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(GMT+08:00) 2006-11-13 13:02:29    
शांगहाई की संस्कृति

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आधुनिक शागंहाई की प्रगति आधुनिक चीन के इतिहास में एक चमत्कार मानी जाती है। एक सौ साल किसी भी शहर के इतिहास में किसी भी मायने से बहुत लंबा नहीं होता है लेकिन शांगहाई ने इस छोटे समय में दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की की है और वह आज चीन में सर्वाधुनिक शहर बन गया है। किसी भी शहर को तभी जीवित और प्रगतिशील माना जाता है जब वो संस्कृति से परिपूर्ण हो, और शांगहाई में हमें बखूबी देखने को मिलता है। यहां कि चहल-पहल और जीवन से भरी रूप का कारण है इसकी संस्कृति जो इस शहर के इतिहास की जड़ से बंधी हुई है।

सन् 1843ई से पूर्व शांगहाई की संस्कृति काफी हद तक वु और युए राजवंशों से प्रभावित थी, जो वर्तमान चीन के चिआंगसु और चचिआंग दो प्रांतों में अवस्थित थे। सन् 1843 में जब पश्चिमी सभ्यता शांगहाई से चीन में प्रविष्ट हुई तब शांगहाई, चीन की राष्ट्रीय वाणिज्यिक और आर्थिक केंद्र बन गयी। इस तरह हाई फाई (hai pai) संस्कृति चीनी और पश्चिमी संस्कृति के मिश्रण से यहां की संस्कृति काफी प्रभावित होने लगी।

हाई-फाई (hai pai), यह शब्द चीन की राजधानी पेईचिंग के कुछ लेखकों के द्वारा पहली बार इस्तेमाल किया गया जब वे शांगहाई में बसे विद्वानों और उन के लेखन की शैली की कड़ी निंदा करते थे। उनका कहना था की शांगहाई के लेखक पैसे और पश्चिमी सभ्यता से ज्यादा प्रभावित होते थे और ये उन के लिखने की शैली में बहुत साफ तरीके से झलकती थी। हाईफाई शैली को विद्रोही शैली माना जाता था और चिंग फाई (jing pai) शैली जिस का पेईचिंग के लेखक उपयोग करते थे और जो ज्यादा परंपरागत शैली से जुड़ा हुआ था। ये दो शैली चीन के दो अलग-अलग संस्कृतियों के नेतृत्व से जुड़ी हुई हैं। त्साओ चुरन(Cao Juren) जो पेइचिंग के एक बहुत ही विख्यात लेखक थे 1920 के दशक में कुछ ऐसे लिखे- चिंगफाई एक सुंदर नारी की तरह है जब कि हाईफाई एक आधुनिक नौजवान कन्या की तरह है।

साहित्य में अपारम्परिक मैंडेरिन बतख, युएनयांग फाई, और तितली- तीन शैलीयाँ

शांगहाई के कला और साहित्य से संबंधित विद्वानों के एक समूह ने बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में अपारम्परिक मैंडेरिन बतख, युएनयांग फाई, और तितली- तीन शैलीयों में लोकप्रिय रोमांस सहज रूप से संगठित किया. चांग हनश्वेय और छिन षोउओउ ने इन शैलियों से लोगों को खूब मनोरंजन पहुंचाया।

शांगहाई शैली-एक नयी कला

छिंग राजकाल( 1644-1911) के अंतिम काल में तब तक चित्र कला में कुछ भी तरक्की नहीं हुई थी जब तक शांगहाई के कुछ कलाकार जैसे चाओ चिरछीएन, रन पोनियन और वु छांगशुओ कुछ परिवर्तन नहीं ले आए जिससे चीन के परम्परागत चित्र कला और पाशचात्य शैलियों को एकत्रित करके चित्रकला की एक नयी शैली को जन्म दिया। चित्र कला की शिक्षा के क्षेत्र में भी शांगहाई ने एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा की और बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में कई कला विद्यालयों की स्थापना की गई।

फिल्म और ड्रामा

चीन में यूरोप और अमेरिका से पहली बार फिल्में आयीं तब इस उद्योग की अड्डा बनीं। सन् 1886 में शांगहाई से पहली बार एक चीनी फिल्म रिलीज की गयी। सन् 1927 में चीन में उस समय 179 फिल्म कंपनियों में 142 कंपनियाँ शांगहाई की थीं। अगर हम यह कहें कि चीन के फिल्म-इतिहास के प्रारंभ के कुछ वर्ष वास्तव में शांगहाई का फिल्म-इतिहास है।

शांगहाई ड्रामा पाश्चात्य ड्रामाओं से प्रभावित हो कर एक नया रुप धारण किया। सन् 1903 से सन् 1910 तक के बीच कलाकार अक्सर पश्चिमी वेशभूषा में दिखाई पड़ते थे। परंपरागत शैलियों को और कुछ नियमों को तोड़कर शंगहाई और पेईचिंग के स्थानीय ओपेराओं में कई नये परीक्षण किये गये जो इन ओपेराओं के इतिहास में भारी योगदान माने गए हैं।

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