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(GMT+08:00) 2006-11-15 15:47:57    
चीनी राष्ट्राध्यक्ष की चार एशियाई देशों की यात्रा शुरू

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चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ निमंत्रण पर वियतनाम, लाओस, भारत और पाकिस्तान की राजकीय यात्रा पर 15 तारीख को पेइचिंग से रवाना हुए । वे वियतनाम में आयोजित होने वाले एपेक यानी एशिया व आर्थिक सहयोग संगठन के नेताओं के अनौपचारिक अधिवेशन में भाग लेंगे। इस साल चीनी राजनेता के द्वारा की जाने वाली यह एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक कार्यवाही है । चीनी विदेश मंत्रालय के अफसरों के अनुसार श्री हू चिन थाओ की इस यात्रा का,चीन के इन चार देशों के साथ संबंधों को बढ़ाने के लिए बहुत महत्व है ।

वियतनाम चीन का महत्वपूर्ण पड़ोसी देश है । चीन के सहायक विदेश मंत्री श्री स्वेई थिएन काई ने चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ की वियतनाम यात्रा की चर्चा करते हुए कहा कि यह यात्रा , वियतनामी कम्युनिस्ट पार्टी के 10वें राष्ट्रीय सम्मेलन में नए नेताओं के निर्वाचित होने के बाद चीनी सर्वोच्च नेता की प्रथम वियतनाम यात्रा है ।

मौके पर चीन और वियतनाम दोनों देशों के नेता रणनीति और सकल परिस्थिति की दृष्टि से दोनों देशों तथा दोनों पार्टियों के बीच मौजूदा सवालों पर विचार-विमर्श करेंगे । आशा है कि इस यात्रा के जरिये चीन और वियतनाम के बीच परंपरागत मित्रता को गहरा करने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच राजनीतिक विश्वास,आपसी लाभ वाले सहयोग का विस्तार किया जाएगा तथा चीन-वियतनाम संबंधों के विकास की दिशा का स्वरूप निश्चित किया जाएगा ।

लाओस भी चीन के जल-पहाड़ों से जुड़ने वाला मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश है । इस साल चीन और लाओस के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 45वीं वर्षगांठ भी है । दोनों देशों ने इस के उपलक्ष्य में सिलसिलेवार गतिविधियां आयोजित कीं । इस का परिचय देते हुए श्री स्वेई ने कहा , चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ की यात्रा , छः सालों के बाद चीनी सर्वोच्च नेता की दूसरी लाओस यात्रा होगी । आशा है कि यात्रा के जरिये चीन और लाओस के बीच परंपरागत मैत्री को और राजनीतिक विश्वास तथा आपसी लाभ वाले सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा ।

भारत चीन की ही तरह एशिया का एक बड़ा देश है । चीन-भारत संबंधों का महत्व द्विपक्षीय दायरे से बड़ा है । इधर के वर्षों में चीन और भारत के नेताओं के बीच निरंतर संपर्क होने के साथ ही राजनीतिक विश्वास को भी मजबूत किया गया है । चीन अब भारत का दूसरा बड़ा व्यापारिक साझेदार है , जबकि भारत भी दक्षिण एशिया में चीन का सब से बड़ा व्यापारिक साझेदार, और विदेशों में सेवा-उद्योग का सब से बड़ा कारोबार भी है । चीन और भारत के बीच ऊर्जा, कृषि,विज्ञान व तकनीक तथा शिक्षा आदि के संदर्भों में आदान-प्रदान का पूर्ण रूप से विस्तार किया जा रहा है और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में आपस में बेहतरीन तालमेल व सहयोग भी चलाया जा रहा है । चीन और भारत के बीच सीमा वार्ता में सकारात्मक प्रगति हासिल होने के चलते सीमांत क्षेत्रों में शांति व सुरक्षा बनी हुई है । वर्ष 2005 में चीन के प्रधानमंत्री श्री वन च्या पाओ ने भारत की सफल यात्रा की थी, और दोनों देशों ने शांति व समृद्धि उन्मुख रणनीतिक व साझेदार संबंधों की स्थापना की घोषणा की थी। इस तरह चीन-भारत संबंध भी विकास के नये स्तर पर जा पहुंचे हैं। श्री स्वेई ने कहा , चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ की यात्रा , इधर दस वर्षों में किसी चीनी राजाध्यक्ष की प्रथम भारत यात्रा होगी , और चीन और भारत के बीच रणनीतिक सहयोग साझेदार संबंधों की स्थापना की घोषणा के बाद की भी चीनी राष्ट्राध्यक्ष की प्रथम भारत-यात्रा होगी । हमें विश्वास है कि इस यात्रा से विश्व को बताया जाएगा कि चीन व भारत के समान विकास से दोनों देशों के बीच सहयोग के नये मौके ही तैयार नहीं होंगे,बल्कि विश्व शांति,स्थायित्व तथा विकास को बढ़ाने के लिए सकारात्मक योगदान भी किया जाएगा ।

पाकिस्तान के चीन की परंपरागत मैत्री है । चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ की एशिया यात्रा का अंतिम पड़ाव पाकिस्तान होगा।यह यात्रा इधर दस सालों में चीनी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा की जाने वाली प्रथम पाक यात्रा होगी , और पाक राष्ट्रपति श्री मुशर्रफ की तीन चीन यात्राओं का जबाव भी होगा । आशा है कि इस यात्रा के जरिये चीन और पाकिस्तान के बीच राजनीतिक संबंधों के स्तर को उन्नत किया जाएगा, दोनों देशों के बीच आपसी लाभ वाले सहयोग का विस्तार किया जाएगा और दोनों के बीच रणनीतिक साझेदार संबंधों को गहराया जाएगा । उम्मीद है कि यह यात्रा चीन व पाकिस्तान के बीच परंपरागत मैत्री व सहयोग के विकास में मील का पत्थर साबित होगी।

चीनी राष्ट्राध्यक्ष श्री हू चिन थाओ अपनी वियतनाम यात्रा के दौरान एपेक के 14वें अनौपचारिक शिखर-अधिवेशन में भाग लेंगे । चीन के आर्थिक भूमंडलीकरण तथा क्षेत्रीय अर्थतंत्र के एकीकरण में भागीदारी के लिए यह एक महत्वपूर्ण मार्ग है । चीन भी इसे अपने शांतिपूर्ण विकास का रास्ता चुनने , सामंजस्यपूर्ण विश्व की नीति का प्रसारण करने के लिए महत्वपूर्ण खिड़की बनाएगा । श्री हू चिन थाओ मौके पर क्षेत्रीय सहयोग को गहराने के संदर्भ में चीन की नीतियों पर प्रकाश डालेंगे , एपेक के सहयोग के मुद्दों में सर्वप्रथम विषय तथा सहयोग के भविष्य को उल्लिखित करेंगे और एपेक के दायरे में आर्थिक व तकनीकी सहयोग करने में ठोस अनुमोदन पेश करेंगे।