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(GMT+08:00) 2006-11-06 09:51:23    
चीन में टैक्सटाइल उद्योग, सब से महत्वपूर्ण राजा

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आज की डाक-सभा में रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह,बिलासपुर छत्तीसगढ के चुन्नी लाल कैवर्त और हिसार हरियाणा के रामचन्द्र गहलौत के पत्र शामिल हैं।

रामपुरफुल पंजाब के बलवीर सिंह जानना चाहते हैं कि क्या चीन में भी प्रदर्शन और धरने होते हैं ?

चीन में भी प्रदर्शन और धरने होते है। चीन में ये गतिविधयां कानूनी हैं,यानी वे कानून की अनुमति के दायरे में हैं। लेकिन प्रदर्शन और धरना करने वालों को संबंधित संस्था को पूर्व सूचना एवं संबंधित आवेदन-पत्र देना चाहिए, जिस में इन गतिविधियों में भाग लेने वालों की संख्या,प्रदर्शन या धरने की जगह और उसका मुख्य लक्ष्य स्पष्ट रूप से लिखा जाना जरूरी है।इज़ाज़त मिलने पर प्रदर्शन या धरना हो सकता है।

बिलासपुर छत्तीसगढ के चुन्नी लाल कैवर्त का सवाल है कि चीन के टैक्सटाइल उद्योग की वर्तमान स्थिति कैसी है?

चीनी सांख्यकी ब्यूरो के नवीनत्तम आंकड़ों के अनुसार चीन में टैक्सटाइल उद्योग वर्ष 2005 में अधिक मुनाफ़ा कमाने वाले 5 प्रमुख व्यवसायों में शुमार हो गया,जिस का सालाना मुनाफा करीब 18 अरब 90 करोड़ चीनी य्वान तक जा पहुंचा है।

2005 में देशी व विदेशी बाजारों में चीनी टैक्सटाइल वस्तुओं के व्यापार मे तेज वृद्धि हुई। विदेशी बाजारों में संबंधित खिंचाव से प्रभावित होने पर भी उन के व्यापार में बड़ा इज़ाफा हुआ। जनवरी से जुलाई तक चीनी टैक्सटाइल उत्पादों का निर्यात 61 अरब 50 करोड़ अमरीकी डालर रहा,जिन में मात्र जून और जुलाई दो माह में यह रकम 10 अरब अमरीकी डालर पार कर गयी। इधर देशी बाजारों में इन उत्पादों की फुटकर बिक्री में 20,21 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो इतिहास में एक रिकार्ड है।

लेकिन चीनी टैक्सटाइल उद्योग का विश्व बाजार में स्पर्द्धा करने का रास्ता बेरोकटोक होना असंभव है। उसे व्यापारिक संरक्षणवाद की ओर से आने वाली अ़ड़चनों का सामना करना पड़ेगा। अंतराष्ट्रीय टैक्सटाइल उत्पादों के लिए कोटा तय करने वाले पिछड़े युग के आगमन पर चीनी टैक्सटाइल उद्योग अपनी प्रबल स्पर्द्धा शक्ति के कारण अंतरराष्ट्रीय टैक्सटाइल उत्पादों के व्यापार में एक प्रमुख समस्या बन गया है। हालांकि चीन और अमरीका के बीच टैक्सटाइल उत्पादों पर विवाद की ओर अनेक देशों का ध्यान गया है, लेकिन कुछ विकासशील देशों द्वारा हमारे देश के टैक्सटाइल उत्पादों के खिलाफ़ उठाए गए प्रतिबंधित या सीमित दंडात्मक कदमों की अवहेलना भी नहीं की जानी चाहिए।

भारत सरकार के अनुसार वर्ष 2005 में भारत की 9 प्रमुख टैक्सटाइल कंपनियों ने अपने उत्पादन में वृद्धि के लिए 55 करोड़ अमरीकी डालर का नया निवेश किया। यह रकम चीनी टैक्सटाइल कंपनियों द्वारा लगायी गयी पूंजी की तुलना में काफी कम है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि चीन औऱ भारत के टैक्सटाइल उद्योग की अपनी-अपनी पहचान और वरीयता है। संबंधित स्पर्द्धा में दोनों में से कौन किस से कितना आगे निकलता है, यह समय ही बताएगा। बेशक चीन और भारत की इस समय दुनिया में टैक्सटाइल उत्पादों के दो बड़े बाजार होने की स्थिति अटल-अचल है।

हिसार हरियाणा के रामचन्द्र गहलौत जानना चाहते हैं कि चीन के इतिहास में सब से महत्वपूर्ण राजा कौन रहा और कब से कब तक?

चीन में सम्राट सामंती राजवंशों के सर्वोच्च शासक थे,जो धर्म और राजनीति को एक दूसरे से जोड़ने वाले नेता भी थे। इसलिए वे सत्ता-शीर्ष पर बैठे थे। यानी उन्हें सब कुछ करने के अपार विशेष अधिकार थे। चीन में सम्राट का शब्द छिन राजवंश के महाराजा ईंजन द्वारा चीन को एकीकृत किये जाने के बाद प्रयोग में आने लगा है। ईंजन चीन के प्रथम सम्राट थे। आम चीनियों का मानना है कि वे चीन के इतिहास में सब से महत्वपूर्ण राजा थे। उन का जन्म ईसा पूर्व 259 में हुआ था और देहांत ईसा पूर्व 210 में हुआ।

ईंजन के सम्राट बनने से पहले चीन अनेक छोटे-छोटे राज्यों में बंटा था। ईंजन की जन्मभूमि छिन राज्य उन में से एक था।ईजन के पिता इस राज्य के राजा थे। 13 साल की उम्र में ईंजन के पिता का निधन हो गया। इस के तुरंद बाद वे सिंहासन पर बैठ गए। उन के नेतृत्व में छिन राज्य कई वर्षों तक विकसित होता हुआ अन्य सभी राज्यों से कहीं अधिक ताकतवर हो गया। तब चीन को एकीकृत करने की स्थितियां परिपक्व दिखाई दीं। ईंजन ने 10 सालों के भीतर सशस्त्र बल से अन्य राज्यों को एक-एक करके नष्ट कर दिया औऱ आखिरकार ईसा पूर्व 221 में चीन का एकीकरण कर छिन राजवंश की स्थापना की। तब से चीन पहली बार एक एकीकृत बहुजातियों वाले देश के रूप में खड़ा हो गया। चीन को एकीकृत करने के बाद ईंजन ने अपने को चीन का प्रथम सम्राट घोषित किया। चीनी ऐतिहासिक अभिलेखों में उन्हें छीनशीह्वांग की संज्ञा दी गयी है, जिस का मतलब छिन राजवंश का प्रथम सम्राट है।

37 साल के अपने शासनकाल में छीनशीह्वांग ने केंद्रीय सत्ता मजबूत करने के लिए राजनीतिक,  आर्थिक, सांस्कृतिक और सैन्य आदि क्षेत्रों में सिलसिलेवार सुधार किए, जिस से देश में अभूतपूर्व शांति बनी रही।

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