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(GMT+08:00) 2006-11-02 15:14:46    
चीन के ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों की भूमिका

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चीन की ग्रामीण जनसंख्या विशव के किसी भी दूसरे देश के तुलना में अधिक है और इन ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक तरक्की से जुड़ा हुआ है ग्रामीण क्षेत्रों में सहयोगी खेती से संबंध सुधार जो तीस साल पूर्व आरंभ किये गये थे।खेती से संबंध सुधारों के बदौलत खाद्य पदार्थों में और खेती से संबंध दूसरे पदार्थों के उत्पादन में काफी तरक्की हुई। इन सुधारों के बदौलत कई ग्रामीण श्रम जिनके पास पहले गांवों में ज्यादा कुछ करने को नहीं होता था और बेरोजगार होते थे अब कई शहरों में जाकर शहरों की आर्थिक प्रगति के लिए अपना श्रम का योगदान देने लगे।

इन वजहों से ग्रामीणों की परिस्थिति में पहले से कई ज्यादा सुधार आया है पर यह परिवर्तन उतना भी नहीं हुआ है की इन क्षेत्रों से गरीबी और आर्थिक पिछड़ापन पूरा मिटा दिया गया हो। इन क्षेत्रों में औसतम जीवन स्थर काफी नीचे है। कई सालों तक एक भी प्रेरणात्मक कार्यक्रम नहीं आरंभ किया गया जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में एक नया जीवन आए और उनकी आर्थिक स्थिति में परिवर्तन आए। इस दिशा में एक अच्छा बदलाव देखने को तब मिला जब इस साल के शुरुआत में नये ग्रामीण नीति की घोषणा की गयी।

लेकिन दुख की बात यह है की चीन में हो रही विस्फोटक रफ्तार की शहरीकरण के कारण मीडिया ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही परिवर्तन पर ध्यान नहीं देती है।

लेकिन चीन में कुछ लोग हैं जिनमें पत्रकार भी शामिल हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों में हो रही बदलावों के ओर लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं और इस तरह इस प्रक्रिया में एक अहम भूमिका निभा रहे हैं।

इस साल के अगस्त माह में कुआंगचोउ में चीनी समाज शास्त्र अकादमी और दक्षिण प्रेस ग्रुप ने कुछ और संगठनों के साथ मिलकर एक संयुक्त विचारगोष्ठी का आयोजन किया। इस विचारगोष्ठी में भाग लेने वालों ने कहा की ग्रामीण क्षेत्रों की सामाजिक और आर्थिक विकास और संचालन में सहकारी समितियों का बहुत ही अहम भूमिका है और इस भूमिका को पूरे तरीके से निभाने के लिए एक सकारात्मक वातावरण जरुरी है जो केवल ग्रामीण लोगों के स्वभाविक उत्साह से ही संभव है।

खास करके विचारगोष्टी में इस बात की अपील की गयी की ग्रामीण पेशेवर सहकारी समितियों से संबंध नये राष्ट्रीय कानून को जल्द ही अमल में लाना चाहिए जो फिल्हाल राष्ट्रिय जन काँग्रेस के द्वारा पूरे तरीके से बनायी भी नहीं गयी है। इस साल के अगस्त में इस नये कानून की रुपरेखा जारी करने के समय यह जानकारी दी गयी की इस कानून का नाम 'ग्रामीण पेशेवर सहकारी समिति संगठन' से 'ग्रामीण पेशेवर सहकारी समिति' रख दिया गया है।

एक दूसरी तफ्दीली के अंतर्गत, काउंटी स्थर से ऊपर के सरकारी एजंसियों को इस बात की जिम्मेदारी दी गयी की वे ग्रामीण पेशेवर सहकारी समितियों को एक दिशा दे और सेवाएँ प्रदान करें।