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(GMT+08:00) 2006-10-31 17:08:40    
तिब्बती संस्कृति का संरक्षण और बर्फीली सभ्यता का प्रसार

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चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच का आयोजन चीनी तिब्बती सांस्कृतिक संरक्षण व विकास संघ ने किया है । यह संगठन वर्ष 2004 में देश-विदेश में तिब्बती संस्कृति के संरक्षण में जुड़े व्यक्तियों द्वारा स्थापित हुआ था। इस का उद्देश्य तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास तथा तिब्बत की समृद्धि व प्रगति को आगे बढ़ाना है । सोसाइटी ने तिब्बत के सांस्कृतिक संरक्षण के संदर्भ में नीतियां आमंत्रित करने के लिए देश-विदेश से प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है । ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर श्री मैकरस ने तिब्बत का अनेक बार दौरा किया है । उन्होंने अपनी आपबीती के जरिये बताया कि चीन सरकार के समर्थन में तिब्बत की परंपरागत संस्कृति का कैसे विकास हो रहा है । उन का कहना है

"मैं ने तीन बार तिब्बत स्वायत्त प्रदेश, कानसू प्रांत तथा छिंगहाई प्रांत आदि जगहों का दौरा किया और अपनी आंखों से देखा कि तिब्बती संस्कृति का जोरों से विकास हो रहा है । इस सवाल पर पश्चिम के कुछ कथन अन्यायपूर्ण और निराधार हैं। वर्ष 1995 के ग्रीष्म में मैंने छिंगहाई प्रांत के एक दूरगामी गांव में आयोजित परंपरागत उत्सव में भाग लिया और वहां के परंपरागत नृत्य के अतिरिक्त विभिन्न धार्मिक रस्मों को भी मैंने देखा । तथ्यों से यह साबित है कि तिब्बती संस्कृति खत्म नहीं हुई, चीन सरकार के समर्थन से यह समृद्ध होती जा रही है । "

प्रोफेसर मैकरस ने कहा कि चीन सरकार तिब्बती संस्कृति के विकास में संलग्न है ।

चीनी तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास संघ के आयोग के सदस्य श्री लाई शांग लुंग ने संयुक्त राष्ट्र आर्थिक व सामाजिक परिषद के सदस्य की हैसियत से संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास कार्यक्रम के संबंधित कार्यों में भाग लिया । चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच में उन्हों ने कहा कि चीन सरकार संस्कृति के विकास को महत्व देती है, चीन सरकार द्वारा उठाये गये कदमों को विश्व में स्वीकृति मिली है, और वे संयुक्त राष्ट्र सहस्राब्दी विकास कार्यक्रम के अनुकूल हैं । श्री लाई शांग लुंग ने कहा

"अनेक तथ्यों से जाहिर है कि चीन सरकार ने सामाजिक विकास को प्राथमिक स्थान पर रखा है । चीन सरकार ने भारी धनराशि से तिब्बत में बड़ी मात्रा के बुनियादी उपकरणों तथा शिक्षा, चिकित्सा तथा संबंधित सार्वजनिक उपकरणों का निर्माण किया है। इस के अतिरिक्त स्थानीय संस्कृति का संरक्षण व विकास भी किया जा रहा है । संक्षेप में कहें तो चीन सरकार विकास कार्यक्रमों में संस्कृति की भूमिका को बहुत महत्व देती है । चीन सरकार ने बाधाओं तथा गलतफहमियों को कम करने के साथ-साथ तिब्बत के परंपरागत अक्षरों, चित्रों, संगीत, नृत्यों तथा चिकित्सा एवं धर्म आदि सांस्कृतिक तत्वों के संरक्षण पर बहुत जोर दिया है ।"

चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच में उपस्थित विशेषज्ञों व विद्वानों के भाषणों से पता चला कि तिब्बत की परम्परागत संस्कृति के संरक्षण व विकास के क्षेत्र में चीन सरकार ने अनेक ठोस कार्य किए हैं, जिसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की मान्यता हासिल हुई है। चीनी जन राजनीतिक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति की उपाध्यक्ष, चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय एकीकरण मोर्चा कार्य विभाग की निदेशिका सुश्री ल्यू यान तुंग ने कहा कि चीन सरकार पहले की ही तरह तिब्बती संस्कृति का संरक्षण व विकास करेगी । क्योंकि यह न सिर्फ़ तिब्बती जनता के मूल हितों की, चीनी राष्ट्र की अन्य जातियों के मूल हितों की भी रक्षा है । उन्होंने कहा

"हम सदा के लिए चीनी राष्ट्र की श्रेष्ठ सांस्कृतिक परम्परा को जारी रखेगें, इस के साथ ही विश्व की अन्य जातियों की संस्कृति की श्रेष्ठता अपनाकर चीनी विशेषता वाली समाजवादी समुन्नत संस्कृति का निर्माण करेंगे । हम हमेशा इतिहास का सम्मान कर वर्तमान स्थिति के आधार पर विकास की दिशा में और गहराई से तिब्बती संस्कृति का अनुसंधान करेंगे, तिब्बती संस्कृति का प्रसार-प्रचार करेंगे और प्राचीन व जीवंत तिब्बती संस्कृति को विश्व के सामने रखेंगे । हम समृद्ध, सभ्य, सामंजस्यपूर्ण एवं खुले तिब्बत को विश्व के सामने रखेंगे ।"

चीनी तिब्बत के प्रथम सांस्कृतिक मंच में उपस्थित देशी-विदेशी विद्वानों व विशेषज्ञों ने अलग-अलग तौर पर तिब्बती संस्कृति के संरक्षण व विकास के क्षेत्र में चीन द्वारा की गई कोशिशों का सकारात्मक मुल्यांकन किया । मंच के दौरान ये विद्वान और विशेषज्ञ खुद छिंगहाई-तिब्बत रेल पर सवार होकर तिब्बत का वास्तविक निरीक्षण दौरा करेंगे, वे अपनी आंखों से तिब्बती संस्कृति की विशेष सुन्दरता को महसूस कर सकेंगे ।