदी के इतिहास की ही तरह चीनी राष्ट्र सभ्यता का एक भाग है।

सान शीन गांव दक्षिण पश्चिमी चीन के स छ्वान प्रांत में स्थित है, जो स छ्वान की राजधानी छन तु से लगभग एक घंटे के रास्ते की दूरी पर स्थित है। अब यह छोटा गांव शांत नहीं रह गया है, 75 वर्ष पहले किसान येन द्वारा जिस जगह पर रहस्य का पता लगाया गया था वहां लगभग 10 वर्ष पहले एक संग्रहालय की स्थापना की गयी है, जिस का नाम सान शीन द्वेई है।

सान शीन द्वेई संग्रहालय की गाईड सुश्री छ्यो शवेई छिंग ने परिचय देते समय बताया कि इस सभ्यता खंडहर के पता चलने का महत्वपूर्ण अर्थ है।उन के अनुसार, पृथ्वी के इस अक्षांश पर जुमूलामा पहाड़, माया सभ्यता, बर्मुडा त्रिकोण आदि पड़ते हैं। इन सब का इतना विशेषतापूर्ण होना तो निश्चय ही रहस्यपूर्ण है। सान शी द्वेई दक्षिण पश्चिम चीन में पता लगाया सब से विस्तृत व लम्बा पुराना शहर व राज्य है।

खुदाई से पता चला कि लगभग 3000 वर्ष पहले, यह पुराना शहर अचानक नष्ट हो गया और विकसित सान शीन द्वेई सभ्यता एकदम लुप्त हो गयी। पांच वर्ष पहले, छन तु शहर के उपनगर में चिन शा खंडहर के पता लगने से लोगों को महत्वपूर्ण संकेत मिले। इन दो स्थलों में खोदी गयी धरोहरों में समान विशेताएं हैं। इसलिए, लोग चिन शा खंडहर को सान शी द्वेई सभ्यता की विरासत मानते हैं। लेकिन सान शी द्वेई के नष्ट होने के बाढ़, रोग या युद्ध आदि अनेक अनुमानित कारण प्रचलित हैं। इतिहास में रिकॉर्ड न होने के कारण अभी तक यह एक रहस्य ही रहा है।

सान शी द्वेई की खुदाई में प्राप्त धरोहरों की चर्चा में सुश्री छ्यो श्वेई छिंग ने कहा कि सान शीन द्वेई में कांस्य से बनी चीजें सब से श्रेष्ठ हैं। कुछ कांस्य की मूर्तियों का चेहरा एशियाई लोगों के चेहरे से भिन्न है, इन की बड़ी-बड़ी आंखें हैं और ऊंची नाक है। उन्होंने श्वू राज्य के प्रथम राजा के रुप में एक कांस्य मुखौटे का भी परिचय दिया। यह दुनिया में सब से बड़ा कांस्य मुखौटा है, और हमारे देश की मूल्यवान धरोहर भी है। इस मुखौटे का चेहरे व मुख बहुत विशेष है।मुखौटे की आंखें समचतुर्भुज आकार में है, जो आगे को उभरी हुई हैं, और आंख की पुतली बेलनाकार में है। मुखौटे की नाक बहुत बड़ी है।

फ्रांसीसी पर्यटक हुमूर्त द्रोज़ को आकर्षित करने वाला दूसरी एक चीज़ गंगनचुंबी वृक्ष है। उन्होंने कहा कि इन का कई वर्ष पहले फ्रांस में प्रदर्शन किया गया था। हालांकि वे जानते हैं कि चीन का बहुत पुराना इतिहास है, फिर भी जब उन्होंने फिर एक बार इन चीज़ों को देखा, तो वह आश्चर्यचकित रह गये।

श्री हुमूर्त द्रोज इस गंगनचुंबी वृक्ष को सब से अधिक पसंद करते हैं। यह दुनिया की एक अनोखी चीज़ है, इस का आकार 3.6 मीटर है । पुराने समय में चीनी लोग वृक्ष को अंतरिक्ष का अवतार मानते थे, और सूर्य, चांदनी, तारे आदि को वृक्ष पर फल मानते थे। सुश्री छ्यो ने कहा, यह कांस्य वृक्ष दुनिया में एकमात्र है। उसे बनाने के लिए ढालने की तकनीक भी अभूतपूर्व है। इतना बड़ा कांस्य बर्तन एक बार में नहीं ढाला जा सकता है, और कई बार ढालना पड़ा होगा। हम ने तीन वर्ष तक इस वृक्ष की मरम्मत की थी।

वास्तव में इस कांस्य वृक्ष से पता चलता है कि प्राचीन चीन में आकाश , भूमि और अंतरिक्ष के प्रति लोगों की जानकारी थी। संग्रहालय के सहायक 70 वर्षीय श्री आओ थ्येन च्याओ आधी सदी के लिए सान शीन द्वेई सभ्यता का अनुसंधान करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि सान शीन द्वेई की खुदाई से यह पता लगा है कि देव-सत्ता और राज-सत्ता का जोड़ना उस काल की विशेषता है, और सान शीन द्वेई पुराने समय में पवित्र स्थल भी था। सान शीन द्वेई की खुदाई से हम जानते हैं कि पुराने सान शीन द्वेई राज्य ने प्रारंभिक धर्म के अनुसार, प्रकृति की पूजा करने आदि की विचारधारा और संस्थाओं में एकता की स्थापना की। पुराने श्वू राज्य में संभवतः अकसर पूजा की रस्म आयोजित की जाती थी। आसपास के कबीले इस क्षेत्र में तीर्थ यात्रा करने के लिए आते थे।

यह कहा जा सकता है कि कांस्य बर्तन सान शीन द्वेई समय में कला के स्तर को अच्छी तरह प्रतिबिंबित करते हैं। लेकिन, सान शीन द्वेई के खंडहर में अनेक हाथी दांत और समुद्री सीपियों भी मिली हैं। यह एक और रहस्य है। सुश्री छ्यो ने बताया, कुछ विद्वानों ने कहा कि हाथी दांत और समुद्री सीपियों का दक्षिण रेशमी मार्ग से आयात हुआ था। छन तु समुद्र से दूर स्थित है, इसलिए छन तु में समुद्री सीपियों नहीं होनी चाहिएं। यह इस बात का द्योतक है कि तत्कालीन श्वू राज्य पश्चिमी और दक्षिणी एशिया तक व्यापार करता था।

हालांकि सान शीन द्वेई संग्रहालय को खुले केवल दस वर्ष हुए हैं, फिर भी अनेक पर्यटक यहां आये हैं। सान शीन द्वेई की धरोहर विदेशों में भी प्रदर्शित की गई है। सान शीन द्वेई संग्रहालय के उप प्रधान श्री चांग जी जुंग ने परिचय देते हुए बताया कि सान शीन द्वेई धरोहर में रहस्यपूर्ण धरोहर और पुरानी सभ्यता का विदेशी पर्यटकों के लिए भारी आकर्षण है। उन के अनुसार, पर्यटकों की सान शीन द्वेई की पुरानी व रहस्यमय सभ्यता के प्रति भारी रुचि है। सान शीन द्वेई की धरोहर विश्व में अभूतपूर्व है।

फिनलैंड से आयी सिरका कोरेला ने सान शीन द्वेई की अनोखी प्रशंसा करते हुए कहा, संग्रहालय बहुत अच्छा है। संग्रहालय में प्रदर्शित चीज़ें , विशेषकर मुखौटा बहुत रहस्यपूर्ण है। कांस्य वृक्ष और देवपक्ष भी बहुत दिलचस्प है।

इस संग्रहालय का दौरा करने के बाद स्वतः ही लोगों में इस रहस्यमय खंडहर के प्रति अपनी समझ पैदा होगी।

श्रोताओं, आज के इस कार्यक्रम के अंत में हम फिर एक बार आज के सवाल पूछेंगे। प्रथम, सान शी द्वेई खंडहर कितने वर्षों के लिए उज्ज्वल रहा था। दूसरा, सान शी द्वेई की खुदाई में किस किस्म वाली धरोहर अच्छी तरह तत्कालीन कला स्तर को प्रतिबिंबित करती है, जेड या कांस्य बर्तन।

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