चीन की कुल जनसंख्या का सत्तर प्रतिशत भाग ग्रामीण क्षेत्रों में रहता है। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले किसानों को अब तक आम तौर पर शहर की तरह चिकित्सा बीमा व्यवस्था की सुविधा प्राप्त नहीं है। किसानों की चिकित्सा संबंधी कठिनाइयों को दूर करने के लिए चीन सरकार ने 1950 के दशक में ग्रामीण क्षेत्रों में सामूहिक चिकित्सा व्यवस्था लागू की। समय बीतने के साथ यह व्यवस्था आम तौर पर बेकार हो गयी। चीन के शहरों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों का आर्थिक विकास धीमा रहा और बहुत से किसानों को चिकित्सा खर्च न उठा पाने की समस्या का सामना करना पड़ा। इस स्थिति को बदलने के लिए चीन सरकार ने कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी चिकित्सा व्यवस्था लागू करनी शुरू की।
श्री वू च्वनचांग उत्तर-पूर्वी चीन के चिलीन प्रांत के किसान हैं। कुछ समय पूर्व एक यातायात दुर्घटना में उन की गर्दन को गंभीर चोट पहुंची। इसके उपचार के लिए उन्हें भारी खर्च उठाना पड़ा । सौभाग्यवश उन्हें सहकारी चिकित्सा व्यवस्था से खासी सहायता मिली। उन की पत्नी ने बताया कि सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था से प्राप्त तीन हजार यवान की राशि से उन्हें बहुत लाभ मिला। सहकारी चिकित्सा व्यवस्था में शामिल हुए बिना हमें कहीं भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ सकता था।
सहकारी चिकित्सा व्यवस्था में शामिल होने वाले किसान को हर साल एक कोष को दस य्वान जमा देने होते हैं , और स्थानीय सरकार उसमें बीस य्वान देती है। इस तरह हर किसान के नाम पर तीस य्वान जमा होते हैं। यह धन राशि सहकारी चिकित्सा व्यवस्था कोष के रूप में स्थानीय बैंक के एक विशेष खाते में जमा रहता, जिस का प्रयोग बीमार किसानों की सहायता के लिए किया जाता है ।
चिलीन प्रांत की सहकारी चिकित्सा व्यवस्था के प्रभारी अधिकारी के अनुसार चिकित्सा की श्रेष्ठ स्थिति रखने वाले चिकित्सालय ही सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था में नामांकित होते हैं। किसान इन में उपचार लेने के बाद सहयोगी चिकित्सा व्यवस्था से कुल खर्च के एक भाग के भुगतान के लिए आवेदन कर सकते हैं।
बेशक यह व्यवस्था किसानों को उपलब्ध स्वास्थ्य बीमा व्यवस्था जैसी है। इस की विशेषता यह है कि सरकार इस सहकारी चिकित्सा व्यवस्था को वित्तीय समर्थन देती है। अब चीन के सभी प्रांतों में सहकारी चिकित्सा व्यवस्था की स्थापना की जाने लगी है। सात करोड़ किसानों को इस व्यवस्था से लाभ पहुंचा है। वर्ष दो हजार दस तक चीन के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी चिकित्सा व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। इस तरह चीनी किसानों की चिकित्सा संबंधी कठिनाइयां दूर की जा सकेंगी।
नीचे आप ग्रामीण में सहकारी चिकित्सा व्यवस्था की अधिक जानकारियां पढ़ें । चीन के उप स्वास्थ्य मंत्री श्री चु छिंगशङ के अनुसार चीन की नई किस्म की ग्रामीण सहकारी चिकित्सा व्यवस्था पर अमल किया जाने के बाद प्रारंभिक उपलब्धियां प्राप्त हुई हैं , जिस से चार करोड़ किसानों को लाभ मिला । श्री चु के अनुसार भविष्य में चीन ग्रामीण चिकित्सा स्थिति को सुधारने में और अधिक पूंजी लगाएगा ।
चीनी उप स्वास्थ्य मंत्री चु छिंगशङ ने कहा कि अब तक इस नई चिकित्सा व्यवस्था के प्रबंध व संचालन की पद्धति संपन्न् हुई है , जिस से देश भर में नई ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था कायम करने के लिए अच्छे अनुभन संजोए किए गए हैं । जिन क्षेत्रों में नई चिकित्सा व्यवस्था लागू है , उन में किसानों के लिए चिकित्सा की सुविधा सुधर गई , खर्च कम हो गया तथा सेवा बेहतर हो गई है और चिकित्सकों का पांत सुदृढ भी हुई है । वर्तमान में चीन ने तीन सौ से ज्यादा काऊंटियों में नई ग्रामीण चिकित्सा व्यवस्था कायम की है , जिन में सात करोड़ किसानों ने हिस्सा लिया और तीन अरब य्वान की पूंजी जुटाई गई । इस साल के जून के अंत तक चार करोड़ किसानों के चिकित्सा खर्च व्यवस्था से भुगताने गए , जिस की कुल रकम चौदह करोड़ य्वान थी । चीन ने ग्रामीण सहकारी चिकित्सा व्यवस्था के कोष प्रबंध तथा सेवा स्थिति व सेवा गुणवत्ता उन्नत करने पर जोर लगाया , ताकि वर्ष दो हजार दस तक देश के सभी गांवों में नई सहकारी चिकित्सा व्यवस्था लागू की जाए ।
आंकड़ों से जाहिर है कि वर्तमान में चीन ने शहरों के चिकित्सा कार्य में अधिक पूंजी लगायी है और ग्रामीण क्षेत्रों में कम निवेश किया । उप मंत्री चु ने कहा कि चीन सरकार इस हालत को बदलने की कोशिश कर रही है । वे कहते है वर्ष दो हजार दस तक चिकित्सा के लिए चीन की वित्तीय निवेश मुख्यतः ग्रामीण चिकित्सा स्थिति को सुधारने में किया जाएगा , इस साल चीनी स्वास्थ्य मंत्रालय ने जिस चार अरब य्वान की चिकित्सा धन राशि बढ़ाई है , इन धन राशि का प्रयोग मुख्यतः वहां के घातक रोगों की रोकथाम , एडज व क्षयरोग की रोकथाम व चिकित्सा , सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थापनों के निर्माण तथा सहकारी चिकित्सा व्यवस्था के विकास में किया गया है ।
वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार चीनी स्वास्थ्य विभाग ग्रामीण चिकित्सकों के प्रशिक्षण पर जोर लगाते हैं , शहरी चिकित्सा संस्थाओं व डाक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा प्रदान करने के लिए प्रोत्साहन देते हैं तथा ग्रामीण क्षेत्र की सकल चिकित्सा सेवा का स्तर उन्नत करते हैं ।
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