इधर के सालों में पूर्वी एशिया की आर्थिक वृद्धि गति लगातार विश्व के समुन्नत स्तर पर रही है, चीन, जापान और कोरिया गणराज्य आदि पूर्वी एशियाई देशों के बीच व्यापार रकम भी निरंतर बढ़ती जा रही है। उर्जा सवाल विश्व में हलचल मचाने के आज दिन, पूर्वी एशियाई देशों व क्षेत्रों के बीच उर्जा क्षेत्र में सहयोग दिनोंदिन घनिष्ठ होता जा रहा है, उर्जा सहयोग का भविष्य उज्जवल है। आज के इस कार्यक्रम में हम आप को इस विषय पर एक आलेख सुनाएगें।
पूर्वी एशिया आर्थिक-व्यापार सहयोग एशियाई क्षेत्र सहयोग का सबसे प्रफुल्लित अंग बन चुका है और क्षेत्र के आर्थिक व सामाजिक विकास को आगे बढ़ा रहा है। आंकड़ो के अनुसार, क्षेत्रीय व्यापार रकम पूर्वी एशियाई देशों व क्षेत्रीय व्यापार की कुल रकम का अनुपात आधे से भी ज्यादा है, क्षेत्रों के बीच आपसी निवेश भी पूर्वी एशियाई देशों व क्षेत्रों के आयातित कुल पूंजी राशि का एक तिहाई बनता है। लेकिन आर्थिक की तेज वृद्धि के साथ साथ, उर्जा सवाल भी अधिकाधिक उल्लेखनीय होता जा रहा है।
पूर्वी एशिया क्षेत्र का बड़ा देश होने के नाते, चीन की आर्थिक वृद्धि गति लगातार कई साल तीव्र रही है, जिस से उसने उर्जा पर भारी दबाव डाला है। एक साल पहले , चीन सरकार ने किफायत व पर्यावरण मैत्री समाज के निर्माण करने पेशकश की, ताकि आर्थिक वृद्धि के तरीकों को बदल दिया जा सके, इस से न केवल देश में किफायत पर बल दिया है बल्कि अन्तरराष्ट्रीय उर्जा क्षेत्र सहयोग में भी सक्रिय से भाग लिया है।
वास्तव में उर्जा सवाल न केवल चीन जैसे विकासशील देश के आगे खड़ी समस्या है, विश्व के विभिन्न देशों की भी समान समस्या है। चीन के राष्ट्रीय उर्जा नेतृत्व दल के उप निदेशक श्वी तिंग मिन का मानना है कि पुनर्जीवित उर्जा विकास व उसका प्रयोग विश्व उर्जा सवाल के समाधान का रोके न रुकने वाला रास्ता है। उन्होने कहा विश्व आर्थिक विकास के चलते, उर्जा व पर्यावरण सवाल दिनोंदिन उल्लेखनीय होता जा रहा है, यदि उर्जा व पर्यवारण सवाल का कारगर समाधान नहीं हो सका तो न केवल मानव समाज के अनवरत विकास का लक्ष्य मुश्किल से साकार होगा, यहां तक कि मानव के जीने का पर्यवारण व जीवन की गुणवत्ता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा। पुनर्जीवित उर्जा संसाधन भरपूर व साफ, हमेशा के लिए प्रयोग किया जा सकता है. अनवरत विकास उर्जा के विकास के प्रयोग पर बल देना, दिनोंदिन बढ़ती गंभीर उर्जा व पर्यावरण सवाल का निपटारा करने का ही नहीं मानव समाज में अनवरत विकास को साकार करने का भी एक अनिवार्य रास्ता है।
चीन सरकार को उर्जा सवाल की महत्वत्ता व आपात जरूरत की पूरी समझ है। इस साल की पहली जनवरी से चीन ने औपचारिक रूप से पुनर्जीवित उर्जा कानून का लागू करना शुरू किया, इस के साथ इस कानून से संबंधित 12 नीतियां भी निर्धारित की हैं। इस के अलावा, चीन की राष्ट्रीय पर्यावरण संरक्षण ब्यूरो ने प्रदूषण की कुल नियंत्रण मात्रा , औद्योगिक प्रदूषण रोकथाम आदि अनेक कार्यों को अमल में लाने की अनुमति दे दी है, ताकि कारोबारों को उर्जा किफायत तकनीक विकास उत्साह को उजागर किया जा सके।
उर्जा किफायत की शक्ति को अधिक बल देने के लिए, पिछले महीने चीनी जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी ने मौजूदा उपभोक्ता कर वसूली के पैमाने को कोयला आदि पुनर्जीवित न हो सकने वाले उर्जा व उनके उत्पादों तक विस्तार करने का सुझाव रखा, ताकि संसाधन का फजूल व बर्बादी दोहन कार्रवाईयों को रोका जा सके और उद्योगों की उर्जा किफायत क्षमता को बढ़ावा दिया जा सके। चीनी जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी के उपाध्यक्ष ली थ्ये इन ने कहा कि तेल इंधन में कर वसूली को जल्द शुरू करने के लिए किफायत उर्जा उत्पादों की वित्तीय नीति निर्धारित व प्ररित किया जाना चाहिए और कड़ी उर्जा खपत मापदंड के अनुरूप परियोजना को ही अनुमति देने की जबरन शर्त रखी जानी चाहिए, ताकि उंची उर्जा खपत उद्योगों के बढ़ने की गति को रोका जा सके। इस के अलावा, नयी उर्जा किफायत व पुनर्जीवित उर्जा का विकास किया जाए और राष्ट्र की उर्जा किफायत की आर्थिक नीति व ठोस कार्रवाईयों को स्पष्ट कर उर्जा किफायत वाले उद्योगों को लाभ हासिल होने की व्यवस्था का निर्माण किया जाए व उर्जा किफायत के खर्चे को सरकार की वित्तीय बजट में शामिल किया जाए।
कुछ समय पहले चीन ने पुनर्जीवित उर्जा की मध्य व दीर्घकालीन काल विकास योजना निर्धारित की, इस में अन्तरराष्ट्रीय की पुनर्जीवित उर्जा के अनुभवों से सीखना, उर्जा क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना व घरेलु आर्थिक उर्जा व्यवस्था का निर्माण करना जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल हैं। चीनी राष्ट्रीय उर्जा नेतृत्व दल के उप निदेशक श्वी तिंग मिंग का मानना है कि चीन और पूर्व एशियाई देशों व क्षेत्रों के आर्थिक में एक दूसरे की निर्भरता अधिकाधिक सुदृढ़ होती जा रही है, और उर्जा क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा, सहयोग से उंची होनी चाहिए। उन्होने कहा विश्व उर्जा सुरक्षा के सुनिश्चत करने के लिए, हमें आपसी सहयोग, विविध विकास व्यवस्था को गारंटी देने की नयी उर्जा सुरक्षा अवधारणा का निर्माण किया जाना चाहिए। हमारे और पूर्व एशिया, उत्तर पूर्व एशिया के बीच उर्जा पहलु में सहयोग बना रहा है, इधर के सालों में जापान और कोरिया गणराज्य के बीच भी बहुत से आदान प्रदान चलते आए हैं, हम पूर्व एशिया के दोस्तों के साथ पुनर्जीवित उर्जा का विकास कर पूर्व एशिया की उर्जा सुरक्षा सुनिश्चता प्रदान करने का स्वागत करते हैं।
श्री श्वी तिंग मिंग का मानना है कि चीन का विकास पूर्व एशिया के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ है, चीन और पूर्व एशिया के देशों व क्षेत्र का व्यापार चीन के व्यापार की राशि का 60 प्रतिशत बनता है, पूर्व एशियाई देशों व क्षेत्रों दवारा चीन में पूंजी निवेश, चीन के एक साल के पूजी आयातित राशि का 60 प्रतिशत बनता है।
हालांकि चीन के उर्जा किफायत व पर्वारण संरक्षण अब भी प्रारम्भिक दौर में खड़ा है और पुनर्जीवित उर्जा विकास व प्रयोग में बाजारकरण के नीचे होने व उद्योगों के पैमाने का छोटा होने, तकनीकी मात्रा कम होने आदि सिलसिलेवार समस्याए मौजूद है, इस लिए चीन सरकार विदेशी उद्योगों को इस क्षेत्र में पूंजी निवेश करने को प्रोत्साहित करती है। जापान के उर्जा व आर्थिक अनुसंधान प्रतिष्ठान के वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता आखीहिरो कुरोकी का मानना है कि चीन का उर्जा बाजार का भविष्य उज्जवल है, चीन और जापन के बीच उर्जा किफायत के पहलु में सहयोग की निहित शक्ति बहुत भरमार है। उन्होने कहा वर्तमान में चीन पूर्व एशिया उर्जा की कार्यकौशलता में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। इस से पहले चीन और जापान दोनों देश के आर्थिक अधिकारियों ने तोक्यो में बैठक बुलाकर एक मतैक्य हासिल किया है, जिस में उर्जा प्रयोग तकनीक आदि क्षेत्रों में सहयोग करने का निर्णय लिया है। वर्तमान तेल संकट धीरे धीरे उभर रहा है, और मानव के लिए खतरा बन रहा है। लेकिन यह हमारे बीच उर्जा की प्रयोग कार्यकौशलता को उन्नत करने व नए उर्जा व पुनर्जीवित उर्जा का विकास के लिए एक अच्छा अवसर है।
|