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(GMT+08:00) 2006-10-27 10:04:34    
रहस्य

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जब अन्य दास दासियों ने मीनीया की यह हालत देखी, तो उस से पूछा।

"मीनीया, क्या हुआ तुमको। इतनी दुखी क्यों हो। हमें बताओ, हम तुम्हारी मद करेंगे। क्या रानी ने तुमको फिर पिटवाया है।"

लेकिन मीनीया ने कोई जवाब नहीं दिया।

उस की आंखों से आंसुओं की झड़ी लगी रही।

उसे इस तरह रोता देख उस के साथी भी आंसू बहाने लगे। लेकिन मीनीया उन्हें बिलखता न देख सकी और उस ने उन को सच सच बता दिया।

"रानी का कहना है कि अगर मैं अपनी सुन्दरता का राज उसे नहीं बताऊंगी, तो वह राजा से कहकर तुम सबकी हत्या करवा देगी।

इसीलिए मैं बहुत दुखी हूं।"

यह सुनकर सभी दास दासियों गुस्से से आगबबूला हो गए और एक स्वर में बोले।

"यह रहस्य तुम उसे कभी न बताना।

अगर वह हमें मरवा डालना चाहती है, तो उसे ऐसा कर लेने दो।"

"लेकिन इतनी छोटी सी बात के लिए मैं तुम लोगों को अपनी जान गंवाते नहीं देख सकती, " मीनीया ने एतराज किया।

"भले ही हम लोग मर जाएं, लेकिन उस को यह रहस्य भूलकर भी नहीं बताना चाहिए," दास दासियों ने गुस्से से कहा।

लेकिन मीनीया भला इस बात से कैसे सहमत हो सकती थी कि उस के सब साथी इस तरह मौत के घाट उतार दिए जाएं।

सो वह रानी से निपटने और अपने साथियों की जान बचाने के लिए बड़ी देर तक दिमाग खपाती रही।

आखिरकार उसने एक उपाय सोच लिया। वह दौड़ती हुई रानी के पास पहुंची और फुसफुसाकर बोली,

"रानी जी, मैं आप को बताने को तैयार हूं कि अपने को सुन्दर बनाने के लिए मैं क्या करती हूं।

लेकिन इतनी महत्वपूर्ण बात की चर्चा करने के लिए यह जगह ठीक नहीं है। हम किसी दूसरी जगह चलकर इस की चर्चा करें। अच्छा तो यह है कि हम आप के कमरे में चलें।

वहां कोई आदमी हमारी बात न सुन पाएगा।"