चीन की केंद्रीय सरकार को एक नये और शक्तिशाली आयोग का गठन करना चाहिए जो देश के पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाए। वर्तमान में इस क्षेत्र में काम करने वाला राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा प्रबंध विभाग है, जो केवल पर्यावरण में हो रही तब्दीलियों पर सारा ध्यान केंद्रित रखता है और जिसके पास इतने अधिकार नहीं हैं कि वह मौजूद नियमों का पालन करवा सके और इन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कारवाही कर सके। इस विभाग के बजाय, एक नये आयोग का गठन होना चाहिए जो चीन में लंबे समय में होने वाले बदलावों और प्रगति को ध्यान में रखते हुए सभी विषयों में तालमेल कर सके।
कु हाईपिंग,जो रनमिन विश्व विद्यालय में प्रोफैसर हैं, ने चीनी भाषा में प्रकाशित अखबार बिजनेस हेरॉल्ड में यह सुझाव रखा है। उन के अनुसार इस नये आयोग को न केवल राष्ट्रीय पर्यावरण सुरक्षा प्रबंध के काम-काज की देखरेख करनी चाहिए बल्कि दूसरी वन और जल से संबंध रखने वाली सरकारी एजेंसियों की भी देख-रेख करनी चाहिए।
कु के सुझावों में एक सुझाव यह भी शामिल है कि एक शक्तिशाली और प्रभावशाली केंद्रीय संगठन की स्थापना की जाये जो दीर्घकालीन प्रगति से संबंध रखने वाले आयोग के नाम से जाना जाना चाहिए। इस आयोग के मुख्य कार्यों में शामिल रहेंगे, योजना, भूमि का उपयोग और भविष्य में ऊर्जा के उपाय। कु के इन सुझावों को अमल में लाया जाय तो न केवल पर्यावरण सुरक्षा बल्कि इससे नये उद्योगों को होने वाली आमदनी भी तेजी से बढ़ेगी।
बहुत सारे अवसरों पर आर्थिक प्रगति ने नये उद्योगों और सेवाओं को जन्म दिया है। 1980 के दशक में शायद कुछ ही चीनी इस बात के बारे में सोचते होंगे कि उनके घरों में टेलिफोन, कार, अपने माता-पिता के घर से बड़ा घर और दूसरे किस्म की आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। लेकिन आज ये सभी सुविधाएँ एक आम चीनी के दैनिक जीवन का एक अभिन्न अंग बन चुकी हैं और इससे चीन की जी डी पी पर एक प्रभावशाली असर पड़ा है। लेकिन आर्थिक आंकड़ों के आधार पर ये सभी प्रभावशाली परिणाम नजर आते हुए भी यह बात बहुत ही साफ है कि असल रुप में बदलाव तो सड़कों पर देखने को मिलता है, वो चाहे अच्छे के लिए हो या बुरे के लिए।
पहले से ज्यादा घर, ज्यादा नौकरियाँ, ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा मोबाईल सेवा का और दूरभाष सेवा का उपयोग ये सारी ऐसी सुविधाएँ हैं जिससे चीनी देश और समाज में आये रचनात्मक बदलावों का पता लगता है लेकिन साथ ही साथ कई नकारात्मक बदलाव भी देखने को मिले हैं जैसे प्रदूषण। इस समस्या से जूझने के लिए तुरंत ही कुछ कदम उठाने चाहिएं।
चीन आज विश्व में सर्वाधिक मात्रा में कार्बनडाईऑक्साइड गैस पैदा करने वाला देश है। हर एक वर्ष में 25.5 मिलियन टन कार्बनडाईऑक्साइड गैस हवा में छोड़ी जाती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इससे वार्षिक तौर पर चीन को 60 बिलियन अमरीकी डॉलर का नुक्सान होता है। आज चीन में एक समस्या प्रदूषण की समस्या से भी अधिक गंभीर है, और वह समस्या है चीन सरकार के अलावा आम जनता में प्रदूषण की समस्या के प्रति जागरुकता की कमी। इस समस्या से जूझने के लिए न सिर्फ नियम कानून बनाने होंगे बल्कि उन्हें अमल में भी लाना होगा जो सिर्फ औद्योगिक दायित्वों को बढ़ाने से ही संभव है।
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